महिला चिकित्सक ने किया इलाज से इंकार..मरीज की मौत..गिड़गिड़ाते परिजनों को डांटकर भगाया.. बीएमओ ने कहा..डॉ.मानसी से मांगा जाएगा जवाब

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर (रियाज़ अशरफी)। एम्बुलेंस 108 की मदद से बीमार ग्रामीण युवक को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र  लाया गया। अस्पताल का ताला लटका मिला। आनन फानन में बीमार युुवक के परिजन  अस्पताल के पीछे बने सरकारी आवास में महिला सहायक चिकित्सक घर पहुंचे। महिला डॉक्टर ने कहा कि मुझे सर्दी बुखार है। ईलाज नहीं करेगी।  मुझे कोविड है। इधर एम्बुलेंस में युवक की तबीयत बिगड़ती चली गयी। बावजूद इसके महिला डाक्टर ने गिड़गिड़ाते परिजनो से दो टूक कहा कि तुम लोगो को बार बार समझा रही हूं। यहां से भाग जाओ। जब तक परिजन एम्बुलेंस के पास पहुंचते बीमार की सांसे थम चुकी थी।
           मामला शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सीपत का है। रविवार की सुबह 7 बजे  सीपत आवासपारा निवासी धनलाल खरे उम्र 46 वर्ष की सुबह बिस्तर में चाय पीने के लिए बैठा था। और अचानक  गिर गया। हालत गंभीर होते देख  परिजन आनन फानन में एम्बुलेंस 108 की सहायता से बीमार को लेकर घर से चंद मीटर दूरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। 
                 परिजनों ने अस्पताल के दरवाजे पर  ताला  हॉस्पिटल में ताला लटका रपाया। इसके बाद दौड़ते हांफते बीमार के परिजन अस्पताल के पीछे स्थित परिसर में  स्टाफ के आवास पर पहुंचे। परिजनों ने सहायक चिकित्सक मानसी महिलांगे से गुहार लगाया। महिला डॉक्टर ने सर्दी बुखार की बात कहते हुए इलाज करने से इंका्र कर दिया।
              निराश होकर परिजन वापस एम्बुलेंस के पास आ गए। युवक की स्थिति बिगड़ती देख परिजनों ने फिर महिला डॉक्टर मानसी महिलांगे के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाया। बावजूद इसके महिला डॉक्टर का ना दिल पिघला और दिमाग खुला।  झल्लाते हुए कहा कि …बार बार बताने के बाद भी तुम लोगो को समझ मे नही आ रहा है। मैं कोविड पॉजिटिव हु ।मैं इलाज नही कर सकती। यहां से कही और लेकर चले जाओ… परिजन उल्टे पांव वापस लौट कर एम्बुलेंस  के पास पहुंचे। इस दौरान बीमार की सांसे उखड चुकी थी।
             इस तरह अस्पताल की लचर व्यवस्था ने एक सुहागन को  ना केवल विधवा बना दिया। बल्कि 13 साल की बेटी को अनाथ भी बना दिया।
सिम्स में बच सकती थी भैया की जान
            मृतक का छोटा भाई छोटेलाल ने बताया कि भैया की तबीयत बिगड़ी तो हम लोगो को कुछ समझ नही आया। एम्बुलेंस 108 से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए। यदि यहां  ऑक्सीजन मिल जाता और अस्पताल के डॉक्टर मरीज को रिफर करते तो बिलासपुर में अच्छा इलाज हो सकता था। ऑक्सीजन मिलना तो दूर..महिला डाक्टर ने दुत्कार कर भगा दिया। अस्पताल भी बंद था। यदि महिला डाक्टर ने रिफर पर्ची ही दे दिया होता तो आज भैया हमारे बीच होते।
ऑटो से दूसरे डॉक्टर को दिखाने गए।
            सीपत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने जब इलाज से इंकार किया तो परिजन बीमार को लेकर गांव के किसी किसी  डॉक्टर के पास जाने के लिए अस्पताल में ऑटो को बुलाया। एम्बुलेंस 108 से मरीज को ऑटो में उतारकर रखते इसके पहले धनलाल की सांसे थम चुकी थी।
 मुख्यालय में ना तो स्टाफ मिला और ना ही डॉक्टर
    कहने को तो सीपत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आपातकालीन की सुविधा है। लेकिन शाम 5 बजे के बाद और दोपहर 12 बजे से पहले किसी भी दिन ग्रामीणों को अस्पताल में इलाज नशीब नही होता। रविवार और सरकारी छुट्टी के दिन तो कोई स्टाफ अस्पताल नहीं आता। अगर कोई आ भी गया तो अस्पताल के दरवाजे पर उसे  ताला लटका ही मिला।
                एक  महिला सहायक डॉक्टर के अलावा यहां कोई और स्टाफ मुख्यालय में नही रहता। सभी अपने निज निवास से आना जाना करते हैं।डॉक्टरों के सुबह आने का कोई समय नहीं है। मतलब मरीज मरे तो मरे..लेकिन करेंगे अपने मर्जी का।
बीएमओ ने कहा डॉ मानसी पाजीटिव नही
          मस्तूरी बीएमओ डॉ एनआर कंवर ने बताया कि डॉक्टर मानसी महिलांगे सीपत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ग्रामीण सहायक चिकित्सक के पद पर है । उन्हें कोविड पॉजिटिव होने की रिपोर्ट की जानकारी नहीं है। अवकाश के लिए भी कोई आवेदन  नही दिया। यदि कोरोना पॉजिटिव है तो उसे ब्लाक मेडिकल कार्यालय में पॉजिटिव रिपोर्ट के साथ छुट्टी के लिए आवेदन देना चाहिए था। लेकिन उन्होने ऐसा नहीं किया।  मामले की जांच करेंगे।

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