अनुकम्पा नियुक्ति में धांधली..सामने आया विभाग का तीसरा कारनामा..प्रशासन तक पहुंची शिकायत .बताया..जमकर हुई धांधली..अपराध दर्ज की मांग

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- पिछले दिनों फर्जी तरीके से अनुकम्पा नियुक्ति पाने वाले दो कर्मचारियों के बर्खास्त के बाद भी जिला शिक्षा विभाग में फर्जी तरीके से अनुकम्पा नियुक्ति पाने वालों की शिकायत नहीं रूक रही है। बताया जा रहा है कि कुल 42 में से पांच से सात  लोगों की अनुकम्पा नियुक्ति सारे नियम निर्देशों को  ताक पर रखकर किया गया है। इसमें विभाग के तत्कालीन प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी समेत कुछ बाबू भी शामिल हैं। मामले में एक शिकायत  जिला प्रशासन तक पहुंची है। 26  नवम्बर को की गयी शिकायत को फिलहाल शिक्षा विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया है। जानकारी मिल रही है कि तत्कालीन प्रभारी अधिकारी मामले को पुरजोर तरीके से दबाने का प्रयास कर रहे हैं।जबकि शिकायतकर्ताओं ने संभागायुक्त से भी मामले की शिकायत की है।
 
               जानकारी देते चलें कि कोरोना काल में शासन ने अनुकम्पा नियुक्ति की निर्धारित कोटा सिस्टम में आमूल चूल परिवर्तन कर पीड़ित परिवार को राहत देने का प्रयास किया। इसी क्रम में जिला शिक्षा विभाग ने दावेदारों के आवेदन को बुलाया। दो बार में कुल 42 लोगों को अनुकम्पा नियुक्ति का आदेश भी थमाया।
 
अनुकम्पा नियुक्ति में फर्जीवाड़ा
 
              इसी क्रम में जानकारी मिली कि जिला शिक्षा विभाग ने अनुकम्पा नियुक्ति में भारी गलतियां की है। विभाग ने शासन के नियम निर्देशों की अनदेखी करते हुए ना केवल अपात्र को अनुकम्पा नियुक्ति का पात्र बना दिया। बल्कि पात्र को अपात्र घोषित कर दिया। इसके बाद मामले को लेकर शिकायत कलेक्टर तक पहुंची। छानबीन के दौरान दो अपात्रों को जिला प्रशासन ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। बावजूद अधिकारियों की कृपा से चार अपात्र अब भी नौकरी पर डटे हुए हैं।
 
                      अनुकम्पा नियुक्ति में धांधली की एक शिकायत तीन लोगों कलेक्टर प्रशासन और संभागायुक्त से 26 नवम्बर को किया। बावजूद इसके दरियादिल जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अब तक मामले को दबा दिया है। जांच की बात बहुत दूर की है।
 
संभागायुक्त और जिला प्रशासन से शिकायत
 
           26 नवम्बर को संदीप सिंह, देवेन्द्र सिंह और भूपेन्द्र वैष्णव ने एक शिकायत जिला प्रशासन और संभागायुक्त से शिकायत की। तीनों ने लिखित शिकायत कर बताया कि मनीष कुर्रे को विभाग के अधिकारियों ने जानबूझकर अनुकम्पा नियुक्ति का पात्र बनाया है। मनीष कुर्रे इस समय अनुकम्पा नियुक्ति लेकर शासकीय हाईस्कूल सिलतरा तखतपुर में शिक्षकीय काम कर रहा है। 
 
                      शिकायतकर्ताओं ने बताया कि मनीष कुर्रे का बड़ा भाई शासकीय कर्मचारी है। मुंगेली जिला स्थित दुल्लापुर का पटवारी है। गलत नियुक्ति देने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 166,420, 467,468,120 बी, 34 के तहत अपराध दर्ज किया जाए। 
 
सच्चाई को छिपाया गया
 
         संभागायुक्त और जिला प्रशासन से की गयी शिकायत में संदीप समेत उसके अन्य साथियों ने बताया है कि मतीष कुर्रे के पिता धनसाय कुर्रे शासकीय बालक उच्चत्तर शाला में शासकीय सेवक थे। सेवा काल के दौरान 26 नवम्बर 2011 को उनका निधन हो गया। चूंकि धनसायक का बड़ा बेटा सतीश कुर्रे पहले से ही शासकीय सेवा में था। इसलिए जानकारी छिपाकर मनीष कुर्रे को अनुकंपा नियुक्ति का पात्र बना दिया गया। नियमानुसार यदि परिवार का कोई सदस्य पहले से ही शासकीय सेवक है तो आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति नहीं दी जाती है। बावजूद इसके जिला शिक्षा विभाग ने मनीष कुर्रे को सहायक शिक्षक बना दिया है। जबकि मामले की जानकारी अधिकारियों को भी थी। 
 
जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई
 
        इस समय मनीष कुर्रे सहायक ग्रेड 3 के पद पर शासकीय हाई स्कूल सिलतरा तखतपुर में काम कर रहा है। फर्जी नियुक्ति में तत्कालीन प्रभारी अधिकारी और कुछ बाबुओं की भूमिका संदिग्ध है। इसलिए अपात्र को बर्खास्त कर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। किसी पात्र को सेवा का अवसर दिया जाए।
 
गलत सहमति पत्र
 
             शिकायतकर्ताओं के अनुसार मनीष कुर्रे ने गलत शपथ पत्र दिया है। शासकीय सेवक होने के बाद भी गलत सहमति-पत्र देने वाले बड़े भाई सतीष कुर्रे पर भी कार्रवाई की जाए।
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