मुख्यमंत्री के अनुमोदन से ही दूर हुई आदिवासियों की समस्या..लेकिन वाहवाही क्यों..पूर्व मंत्री बांधी ने कहा… नन्दकुमार साय और केन्द्रीय मंत्री मुंडा ने भी किया प्रयास

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— यह ठीक है कि बिना मुख्यमंत्री के अनुमोदन और प्रयास से आदिवासियों की जाति में मात्रात्मक त्रुटियों की सुधार संभव नहीं है। लेकिन इसमें वाहवाही लेने की जरूरत भी नहीं है। क्योंकि नन्दकुमार साय, अर्जुन मुंडा समेत भाजपा नेताओं ने भी केन्द्र सरकार से पत्रचार कर आदिवासियों की समस्याओं को विस्तार रखा है। यदि श्रेय लेना ही था तो 55 साल राज्य करने के दौरान कांग्रेस नेताओं ने आदिवासियों की समस्याओं को दूर क्यों नहीं किया। आज आदिवासी समाज विकास के मुख्य धारा में शामिल होते। 

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                         भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व मंत्री डॉ.कृष्णमूर्ति बांधी ने कहा…कांग्रेस सरकार में आदिवासी समाज के साथ हमेशा अन्याय हुआ। केन्द्र सरकार ने प्रदेश आदिवासियों के समग्र विकास को लेकर हमेशा सकारात्मक भूमिका का निर्वहन किया है। लेकिन प्रदेश के मुखिया अकेले श्रेय लेना चाहते हैं। जबकि आदिवासियों के हितों के लिए भाजपा के दिग्गज नेता नन्दकुमार साय,केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुण्डा ने हमेशा आवाज बुलन्द किया है। 

                पत्रकारों को डॉ.बाधी ने बताया कि कई आदिवासी भआइयों की जाति में मात्रात्मक और लिपिकीय त्रुटि की शिकायत लम्बे समय थी। इसके चलते आदिवासी समाज के भाईयों को शासन की योजनाओं का का लाभ नहीं मिल रहा था। केन्द्र सरकार ने त्रुटियों को दूर करने का निर्देश दिया। त्रुटि होने से आदिवासी समाज के भआइयों को शासन की योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा। 

                आदिवासी समाज की कुछ जातियों में मात्रात्मक और लिपिकीय त्रुटि को लेकर यदि मुख्यमंत्री ने केन्द्र ससरकार से पत्राचार किया..क्या आदिवासियों की हितों की चिन्ता कर मुख्यमंत्री ने अपराध कर दिया। क्या मुख्यमंत्री के प्रयास के बिना जातियों में आने वाली त्रुटियों को दूर किया जाना संभव है। सवाल के जवाब में भाजपा नेता ने कहा कि राज्य के आदिवासियों की जाति में आने वाली त्रुटियों को मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद ही दूर किया जाना संभव हुआ है। लेकिन  इसमें वाहवाही की कोई बात नहीं है। क्योंकि  भाजपा केआदिवासी नेताओं ने भी त्रुटि सुधार को लेकर केन्द्र सरकार से पत्रव्यवहार किया है।

                         मुख्यमंत्री के पत्र और आदिवासी हित में दिए गए बयान पर इतनी बेचैन क्यों..क्या इसकी वजह आदिवासी समाज में भाजपा की लोकप्रियता में कमी आना तो नहीं है। बांधी ने कहा..ऐसा नहीं है। आदिवासी समाज में भाजपा का जनाधार है। लोकप्रियता घटने का सवाल ही नही उठता है। सरगुजा और बस्तर क्षेत्र में हमेशा भाजपा का झण्डा बुलन्द रहा है। 

                                          क्या यह माना जाए कि चुनाव नजदीक आते ही भाजपा  को आदिवासियों की याद आयी है। बांधी ने बताया कि ऐसा कुछ नहीं है। आदिवासी समाज हमेशा भाजपा के साथ है। लेकिन कांग्रेस काल में आदिवासियों का विकास नही हुआ। यदि होता तो आज आदिवासी समाज विकास के मुख्यधारा में होता।

          ब्लाक का गठन और संविधान की अनुसूचियों में आदिवासियों को महत्व क्या पिछले आठ साल में ही संभव हुआ है। क्या भाजपा नेताओं ने किसी समय आदिवासियों को अलग थलग करने का प्रयास नहीं किया था। सवाल को टालते हुए बांधी ने कहा..इसकी हमें जानकारी नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने आदिवासियों का सम्मान बढ़ाया है।  

            साथ ही बाधी ने दुहराया कि मुख्यमंत्री के बिना अनुमोदन के आदिवासियों की जातियों में दर्ज त्रुटियों को दूर नहीं किया जा सकता है। क्योंकि रिपोर्ट राज्य सरकार को ही देना होता है। और केन्द्र के निर्देश पर सर्वे भी होता है।

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