गणित का नया सवाल….! अंबिकापुर की शादी में एक हज़ार लोगों पर साढ़े नौ लाख़ का ज़ुर्माना … तो बिलासपुर मे सैकड़ों लोगों की स्वागत रैली पर कितना फाइन लगेगा…..? क्या नियम – कायदे सिर्फ़ आम आदमी के लिए …. और सत्ता पक्ष को दूध-भात…. ?

Chief Editor
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( गिरिज़ेय ) बिलासपुर जिला प्रशासन में बैठे जिम्मेदार लोग अगर छत्तीसगढ़ और बिलासपुर संभाग प्रशासनिक खबरों पर भी नजर डालते होंगे तो यह खबर भी जरूर उनकी नजरों से गुजरी होगी कि बिलासपुर संभाग के ही सरगुजा कलेक्टर ने कोविड-19  गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए शादी में भीड़ जुटाने के मामले में बड़ी कार्रवाई की है । जिसमें मेरीज़ गार्डन संचालक सहित वर वधु पक्ष पर साढ़े नौ लाख़ रुपए  का जुर्माना लगाया गया है। अगर इस खबर पर नजर पड़ी हो तो बिलासपुर प्रशासन में बैठे लोगों को सरगुजा जिले से इस कार्यवाही का ब्यौरा मंगा लेना चाहिए …….।  और इस कार्यवाही की रोशनी में बिलासपुर में कुछ दिन पहले नए प्रभारी मंत्री के स्वागत में हुई रैली, भीड़भाड़ और कोविड-19  गाइडलाइन के उल्लंघन पर कोई एक्शन लेना चाहिए ……। नहीं तो प्रशासन में बैठे लोगों को सार्वजनिक रूप से मान लेना चाहिए की तमाम कानून सिर्फ आम लोगों के लिए है और सत्ता पक्ष के लोगों पर यह कानून लागू नहीं होता। खासकर कानून नियम कायदा बनाने वाले लोगों को इसमें दूध भात है…..।

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इतनी लंबी भूमिका को पढ़कर आप समझ ही गए होंगे कि बात किस मामले को लेकर हो रही है। जी हां …….आपने सही समझा अंबिकापुर से पिछले रविवार को यह खबर आई कि वहां के कलेक्टर संजीव कुमार झा की हिदायत पर जिला प्रशासन ने बड़ी कार्यवाही करते हुए एक मैरिज हाल संचालक सहित वर – वधु पक्ष पर 9,50,000 रुपए का जुर्माना लगाया है ।  आरोप है कि 2 जुलाई को अंबिकापुर के एक मैरिज गार्डन में शादी हुई थी। इस शादी में 1000 लोगों को इकट्ठा कर कोरोना गाइड लाइन का उल्लंघन किया गया। सरकारी विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने वाले व्यक्तियों की अधिकतम संख्या 50 तय की गई है। लेकिन इसमें 1000 लोग इकट्ठे हो गए। शादी करने वाले परिवार को इस जुर्म की सजा देते हुए दूल्हा- दुल्हन  के पिता पर दो लाख़ सैंतीस हज़ार रुपए का फाइन अलग – अलग ठोंक दिया गया। इसी तरह गार्डन के संचालक पर चार लाख़ पचहत्तर हजार रुपए  का जुर्माना लगाया गया। कुछ दिनों  पहले ही हमने कोविड-19  की दूसरी ल़ह़ऱ का सामना किया है और इस दौरान हुई तबाही को देखते हुए सरकार की ओर से बनाए गए नियमों का सख्ती और ईमानदारी से पालन होना चाहिए। अगर नियम कायदे के उल्लंघन का मामला सामने आता है तो प्रशासन को सख्त रवैया अपनाना चाहिए और प्रशासन को भी उन नियमों का अधिकारों का जरूर इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जिससे आम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हुए किसी तरह की लापरवाही की जा रही हो।

सरगुजा जिला कलेक्टर के इस एक्शन को शाबाशी देने वाले तमाम लोगों को अपने कैमरे का मुंह बिलासपुर की तरफ भी मोड़ना चाहिए। पूरे शहर ने देखा था कि पिछले दिनों बिलासपुर में भी एक बारात निकली थी। यह सियासी बारात थी ।  अरपा पार सरकंडा के महामाया चौक पर जिस अंदाज में जिले के नए प्रभारी मंत्री जय सिंह अग्रवाल की अगवानी की गई वह मास्कविहीन  भीड़ भी लोगों ने देखी थी। भूलने की आदत वाले लोग कम से कम अभी इस बात को नहीं भूल सके हैं कि किस तरह लोग बिना मास्क लगाए खुलेआम सड़क पर पटाखे फोड़ते हुए अपने मंत्री का स्वागत कर रहे थे। इसकी वजह से काफी देर तक सड़क जाम थी। मरीज को ले जा रही एंबुलेंस भी इस भीड़ में फंसी हुई थी। ऐसे लोगों ने भी अनुभव बताए जिनका कहना था कि जाम में फंसे होने की वजह से उन्हें महामाया चौक से नेहरू चौक आने में ही घंटों का वक्त लग गया। एक जागरूक नागरिक ने हमें यह भी बताया कि वह खुद अपनी कार में कांच बंद कर भीतर बैठे थे और जाम में फंसे रहे। लेकिन उन्होंने देखा कि सड़क पर उमड़ पड़ी भीड़ में से किसी के चेहरे पर मास्क नहीं लगा था और लोग एक दूसरे से लिपटे हुए अंदाज में पूरी मस्ती के साथ इस आयोजन में शामिल हुए थे। वैसे तो राजनीतिक नजरिए से लोगों ने यह भी देखा कि कुछ दिन पहले ही भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने बिलासपुर को जमीन माफियाओं की राजधानी बताया था। ठीक इसी समय राजस्व मंत्री को बिलासपुर का प्रभारी मंत्री बनाया गया । जिनका जमीन माफियाओं की राजधानी में नए राजा के रूप में बढ़िया स्वागत किया गया। दरबारियों के साथ कई ऐसे चेहरे भी दिखाई दिए जो कथित रूप से भाजपा के आरोप को साबित करते हुए अब तक जमीन कारोबार या दलाली में गिने जाते रहे हैं। नए प्रभारी मंत्री के स्वागत का आयोजन जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष विजय केशरवानी ने किया था। इस मौके पर छत्तीसगढ़ भवन में सैकड़ों लोगों के भोज का भी आयोजन किया गया था। ज़ाहिर सी बात है कि मास्क लगाकर भोज का आनंद नहीं लिया जा सकता। इस तरह हर कदम पर कोविड की गाइडलाइन का उल्लंघन किया गया। जैसे यह आयोजन सरकार की गाइडलाइन को सरेआम ठेंगा दिख़ाने के लिए ही की गई हो……। कोरोना काल में समय – समय पर गाइडलाइन ज़ारी कर लोगों के इसके पालन की समझाइस देने वाले प्रशासन के सामने भी यह सवाल है कि क्या हुक़ुम का पालन सिर्फ़ आम आदमी को करना है…….. । सवाल यह भी है कि क्या स्वागत रैली के लिए इज़ाज़त ली गई थी..( जब रैली-जुलूस पर पूरी तरह से पाबंदी है तो फ़िर इज़ाज़त भी कैसे दी जा सकती है…) ।  अगर नियम – कायदा सभी के लिए बराबर है तो स्वागत रैली निकालने वालों पर भी एक्शन होना चाहिए ……। नहीं तो उन्हे सबके सामने यह मान लेने में कोई गुरेज़ नहीं होना चाहिए कि – “समरथ का कोई दोष नहीं होता……..।”

बिलासपुर के बाद जांजगीर में भी स्वागत

अब प्रशासन की ओर आते हैं….। प्रभारी मंत्री के स्वागत सत्कार और ताकत की नुमाइश के ठीक बाद ने बिलासपुर जिला कलेक्टर ने कोविड-19  से बचने के लिए नई गाइडलाइन जारी की। जिस गाइडलाइन के पॉइंट नंबर दो पर साफ लिखा है कि सभी प्रकार की सभा ,रैली ,जुलूस, धरना, प्रदर्शन तथा सामाजिक, राजनीतिक, खेल ,सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन प्रतिबंधित रहेंगे । अब सवाल यह है कि जब सभी तरह के प्रदर्शन पर पाबंदी है तो क्या अंबिकापुर प्रशासन की तरह बिलासपुर प्रशासन भी कांग्रेस के प्रभारी मंत्री की स्वागत रैली पर कोई एक्शन लेगा। आम लोग यह सवाल भी कर रहे हैं कि क्या सारे नियम कायदे आम लोगों के लिए हैं और जो लोग नियम कायदे बनाते हैं , उन पर कोई नियम लागू नहीं होता…..। जिस समय लोग तीसरी जानलेवा लहर को लेकर आशंकित और चिंतित हैं ,ऐसे समय में सत्ता दल के लोगों के लिए इस नियम को ऑप्शनल क्यों बना दिया गया….। उन्हें दूध भात के दर्जे में रखने के पीछे की वजह क्या है……..। अगर सरगुज़ा प्रशासन का यह एक्शन सही है, तो उन तमाम लोगों को भी इसके ज़द में लाना चाहिए , जिन्होने किसी आयोजन के लिए सैकड़ों लोगों को इकट्ठा किया हो। शादी के लिए तो फ़िर भी 50 लोगों के शामिल होने की इज़ाज़त है । लेकिन रैली, सभा, जुलूस पर तो पूरी तरह से पाबंदी लगी हुई है। आम आदमी के दिमाग में तो यह सवाल भी उठ रहा है कि कोरोना नाम की महामारी को देखते हुए लोग शादी ब्याह जैसे आयोजन में भी संयम बरत रहे हैं। यह सभी जानते हैं कि शादी जैसा मौका लोगों की जिंदगी में एक बार ही आता है। फिर भी मन मार कर लोग घर परिवार के बीच ही सारी रस्में पूरी कर रहे हैं। अन्य सामाजिक आयोजनों में भी लोग समझदारी दिखाते हुए भीड़ इकट्ठा करने की बजाए वर्चुअल तरीके से औपचारिकताओँ का निर्वहन कर रहे हैं। देश के कई स्थानों में बरसों से चली आ रही पुरानी परंपरा पर भी पहरा लगा हुआ है। ऐसे में राजनीतिक लोग बेपरवाह क्यों दिखाई दे रहे हैं…..।  कोविड गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाते हुए सड़क पर प्रदर्शन करने की क्या मजबूरी है……। जबकि किसी राजनीतिक पार्टी को रैली -प्रदर्शन और ताकत की नुमाइश के लिए किसी पोथी – पत्रा या मुहूर्त को देखने की जरूरत नहीं होती। वो जब चाहे तब रैली निकाल सकते हैं …..। तब इस तरह का आयोजन कर उन्होंने समाज के बीच किस तरह का संदेश दिया है और उस पर तुर्रा यह कि जिला प्रशासन उन्हें छूट क्यों दे रहा है। जबकि सड़क पर खुलेआम प्रदर्शन के आयोजक जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष और जिनके स्वागत के नाम पर यह आयोजन हुआ…… उन पर कार्यवाही क्यों नहीं होनी चाहिए…..। हालांकि लोगों को मालूम है कि सरकार में बैठे लोगों पर हाथ डालने की जुर्रत कोई भी नहीं कर सकता और उन्हें कोई चेतावनी भी नहीं देख सकता। तभी तो बेहयाई की हद यह है कि बिलासपुर के बाद सोमवार को जांजगीर में भी नए प्रभारी मंत्री का कुछ इसी अंदाज में स्वागत सत्कार हुआ। जाँजगीर से मिली तस्वीर भी आप देख़ सकते हैं, जो बताती हैं कि कोविड-19 गाइडलाइन का खुलकर उल्लंघन किया गया है। राजनीतिक हलकों में चर्चा इस बात को लेकर भी है कि पूरे छत्तीसगढ़ में एक-दो को छोड़कर सभी प्रभारी मंत्री बदले गए हैं। किसी भी प्रभारी मंत्री का इस तरह स्वागत नहीं किया गया है। करीब सभी ने अपने जिलों में जाकर कोविड गाइड लाइन के तहत लोगों से मेल मुलाकात की है। लेकिन बिलासपुर /जांजगीर के प्रभारी मंत्री का प्रदर्शन इस सवाल का  भी जवाब तलाश रहा है कि क्या इसके पीछे भी कोई राजनीतिक वजह है या इस बात का एहसास कराना है कि चाहे स्वागत – सत्कार हो या ज़मीन का मामला हो….. नियम – कायद़े को तोड़ने – मरोड़ने से कोई रोक नहीं सकता । चाहे तो विपक्षी पार्टी बीजेपी इसे अपने आरोपों के कन्फर्मेशन के रूप में इस्तेमाल करे…..।

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