देश को 2 आयुर्वेद संस्थानों की सौगात,पीएम मोदी ने कही ये बात

Chief Editor
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नई दिल्ली-प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने पांचवें आयुर्वेदिक दिवस के अवसर पर गुजरात के जामनगर में आयुर्वेद शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआरए) और राजस्थान के जयपुर में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) का वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से उद्घाटन कर दिया है. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद भारत की विरासत है, जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई समाई हुई है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में पूरी दुनिया में आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है और बीते साल की तुलना में इस साल सितंबर में आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्यात करीब डेढ गुना बढ़ा है.प्धानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना के संक्रमण से भारत आज संभली हुई स्थिति में है तो इसमें पारम्परिक चिकित्सा पद्धति का बहुत बड़ा योगदान है जो आज अन्य देशों को भी समृद्ध कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘आयुर्वेद भारत की एक विरासत है, जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई है. यह देख कर किस भारतीय को खुशी नहीं होगी कि हमारा पारंपरिक ज्ञान अब अन्य देशों को भी समृद्ध कर रहा है. आज ब्राजील की राष्ट्रीय नीति में आयुर्वेद शामिल है. भारत-अमेरिका संबंध हों या भारत-जर्मनी रिश्ते हों, आयुष और पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से जुड़ा सहयोग निरंतर बढ़ रहा है.’

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प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना से मुकाबले के लिए जब कोई प्रभावी तरीका नहीं था तो भारत के घर-घर में हल्दी, काढ़ा, दूध जैसे अनेक इंम्यूनिटी बूस्टर उपाय बहुत काम आए. उन्होंने कहा, ‘इतनी बड़ी जनसंख्या वाला हमारा देश अगर आज संभली हुई स्थिति में है तो उसमें हमारी इस परंपरा का बहुत बड़ा योगदान है.’ मोदी ने कहा कि कोरोना काल में पूरी दुनिया में आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है और बीते साल की तुलना में इस साल सितंबर में आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्यात करीब डेढ गुना बढ़ा है. उन्होंने कहा कि मसालों के निर्यात में भी इस दौरान काफी बढ़ोतरी दर्ज हुई हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘बीते साल की अपेक्षा इस साल सितंबर में आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्यात लगभग डेढ़ गुना बढ़ा है. यही नहीं मसालों के निर्यात में भी काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यह दर्शाता है कि दुनिया में आयुर्वेदिक समाधान और भारतीय मसालों पर विश्वास बढ़ रहा है. अब तो कई देशों में हल्दी से जुड़े विशेष पेय पदार्थों का भी प्रचलन बढ़ रहा है. दुनिया के प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल भी आयुर्वेद में नई आशा और उम्मीद देख रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि भारत के पास आरोग्य से जुड़ी कितनी बड़ी विरासत है लेकिन ये ज्ञान ज्यादातर किताबों में, शास्त्रों में और थोड़ा-बहुत दादी-नानी के नुस्खों तक सीमित रहा.

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