शिक्षाकर्मियों को शासन से जोर का झटका..संविलियन शर्तों को मानने से इंकार..शिक्षक नेता ने कहा..आदेश.. कांग्रेस जनघोषणा पत्र के खिलाफ

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—शिक्षको को फिर जोर का झटका लगा है। शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी कर बताया है कि शिक्षाकर्मी से शिक्षक बने सभी शिक्षाकर्मियों की सेवा की गठना संविलियन तिथि से होगी। वहीं शिक्षक नेता अमित ने कहा आदेश सरकार के जन घोषणा पत्र के विपरीत है। 
 
                     लंबे संघर्ष के बाद संविलियन हो स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षा कर्मी से शिक्षक बने प्रदेश के लाखों शिक्षको की उम्मीदों पर एक बार पानी फिरता नजर आ रहा है। विभाग के अवर सचिव ने एक आदेश जारी कर बताया है कि शिक्षा विभाग में समस्त संविलियन किए गए शिक्षको की सेवा अवधि की  गणना संविलियन तिथि से मानी जाएगी। 
 
                  इस आदेश के बाद पुरानी सेवा की गणना और तत्कालिक लाभ को लेकर न्यायालय पहुंचने वाले शिक्षकों को स्कूल शिक्षा विभाग ने बड़ा झटका दिया है। विभाग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि सभी सुविधाओं की पात्रता उसी दिन से मानी जाएगी जिस दिन से स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षाकर्मियों का ​संविलियन हुआ है। इसके पहले पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग,  नगरीय प्रशासन विभाग को दी गयी सेवाओं को नहीं संविलियन में नहीं जोड़ा जाएगा। 
 
                    स्कूल शिक्षा विभाग अवर सचिव के हस्ताक्षर से जारी पत्र में कहा गया है कि शिक्षकों का संविलियन 1 जुलाई 2018 स्कूल शिक्षा विभाग में हुआ है। इसलिए मिलने वाला लाभ भी उसी तिथि से गणना कर दिया जाएगा। पूर्व की सेवा अवधि के लिए किसी भी प्रकार की एरियर्स का भुगतान नहीं किया जाएगा।
 
                                         बताते चलें कि संविलियन होने के बाद राजकुमार कुर्रे और  4 अन्य शिक्षकों ने अपनी सेवा को 2004 के पूर्व का बताकर पुरानी पेंशन की मांग को लेकर न्यायालय में मामला दर्ज किया था। हाईकोर्ट ने मामले को शासन के सामने पेश करने को कहा । मामले में  स्कूल शिक्षा विभाग ने स्पष्ट आदेश जारी कर संविलियन से जुडी मांग और भ्रान्तियों को एक सिरे से खारिज कर दिया। 
 
                  शिक्षक नेता अमित कुमार नामदेव ने  आदेश को प्रदेश कांग्रेस सरकार के जन घोषणा पत् के खिलाफ बताया है। अमित नामदेव ने कहा कि सेवा अवधि की गणना प्रथम नियुक्ति तिथि से ही किया जाए। प्रदेश के हजारों शिक्षाकर्मी से शिक्षक बने साथी सेवानिवृत्ति की कगार पर है। उन्होंने बीस वर्षों से भी अधिक संमय तक बच्चो को अध्यापन कार्य मे समय दिया है। इस दौरान शिक्षाकर्मियों  ने  सम्पूर्ण निष्ठा से अत्यंत कम वेतन और अनिश्चित भविष्य के बीच काम किया है। कर्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी से किया है। ऐसे में संविलियन तिथि से सेवागणना करना उनके पूर्व की सेवा की उपेक्षा है।
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