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अव्यवस्था के बीच पांचवा दीक्षांत समारोह…हवा,पानी,जगह के लिए भटकते रहे पत्रकार..मर्यादाओं का नहीं रखा गया ध्यान

सम्मान से ज्यादा पॉवर का हुआ प्रदर्शन

बिलासपुर— शनिवार को अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय का पंचम दीक्षांत समारोह भारी अव्यवस्था के बीच सम्पन्न हुआ। प्रशासन का सहयोग नहीं होता तो शायद समारोह को इतिहास में सबसे बुरे आयोजन के रूप में याद किया जाता । बावजूद इसके विश्वविद्यालय ने जो मांगा मिला..मुख्य़मंत्री ने दिया। इस दौरान प्रबंधन ने मंच से झूठ  ट्रांजिट हास्टल पर अपना हक जताने का प्रयास किया। लेकिन विष्णुदेव साय ने प्रबंधन के मनसूबों पर पानी फेर दिया। जानकारी देते चलें कि दीक्षांत समारोह में राज्यपाल रमेन डेका, प्रदेश की प्रथम महिला रानी डेका,मुख्यमंत्री विष्णु देव साय,  सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश प्रशांत मिश्रा, उप मुख्यमंत्री अरूण साव, केन्द्रीय मंत्री तोखन साहू समेत जिले के सभी विधायक शामिल हुए।

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दीक्षांत समारोह और सम्मान

एक दिन पहले कोनी स्थित अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में पांचवा दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। मेधावी छात्रों को मुख्य अतिथि ने पदक और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया। शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि दी गयी। इसके अलावा चार लोगों को डाक्टर की मानद उपाधि दी गयी ।

यहां से वहां..अव्यवस्था ही अव्यवस्था

कार्यक्रम का आयोजन गरिमा अनुकूल लेकिन भारी अव्यवस्था के बीच किया गया। कार्यक्रम की गड़बड़ी दर्शक दीर्घा से शुरू होकर मंच तक नजर आयी। ठीक न्यायाधीशों और गणमान्य अतिथियों के पीछे पत्रकारों को बैठाया गया। यद्यपि न्यायाधीशों और अन्य अधिकारियों का प्रबंधन ने बेहतर ध्यान दिया। लेकिन पत्रकारों को एक एक बूंद पानी के लिए झगड़ते देखा गया। इस दौरान पत्रकार जनसम्पर्क अधिकारी से व्यवस्था को लेकर आक्रोश जाहिर किया। प्रयास के बाद भी जनसम्पर्क अधिकारी पत्रकारों को पानी दिलाने में असफल रहे। पत्रकारों ने जमकर नाराजगी जाहिर की।

न्याय़ाधीशों और अतिथियों के पीछे बैठाया

अक्सर पत्रकारों के लिए दर्शक दीर्घा में अलग व्यवस्था होती है। लेकिन दीक्षांत समारोह में पत्रकारों को न्यायाधीशों और अन्य सरकारी अतिथियों के सात पंक्ति पीछे बैठाया गया। सबसे पीछे कैमरामैन को स्थान दिया गया। पत्रकारों ने इस बात की शिकायत जनसम्पर्क  अधिकारी से किया। अधिकारी ने बताया कि व्यवस्था में जिला प्रशासन की कोई भूमिका नहीं है। इस म्मले मे विश्वविद्यालय प्रबंधन से बात करें। इतना सुनते ही पत्रकारों ने आपा खो दिया। और प्रबंधन को जमकर सुनाया।

जनसम्पर्क को भी नहीं मिली जगह..पुलिस ने भगाया

बड़े कार्यक्रमों में कैमरा चलाने वालों के लिए दर्शक दीर्घा के बीच सबसे आगे कैमरा चलाने वालो के लिए मंच की व्यवस्था होती है। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी दीक्षांत समारोह में कैमरा चलाने वालों को मंच देना तो दूर.. उन्हें सबसे पीछे दर्शकों के बीच बैठा दिया।  यहां तक की जनसम्पर्क को भी कैमरा चलाने के लिए जगह नहीं दिया नगया। इस बात को लेकर प्रबंधन और  पत्रकारों के बीच कहा सुनी हुई। व्यवस्था नहीं होने पर कैमरा चलाने वाले अतिथियों के सामने घेरे में पहुंचकर मंच की गतिविधियों को कवर किया। इस दौरान पुलिस को बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

अपने को चमकाते नजर आए

सम्मानित होने वाले छात्रों ने बताया कि इसके पहले किसी भी दीक्षांत समारोह में ऐसी अव्यवस्था देखने को नहीं मिली । एक अधिकारी ने  बताया कि परिचय के समय बार बार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश का नाम पद के साथ नहीं लिया गया। ऐसा किया जाना अतिथियों का अपमान है। कांग्रेस विधायकों को भी मंच पर अपेक्षित सम्मान नहीं मिला। कुलपति ने मंच का पूरा उपयोग अपने व्यक्तितत्व को सवारने में किया।

नदी दिया गया भाषण का बुकलेट

नियमानुसार अतिथियों का भाषण का बुकलेट पत्रकारों समेत अतिथियों के बीच पहले से वितरित कर दिया जाता है। जैसे कि कुछ महीने पहले पंडित सुन्दरलाल शर्मा विश्वविद्यालय में किया गया। बुकलेट से भाषण समझने मे आजादी होती है। बुकलेट की व्यवस्था नहीं होने से सभी को भाषण समझने में परेशानियों से दो चार होना पड़ा। यदि भाषण बुकलेट सबके हाथ में होता तो लोग बीच कार्यक्रम से बाहर जाते नजर नहीं आते।

लिखने पढ़ने की व्यवस्था नहीं

इतना ही नहीं प्रबंधन ने पत्रकारों को नोट पैड और पेन उपलब्धि नहीं कराया । जबकि दो दिन पहले वीसी प्रेसवार्ता में बड़ी बड़ी बातों का जिक्र किया था। लेकिन कार्यक्रम में वैसा कुछ भी नजर नहीं आया। हां दर्शक दीर्घा में बच्चे ही नहीं बल्कि अतिथि भी गर्मी से  बचने चेहरे पर ,हवा झलते नजर आए।

वीसी ने दी गलत जानकारी..फिर भी मिला तोहफा

मंच से वीसी ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। वीसी ने बताया कि ट्रांजिट हास्टल उनकी जमीन पर है। विश्वविद्यालय को नया कोर्स शुरू करना होगा। इसके लिए जमीन की जरूरत होगी। मुख्यमंत्री ने बड़ी ही चतुराई के साथ संकेत दिया कि ट्रांजिट हास्टल विश्वविद्याल की जमीन पर नहीं है। लेकिन  विश्वविद्यालय को जरूरत के अनुसार जमीन देंगे।

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