पिछली सरकार की गलतियों को सुधारने आयी नई सरकार..खाद्य आयोग चेयमैन ने कहा..यदि समय गठन होता तो नान घोटाला नहीं होता.. दोषियों को जरूर मिलेगी सजा

BHASKAR MISHRA

बिलासपुर—- खाद्य आयोग के चेयरमैन गुरूप्रीत बावरा ने कहा कि पिछली सरकार की गलतियों को ही सुधार रहे हैं। उनसे तुलना क्यों नहीं करें। क्योंकि पिछली सरकार की गलतियों को ही सुधारने नई सरकार आयी है। बावरा ने कहा यदि समय पर खाद्य आयोग का गठन और काम काज शुरू हो जाता तो..शायद नान घोटाला नहीं होता। वारदाना की निश्चित रूप से कमी है। लेकिन हम 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदेंगे। धान संग्रहण केन्द्र से समय पर धान का उठाव होगा। बावरा ने कहा यदि आयोग का सदस्य विभाग पर अनावश्यक दबाव डालता है या वसूली करता है तो सख्त कार्रवाई होगी।

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              खाद्य आयोग अध्यक्ष वावरा अल्प प्रवास पर बिलासपुर पहुंचे। उन्होने पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया। बिलासपुर में धान का उठाव नहीं होने से सड़ रहा है। इस बार धान का रिकार्ड तोड़ उत्पादन हुआ है। व्यवस्था भी समुचित नहीं है।

                  सवाल के जवाब में वावरा ने कहा कि सभी जगह धान का उठाव हुआ है। यदि बिलासपुर में धान सड़ने की बात है तो हम पता लगाएंगे। धान संग्रहण को लेकर सारी तैयारियां पुरी हो चुकी है। वाबरा ने बताया कि पिछली सरकार के समय की सारी गलतियां सामने आ रही है। धान का उठाव नहीं होने के कारण ही सड़ रहा है।

                 पिछली सरकार को बात बात ुप दोष देना कितना उचित है। पिछले साल का ही धान नहीं उठाया गया। वाबरा ने कहा कि पिछली सरकार की गलतियों को ही दूरूस्त करने नई सरकार आयी है। फिर भी हम पता लगाएंगे की धान का उठाव क्यों नहीं हुआ है। 72 घंटे के अन्दर धान उठाव के सवाल पर बावरा ने कहा कि हमारा पुरा प्रयास होगा कि दिए गए समय में धान का उठाव हो जाएगा।

                       वारदाना कमी के सवाल पर खाद्य आयोग चेयरमैन ने कहा कि कोरोना काल के चलते ही वारदाना तैयार नहीं हुआ है। केन्द्र सरकार ने वारदाना देने से मना कर दिया है। क्या ऐसा कर केन्द्र सरकार कांग्रेस शासित राज्यों को परेशान कर रही है। वावरा ने कहा कि ऐसा नहीं है..मजदूरों की कमी के चलते वारदाना बना ही नहीं है। 

              एक अन्य सवाल के जवाब में चैयरमैन ने कहा कि केन्द्र सरकार का आरोप निराधार है। दरअसल वारदाना का जूट कमिश्नर कोलकाला में बैठता है। वही से वारादाना की सप्लाई होती है। हम वारादाना आर्डर के साथ रूपए देते हैं। फिर हमें वारदाना दिया जाता है। हमने पिछले साल भी एडवांस दिय़ा था। हमने रिकार्ड तोड़ धान भी खरीदा था। इस बार यदि वारदाना की सप्लाई नहीं होती है तो हम जेम्स पोर्टल से वारदाना खरीदेंगे। भाजपा का आरोप बेबुनियाद है। वह कुछ भी कहे..इससे हमें क्या लेना देना।

                               जानकारी मिल रही है कि आयोग के सदस्य घूम घूम कर दबाव बनाकर वसूली कर रहे है। वावरा ने कहा कि 2013 में केन्द्र सराकर ने खाद्य आयोग गठन का आदेश दिया था। छत्तीसगढ़ में सुप्रीम कोर्ट के दबाव में साल 2017 में खाद्य आयोग का गठन हुआ। यदि सरकार ने सही समय पर आयोग का गठन कर दिया होता तो..आज प्रदेश को नान घोटाला का सामना नहीं करना पड़ता। साल 2018 में खाद्य आयोग का अध्यक्ष त्याग पत्र देकर चुनाव लड़ने चला गया। आयोग में भाजपा के सदस्य और कांग्रेस का अध्यक्ष है। यदि सदस्य लोग वसूली कर रहे हैं या अनावश्य दबाव बना रहे हैं तो शिकायत करें। शिकायत के चन्द घंटों में आप कार्रवाई भी होते देखेंगे। फिर भी अपने स्तर पर आरोपों की पतासाजी जरूर करेंगे।

                 आखिर नान घोटाला के दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। सवाल के जवाब में बावरा ने कहा कि मामला कोर्ट कचहरी में है। दोषियों के खिलाफ जरूर कार्रवाई होगी।

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