बिलासपुर के वो तीन कलेक्टर और सूबे के तीन चीफ़ सेक्रेटरी…अज़ब इत्तफ़ाक

Shri Mi
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(रुद्र अवस्थी)बिलासपुर के साथ गहरा नाता रखने वाले छत्तीसगढ़ सरकार के चीफ सेक्रेटरी आरपी मंडल रिटायर हो गए । उनकी जगह अमिताभ जैन को चीफ सेक्रेटरी की कमान सौंपी गई है । यह भी अजब इत्तेफाक है कि छत्तीसगढ़ में लगातार तीन बार ऐसे अफसरों को चीफ सेक्रेटरी बनाया गया है ,जो कभी ना कभी बिलासपुर जिले के कलेक्टर रह चुके हैं । बल्कि तीनों एक के बाद एक बिलासपुर जिले के ही कलेक्टर रह चुके हैं और कलेक्टोरेट में लगी कलेक्टरों की लिस्ट में तीनों के नाम सिलसिलेवार दर्ज़ हैं। आरपी मंडल से पहले सुनील कुजुर छत्तीसगढ़ के चीफ सेक्रेट्री थे । सुनील कुजुर छत्तीसगढ़ बनने के बाद अजीत जोगी के शासनकाल में बिलासपुर के कलेक्टर बनाए गए थे । उनके तबादले के बाद आर पी. मंडल ने बिलासपुर कलेक्टर का चार्ज सुनील कुजुर से लिया था । 

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2003 के चुनाव के दौरान आर पी. मंडल का तबादला हो गया ।  तब अमिताभ जैन ने आरपी मंडल से बिलासपुर कलेक्टर का चार्ज लिया था और अमिताभ जैन कुछ दिन बिलासपुर के कलेक्टर रहे  । यह इत्तेफाक है कि चीफ सेक्रेटरी के हैंडोवर – टेकन ओवर में भी बिलासपुर जिले का यही सिलसिला दोहराया गया । चीफ सेक्रेटरी पद पर से रिटायर होने के बाद सुनील कुजुर से आरपी मंडल ने चार्ज लिया और आर पी. मंडल के रिटायर होने पर अमिताभ जैन ने उनसे पदभार ग्रहण किया । ज़ाहिर सी बात  है कि सूबे के चीफ़ सेक्रेटरी ऑफ़िस की लिस्ट में भी तीन नामों की वही लिस्ट सिलसिलेवार होगी जो बिलासपुर कलेक्टोरेट की सूच़ी में तीन कलेक्टरों ( सुनील कुज़ूर – आर.पी.मंडल – अमिताभ जैन )  के साथ सिलसिलेवार जुड़ी हुई है।

किसानों के नाम पर सियासत

सियासत कहीं भी अपनी जगह बना लेती है । हर मुद्दे पर दखल के लिए उसे कहीं ना कहीं जगह मिल ही जाती है ।  इन दिनों किसानों को लेकर सभी जगह सियासत गर्माई हुई है । राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए तीन कृषि बिलों के विरोध में पंजाब -हरियाणा सहित उत्तर भारत के कई प्रदेशों के किसान दिल्ली के आस पास जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं । जिसकी चर्चा बनी हुई है । अपने छत्तीसगढ़ में इस बिल की चर्चा भले ही अधिक ना हो ….। लेकिन धान खरीदी के सीजन की शुरुआत के साथ ही सियासत भी शुरू हो गई है । सरकार की ओर से हर साल की तरह इस साल भी 1 दिसंबर से धान खरीदी का महा अभियान शुरू किया गया है।  साथ ही धान के अवैध परिवहन पर रोक लगाने के लिए सरहदी इलाकों में निगरानी भी शुरू कर दी गई है ।  जाहिर सी बात है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में धान खरीदी के मुद्दे पर आखिरी दौर में जो हवा बनी, उससे प्रदेश में कांग्रेस सरकार की जीत का रास्ता आसान हो गया था ।

अब कांग्रेस की ओर से किसानों को इस बात का एहसास भी कराया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पार्टी ने अपना चुनावी वादा निभाया  । इसी के चलते कई जगहों पर धान खरीदी की शुरुआत और ने खरीदी केंद्रों के उद्घाटन के दौरान कांग्रेस नेताओं – पदाधिकारियों की मौजूदगी में जलसे किए जा रहे हैं  । उधर विरोधी पक्ष की ओर से भी धान के मुद्दे को जिंदा रखने की कोशिश लगातार जारी है ।  एक तरफ जहां कांग्रेस ने धान खरीदी पर नजर रखने के लिए कमेटियां बनाई है । वही विरोधी पार्टियों की भी कमेटियां बन गई है । जो इस बात पर नजर रख रही है कि धान खरीदी में किसानों को किसी तरह की दिक्कत ना हो । साथ ही धान खरीदी के दौरान पिछले साल की बकाया राशि के भुगतान का मुद्दा भी उठाया जा रहा है।  बहरहाल मुद्दों की कमी दोनों तरफ नहीं है ।  सियासत भी चल रही है ।  लेकिन किसानों के लिए सिर्फ यही बात अहम है कि उन्हें अपनी उपज का सही दाम मिले और किसी तरह की दिक्कत ना हो…। इसके लिए ईमानदारी से इंतज़ाम होना चाहिए ।

एमएलए और गृह मंत्री के बीच यह कैसा संवाद….?

बिलासपुर के विधायक शैलेश पांडे ने छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू की मौजूदगी में हुए एक कार्यक्रम के दौरान बिलासपुर  में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाए थे और थानों में रेट लिस्ट तक की बात कर दी थी । बात आई -गई -पुरानी भले ही हो चली है  । लेकिन यह मामला अभी भी ठंडा नहीं पड़ा है और जहां हवा मिलती है वहां चिंगारी फिर से धीरे-धीरे सुलगने लगती है।  बिलासपुर जिले के प्रभारी और प्रदेश के पीडब्ल्यूडी – गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के बिलासपुर दौरे के समय भी इस मुद्दे पर फिर से चर्चा छिड़ गई । संवाददाताओं से बातचीत के दौरान जब यह सवाल उठा तो होम मिनिस्टर भी असहज नजर आए । अव्वल तो उन्हें यह बात ही याद नहीं रही कि बिलासपुर विधायक ने किसी जलसे के दौरान कानून व्यवस्था या थाने में रेट लिस्ट की बात की थी । फिर उन्हें याद दिलाया गया तो जवाब में उनका कहना था कि उन्होंने विधायक को व्यक्तिगत रुप से इसकी शिकायत करने को कहा था ।  लेकिन विधायक ने न तो मौखिक या लिखित कोई जानकारी इस बारे में नहीं दी है।  उनका यह भी कहना था कि बिलासपुर विधायक को छोड़कर और किसी ने भी पुलिस थाने में रेट लिस्ट की बात सामने नहीं लाई है।  सरकार के गृह मंत्री और उनकी ही पार्टी के एमएलए के बीच इस तरह के संवाद से सवाल और भी गहरे होते दिखाई दे रहे हैं।  जिनके जवाब की उम्मीद लोगों को दोनों से है ।

सिम्स में मिलेगी एमआरआई और सिटी स्केन की सुविधा

बिलासपुर शहर के लोगों के लिए यह अच्छी खबर है कि छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान ( सिम्स)  में जल्दी ही एमआरआई और सीटी स्कैन की सुविधा लोगों को मिल सकेगी और गंभीर मरीजों को निशुल्क इलाज का लाभ मिल सकेगा ।  चारों तरफ फैले प्राइवेट अस्पतालों और आधुनिक सुविधाओं का दावा करने वाले संस्थानों के होते हुए भी बड़ी तादाद में लोग इलाज के लिए सिम्स के भरोसे हैं । उन्हें हमेशा ही उम्मीद रहती है कि आम लोगों की आशा के केंद्र इस अस्पताल में सभी तरह की सुविधाएं मिले । जिससे जरूरत पड़ने पर लोगों को इसका लाभ मिल सके । सरकार की ओर से भी इस अस्पताल की बेहतर सुविधा के लिए सरकारी खजाने से लाखों करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं और आगे भी कई योजनाएं पाइपलाइन में हैं । इसके बावजूद अगर इस अस्पताल का नाम बदहाली व बदइंतज़ामी या लोगों को होने वाली असुविधाओं की वजह से सुर्खियों में रहता है तो उन लोगों का चिंतित होना लाजिमी है जो समाज के कमजोर और जरूरतमंद तबके के लोगों के इलाज के लिए फिक्रमंद रहते हैं । लिहाजा सब कुछ किनारे कर इस अस्पताल को बेहतर बनाने के लिए ईमानदार कोशिशों की जरूरत है।  उम्मीद की जानी चाहिए कि नई मशीनों और उपकरणों के साथ ही जरूरतमंद लोगों की भावनाओं का भी कद्र किया जाएगा । अब ऐसी पहल की उम्मीद भी आम लोग कर रहे हैं ।

हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति का अखंड धरना आंदोलन

देश के महानगरों से बिलासपुर को हवाई सुविधा से जोड़ने की मांग को लेकर हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति का अखंड धरना आंदोलन लगातार जारी है ।  इस आंदोलन का विस्तार करते हुए शहर के कई हिस्से में नुक्कड़ सभाएं भी आयोजित की जा रही है।  जिसके जरिए लोगों तक यह बात पहुंचाई जा रही है कि बिलासपुर में हवाई सुविधा क्यों जरूरी है और इसे लेकर फिर से ऐसे जन आंदोलन की जरूरत है,  जिसके जरिए व्यवस्था के जिम्मेदार लोगों को जगाया जा सके ।  इस बीच हाई कोर्ट में भी केंद्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि बिलासपुर- भोपाल उड़ान का शेड्यूल जारी किया जाए और जगदलपुर की तरह बिलासपुर से उड़ान की अनुमति 3 सी  लाइसेंस आने के पहले ही दिए जाने की संभावनाओं पर आवश्यक कार्यवाही की जाए ।  अदालत ने इस बात का भी जिक्र किया है कि बिलासपुर 3 सी  से संबंधित सारे आवश्यक कार्य पूरे किए जा चुके हैं । हाई कोर्ट ने यह आदेश हाई कोर्ट प्रैक्टिसिंग एडवोकेट बार एसोसिएशन की ओर से पेश की गई याचिका की सुनवाई के दौरान दिए । इस याचिका में अनुरोध किया गया था कि चकरभाटा हवाई अड्डे के 3सी लाइसेंस की अनुमति मिलने में हो रही देरी को देखते हुए बिलासपुर से उड़ान शुरू करने में देरी हो सकती है ।  इसे देखते हुए न्यायालय से निवेदन किया गया कि जगदलपुर की तरह 2जी लाइसेंस रहते हुए बिलासपुर – भोपाल उड़ान की अनुमति दी जानी चाहिए।।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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