तृतीय श्रेणी शिक्षकों ने तबादलों की मांग को लेकर फिर से शुरू किया आंदोलन, अनिश्चितकालीन धरना शुरू

Shri Mi
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जयपुर। बीते चार सालों से प्रदेश के लाखों तृतीय श्रेणी शिक्षक तबादलों की मांग को लेकर आंदोलन की राह पर समय समय पर नजर आए हैं. प्रदेश की कांग्रेस सरकार के तीन साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तृतीय श्रेणी शिक्षकों को तबादलों की सौगात देते हुए 8 अगस्त से 25 अगस्त तक तबादला आवेदन लिए. प्रदेश के करीब 85 हजार से ज्यादा तृतीय श्रेणी शिक्षकों ने तबादलों के लिए आवेदन किए, लेकिन करीब 9 महीने का समय बीत जाने के बाद भी तृतीय श्रेणी शिक्षकों की तबादला सूची जारी नहीं होने से शिक्षकों में आक्रोश है और तबादला सूची जारी करने की मांग को लेकर आज बड़ी संख्या में शिक्षकों ने शहीद स्मारक पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया. साथ ही तबादला सूची जारी नहीं होने तक आंदोलन की चेतावनी देते हुए मुख्यमंत्री आवास तक के घेराव की चेतावनी दी.

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गौरतलब है कि 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने के साथ ही शिक्षा विभाग में हर वर्ग के तबादले किए गए, लेकिन तृतीय श्रेणी शिक्षकों को तबादलों का इंतजार ही रहा. अगस्त 2021 में शिक्षा विभाग की ओर से तबादलों के लिए आवेदन भी लिए गए, लेकिन 9 महीनों का समय बीत जाने के बाद भी तबादला सूची जारी नहीं होने से शिक्षकों में आक्रोश है. वहीं, बीते दिन शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला द्वारा नई तबादला नीति आने के बाद नये सिरे से तबादला आवेदन लेने के बयान के बाद शिक्षकों में आक्रोश और बढ़ता जा रहा है.

शिक्षकों ने आरोप लगाते हुए कहा कि “पिछले 4 सालों में शिक्षा विभाग में हर वर्ग के तबादले हुए हैं, लेकिन तृतीय श्रेणी शिक्षकों को ही तबादलों से वंचित रखा गया है. दूसरी ओर जब भी तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों की बात आती है तो शिक्षा विभाग और सरकार तबादला नीति की बात करना शुरू कर देती है. जबकि अन्य किसी के तबादलों के लिए कोई नीति की जरुरत नहीं है. सरकार और शिक्षा विभाग हर बार तृतीय श्रेणी शिक्षकों को सिर्फ आश्वासन ही देती आई है, लेकिन इस बार आर-पार की लड़ाई के साथ आंदोलन की शुरूआत की है. जब तक तबादला सूची जारी होने के आदेश नहीं हो जाते हैं तब तक शहीद स्मारक पर आंदोलन किया जाएगा साथ ही जरुरत पड़ी तो मुख्यमंत्री आवास के घेराव के लिए कूच करने से भी शिक्षक पीछे नहीं रहेंगे.”

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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