बृजमोहन अग्रवाल का सवाल, क्या प्रदेश सरकार ने रेत माफियाओं की मौज के लिए इस बार समोदा बैराज को सूखा रखा है?

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रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री और विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने महासमुंद और रायपुर ज़िले की सीमा रेखा पर प्रवाहित महानदी पर स्थित समोदा बैराज को खाली रखे जाने पर प्रदेश सरकार की नीयत पर सवाल उठाया है। श्री अग्रवाल ने कहा कि समोदा बैराज को खाली रखे जाने पर प्रदेश सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए क्योंकि एक तो इससे महानदी के दोनों तरफ के करीब 40 गांवों के किसान और आम लोग परेशान हैं, बैराज के सूखने से भू-जल स्तर में भारी गिरावट आई है, सैकड़ों बोर निष्क्रिय हो गए हैं, सैकड़ों एकड़ खेतों की रबी फसल सूखने के कग़ार पर है, नलकूप भी ठप हो रहे हैं, अनेक निस्तारी तालाबों में बूंद भर पानी नहीं बचा है; वहीं दूसरी ओर रेत माफियाओं की मौज हो गई है और जिस समोदा बैराज में विपुल जलभराव के कारण रेत का उत्खनन नहीं हो पाता था या बहुत मुश्किल होता था, उन रेत घाटों से धड़ल्ले से रेत निकाली जा रही है।

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भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री श्री अग्रवाल ने जानना चाहा है कि क्या प्रदेश सरकार ने रेत माफियाओं की मौज के लिए इस बार समोदा बैराज को सूखा रखा है? प्रदेश सरकार को यह साफ़ करना चाहिए कि जब बैराज में कहीं कोई काम नहीं चल रहा है और न ही कोई बड़ा कार्य प्रस्तावित है, तो पिर बैराज को खाली रखने की जरूरत क्यों आ पड़ी? श्री अग्रवाल ने कहा कि इस वर्ष उक्त बैराज में पानी भरने ही नहीं दिया गया और जो पानी भरा था उसे भी करीब डेढ़ महीने पहले छोड़ दिया गया। यह साफ नज़र आ रहा है कि समोदा बैराज के खाली होने का फायदा केवल रेत माफियाओं को मिल रहा है। तो क्या रेत माफियों को फायदा पहुंचाने के लिए ही समोदा बैराज का पानी खाली कर दिया गया? श्री अग्रवाल ने कहा कि महासमुंद और रायपुर जिले की सीमा रेखा पर बहती महानदी अपने पानी से जहां रायपुर जिले के हजारों एकड़ खेतों की फसलों को सींचती है, वहीं महासमुंद जिले में अपने तट से 10-15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले करीब 30-40 गांवों में भू-जल स्तर को उच्च स्तर पर बनाए रखती है।

महानदी पर बने निसदा और समोदा बैराज में होने वाले विपुल जलभराव के कारण नदी के दोनों किनारों के करीब 60 गांवों में भीषण गर्मी के दिनों में भी ट्यूबवेल भरपूर पानी देते रहे हैं। लेकिन इस बार स्थिति उलट हो गई है। समोदा बैराज जो गर्मी में भी लबालब भरा रहता था आज उसका पानी तलहटी में सिमट गया है। क्योंकि इस बार बैराज के गेटों को लगातार खुला रखा गया और पानी को नदी में बह जाने दिया गया।

भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री श्री अग्रवाल ने बैराज के खाली होने से भू-जल स्तर में अचानक आई गिरावट को चिंताजनक बताते हुए कहा कि इसके चलते सैकड़ों ट्यूबवेल या बंद हो गए हैं या फिर कभी भी बंद हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में हजारों एकड़ रकबे में लगी धान की रबी फसल सूख कर मरने के कग़ार पर है। अछोला, अछोली, गढ़सिवनी, बोरिंग, जोबा, नयापारा, अछरीडीह, बड़गांव, बिरकोनी, घोड़ारी, खट्टी, कांपा, बेलटुकरी आदि गांवों के किसानों की रबी सीजन की खेती ट्यूबवेलों के भरोसे ही हो पाती है। पानी के अभाव में खेतों में पड़ी दरारों और सूखती, पीली पड़ती फसलों को देखकर किसान आंसू बहा रहे हैं। पानी के बिना फसल की तबाही तो तय है, गांवों में पीने के पानी के लिए भी तकलीफ होने लगी है। पेयजल के लिए स्थापित अनेक सार्वजनिक हैंडपंप, नलकूप और निजी घरेलू बोर भी इस बार ठप हो गए हैं या हाँफने लगे हैं। गांवों के तालाब भी सूख गए हैं, जिससे निस्तारी का संकट भी छाने लगा है।

श्री अग्रवाल ने कहा कि अभी तो गर्मी की शुरुआत है, आने वाले दिनों में हाहाकार की स्थिति हो सकती है। श्री अग्रवाल ने कहा कि समोदा बैराज को खाली रखे जाने से मौज केवल रेत माफियाओं की है। रेत माफिया महानदी से दिन-रात रेत निकाल रहे हैं। समोदा बैराज में उसकी क्षमता के अनुरूप 16 फीट तक जलभराव होता था, तब बैराज से बड़गांव, बरबसपुर, पारागांव रेत घाट तक नदी में पानी भरा होता था। अबकी बार बैराज खाली और नदी सूखी है, तो रेत की लूट मची है।

भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री श्री अग्रवाल ने कहा कि महानदी की छाती पर जेसीबी और चेन माउंटेन मशीनें दिन-रात घड़घड़ा रही हैं। बरबसपुर, बड़गांव, पारागांव में नियमों को ताक पर रखकर स्वीकृत स्थान से हटकर पूरी नदी से रेत उत्खनन किया जा रहा है। महानदी के दोनों तटों की ओर से रेत की लूट मची है। रोज हजारों ट्रक रेत निकाली जा रही। जितनी डिमांड है उससे कई गुणा अधिक रेत निकालकर जगह-जगह रेत का अवैध भंडारण भी किया जा रहा है। काफी दबाव के बाद रेत के भंडारण के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू हुई है। श्री अग्रवाल ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि महासमुंद जिला मुख्यालय से महज़ 15 किलोमीटर दूर बिरकोनी, बरबसपुर, बड़गांव, घोड़ारी आदि गांवों में बेधड़क अवैध स्टॉक कर रेत के पहाड़ रचे जा रहे हैं।

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि रेत माफियाओं को फायदा पहुंचाने लिए और उनके आकाओं के इशारे पर ही बैराज का पानी छोड़ दिया गया है। प्रशासन के अधिकारियों साथ ही सत्तारूढ़ दल से संबद्ध क्षेत्र के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों पर भी रेत माफियाओं से मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं। प्रदेश सरकार को इस पूरे मामले की जाँच करानी चाहिए और क्षेत्र के किसानों व आम लोगों को राहत पहुँचाने के साथ ही रेत माफियाओं पर नकेल कसने के पुख़्ता इंतज़ाम करने चाहिए।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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