मौत के बाद भी चला कोरोना का इलाज..स्वास्थ्य विभाग ने किया दबाने का प्रयास..पीड़ित बेटे ने खोली पोल..टीम के सामने पेश किया दस्तावेज

BHASKAR MISHRA
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महादेव अस्पताल बिलासपुर।बिलासपुर— व्यापार विहार स्थित महादेव अस्पताल में डायबिटीज मरीज की कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान मौत और फर्जीवाड़े के मामले गंभीर रूप ले लिया है। मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने टीम का गठन कर जांच का आदेश दिया है। टीम में दो डाक्टरों को भी रखा गाय है। मंगलवार देर शाम मरीज के बेटे का बयान लिया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल प्रबंधन से भी जवाब मांगा है।

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            कोटा निवासी रतनपुर से अवकाश प्राप्त शिक्षक विजय तिवारी को महादेव अस्पताल में भर्ती कराया गया था। प्रबंधन ने बिना जांच मरीज को कोविड-19 उपचार की दवाएं खिलाना शुरू किया। इसी दौरान मरीज विजय तिवारी की मौत हो गई। मरीज का बेटा प्रेम प्रकाश तिवारी ने आरटीआई से पता लगाया कि उसके पिता को मौत के बाद भी दवाइयां दी गयी है।

           सिविल लाइन थाना सीएसपी ने 3 जनवरी को सीएचएमओ पत्र लिखा। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने मामले को दबा दिया। सप्ताह बाद मामले ने जब तूल पकड़ा तो स्वास्थ्य विभाग ने जांच टीम बैठाया। टीम ने विजय तिवारी के बेटे प्रेम प्रकाश तिवारी को बयान के लिए बुलाया। प्रेम ने जांच टीम के सामने दस्तावेज पेश किया। साथ ही अस्पताल प्रबंधन को भी नोटिस जारी किया गया। 

कार्रवाई की मांग

         टीम के सामने बयान देने पहुंचे प्रेम प्रकाश बताया कि पिता को खांसी हुई थी। जांच के बिना ही कोरोना का इलाज किया गया। डायबिटीज होने के बाद  दवाइयां नहीं दी गईं। इलाज में लापरवाही बरतने वाले अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

मौत के बाद कोरोना  इलाज

        बेटे प्रेम प्रकाश तिवारी ने बताया कि पिता शुगर के मरीज थे। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 26 अप्रैल 2021 को उन्हें खांसी आने लगी। सिटी स्केन में कोरोना संक्रमित की आशंका जताई गई। 27 अप्रैल को महादेव अस्पताल में भर्ती कराया। 4 मई को इलाज के दौरान मौत हो गई। आरटीआई से पता चला कि मौत के बाद भी उन्हें दवाइयां दी गयी हैं।

 भाई और पिता की मौत

प्रेमप्रकाश ने बताया कि कोरोना के दूसरी लहर में उसके 36 वर्षीय जवान भाई की अक्टूबर 2021 में मौत हो गई थी। भाई की मौत के बाद पूरा परिवार कोरोना से सतर्क हो गया। शुगर पीड़ित पिता की तबीयत खराब होने पर तत्काल सिटी स्कैन कराया और अस्पताल में भर्ती किया। लेकिन, उन्हें क्या पता था कि अस्पताल में इलाज में लापरवाही बरती जाएगी । पिता की भी मौत हो गयी। 

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