बिलसापुर—एसबीआर कॉलेज जमीन मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है। दोनो ही पक्ष को विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट में उन्हे न्याय मिलेगा । लेकिन एसबीआर ट्रस्ट का दावा है कि चूंकि लोअर कोर्ट में उनके पक्ष में फैसला हो चुक़ा है। इसलिए पुख्ता दस्तावेज होने के कारण सुप्रीम कोर्ट में भी उन्हे न्याय मिलेगा ।
एसबीआर कॉलेज की सामने की जमीन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में चला गया है। याचिका लगाने वालों से सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्तों में जरूरी दस्तावेज प्रतिवादियों को उपलब्ध कराने को कहा है। जानकारी देते चलें कि मामला सुप्रीम कोर्ट से पहले सिविल कोर्ट और हाईकोर्ट में भी सुना गया है।
एसबीआर कॉलेज़ के वर्तमान ट्रस्टियों के अनुसार 1944 में एसबीआर ट्रस्ट का गठन हुआ। ट्रस्ट का गठन शिवभगवान और रामेश्वुार दयाल बजाज ने बनाया था। परिवार की तरफ से 10 एकड़ जमीन दान में दी गई। 10 एकड़ जमीन के अलावा एसबीआर कॉलेज के सामने की 2.38 एकड़ जमीन 1958 में ट्रस्ट ने खरीदी।
जरहाभाठा स्थित भूमि खसरा नं . 107/3 , 108/3 , 109 कुल 2.38 एकड़ जमीन एसबीआर ट्रस्ट की सम्पति है। जिसका विवरण राजस्व अभिलेखों में दर्ज है । सामने की जमीन का अधिकार ट्रस्ट के पास है। जमीन को ना तो किसी को दान में दिया गया और ना ही इसका व्यावसायिक उपयोग किया गया। मामले की अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई हो रही है।सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष को 2 हफ्ते का समय देते हुए दस्तावेज पेश करने को कहा है। 1 हफ्ते से ज्यादा का समय खत्म हो चुका है।
कॉलेज की 8 एकड़ जमीन पर कब्जा
कॉलेज को दान में जो 10 एकड़ जमीन मिली थी। इसमें से 8 एकड़ जमीन पर कब्जा हो चुका है। कॉलेज के पीछे की 8 एकड़ जमीन पर मिनी बस्ती बस गयी है। ट्रस्ट का आरोप है कि कॉलेज दान की जमीन को बचा नहीं पायी। लोगों ने अतिक्रमण कर घर बना लिया है। जमीन पर मिनी बस्ती बस गयी है। अतिक्रमण करने वालों को कभी हटाने का प्रयास नहीं किया गया। लेकिन कॉलेज के सामने की जमीन जो रोड के किनारे है। कालेज इस जमीन का उपयोग मैदान के रूप में उपयोग कर रहा है। इसी जमीन को लेकर बजाज परिवार में विवाद है।
आगे क्या होगा
बहरहाल दोनो पक्षों को उम्मीद है कि उन्हे न्याय मिलेगा । एसबीआर टस्ट के
ट्रस्टी को विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट सभी दस्तावेजों के अवलोकन के बाद उचित फैसला लेगा।