विधानसभा चुनाव 2023 की टिकट को लेकर अभी से क्यों शुरू हुई ज़ुबानी ज़ंग.? कांग्रेस / BJP के चुनावी समीकरण पर एक नज़र

Shri Mi
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( रुद्र अवस्थी ) छत्तीसगढ़ में चुनाव का साल शुरू हो गया है और पिछले हफ़्ते की कई ख़ब़रों का नाता चुनाव से जुड़ता रहा है…। इन ख़ब़रों की वज़ह से चुनावी टिकट पर भी चर्चा छिड़ गई है….। टिकट को लेकर पिछले हफ्ते जो बातें हुई उनके पीछे की खबरों के ज़रिए यह भी समझने की कोशिश शुरू हो गईं हैं कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस / भाजपा के विधायकों और दावेदारों की टिकट को लेकर अभी से क्या बातें हो रही हैं……। और इन बातों को आगे बढ़ाने की कोशिश करें तो शायद यह समझना आसान होगा कि आने वाले दिनों में किस तरह की तस्वीर बन सकती है।

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तंज में ही सही… लेकिन भाजपा के विधायकों औऱ दावेदारों की टिकट को लेकर क्या कहा…. ? राजधानी में चल रहे भाजपा के धरना प्रदर्शन का जिक्र आने पर उन्होंने यह बात कही। उनका कहना था कि छत्तीसगढ़ बीजेपी के नेता अपनी टिकट बचाने के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस सिलसिले में उन्होने याद किया कि किस तरह छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में सारे सांसदों की टिकट काट दी गई थी और गुजरात में पूरी सरकार बदल दी गई थी । शो में हम इस पर आगे बात करेंगे।

लेकिन उसके पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के एक और बयान का जिक्र जरूरी है, जो उन्होंने कांग्रेस के विधायकों के परफॉर्मेंस को लेकर कही थी। जिसमें उन्होंने संकेत दिया था कि भेंट मुलाकात – कार्यक्रम के दौरान विधायकों को भी उनके काम बताए जा रहे हैं औऱ यह भी बता रहे हैं कि अभी क्या काम करना बाकी है। अगर हालात बेहतर हो गए तो पार्टी उनकी टिकट क्यों काटेगी …. ? और अगऱ हालात नहीं सुधरे तो पार्टी विचार करेगी।बीजेपी विधायकों और दावेदारों की टिकट को लेकर सीएम के ब़ायन पर बीजेपी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है।

इन बायनों से लगने लगा है कि छत्तीसगढ़ में चुनाव का साल शुरू हो गया है और इसके साथ ही चुनाव मैदान में उतरने वाले दिग्गजों की टिकट पर भी बात शुरू हो गई है। यह इत्तेफ़ाक है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयानों से उनकी अपनी पार्टी कांग्रेस के साथ ही प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी उम्मीदवारों की टिकट का मामला भी चर्चा में आ गया है।

इन बयानों को सामने रखकर यह समझने की कोशिश करते हैं कि विधानसभा चुनाव में सत्ता पक्ष कांग्रेस के विधायकों और टिकट के दावेदारों को लेकर आगे किस तरह की संभावना दिखाई दे रही है। छत्तीसगढ़ में 2018 के चुनाव में कांग्रेस को बड़ी कामयाबी मिली थी। उस समय 90 में से 68 सीटें कांग्रेस की झोली में गई थी। उसके बाद के उपचुनाव में भी जीत हासिल कर कांग्रेस ने अपने विधायकों की गिनती 70 से भी अधिक पहुंचा दी है। जाहिर सी बात है कि इतनी बड़ी संख्या में विधायकों की टिकट को लेकर कांग्रेस क्या फ़ैसला करेगी … ?

इस सवाल के ज़वाब का लोग अभी से दिलचस्पी के साथ इंतज़ार कर रहे हैं..।और इस तरह के सवाल भी सियासी फ़िजां में घुमड़ रहे हैं कि इस बार चुनाव मैदान में उतरने का मौक़ा किसे मिलेगा… ? पहले तो लोग यही जानना चाह रहे हैं कि कितने मौज़ूदा विधायकों को फिर से टिकट मिल पाएगी। इस लिहाज से सीएम भूपेश बघेल का बयान अहम है। जिन्होंने संकेत दिया है कि भेंट- मुलाकात कार्यक्रम के जरिए वे एक तरफ सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत को समझने की कोशिश कर रहे हैं।

इसी दौरान क्षेत्र के विधायकों के कामकाज पर भी नजर बनी हुई है। उन्होंने साफ कहा कि जहां जहां जा रहे हैं.. वहां विधायकों को बताया जा रहा है कि यह काम अभी और करना है । अगर स्थिति बेहतर हो गई तो पार्टी उनकी टिकट क्यों काटेगी …… ? और अगर हालात नहीं सुधरे तो पार्टी टिकट पर विचार करेगी।

ऐसे में स्वाभाविक रूप से कांग्रेस के कई विधायकों की टिकट पर सवालिया निशान लग गए हैं । मौज़दा विधायकों के परफार्मेंस की बात चली तो कांग्रेस में टिकट के नए दावेदारों ने भी अपने तरीके से जोर आजमाइश शुरू कर दी है। वैसे भी कांग्रेस में उम्मीदवारों के चयन का अपना तरीका है और इसकी शुरुआत के लिए अभी काफी वक्त है। लेकिन दावेदार भी अपनी टिकट की चाहत को जाहिर करें …. इसके लिए मौसम बनने लगा है।

लेकिन बीजेपी टिकट के दावेदारों की बात करें तो तंज़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जो बात कही है, उसे ही आगे बढ़ाया जा सकता है…।जिसमें उन्होंने कहा कि भाजपा ने जिस तरह पिछले लोकसभा चुनाव में सभी सांसदों की टिकट काट दी थी, उसी तरह विधानसभा में भी वे वह अपने मौजूदा विधायक और पूर्व विधायकों की टिकट काटने जा रही है । यह बात उन्होंने राजधानी में रायपुर में चल रहे भाजपा नेताओं के धरना प्रदर्शन को लेकर कहीं। जवाब बीजेपी के तरफ से भी आया है ।

जिसमें सांसद सुनील सोनी ने कहा कि दरअसल कांग्रेस भाजपा के आंदोलन और प्रदर्शन से कांग्रेस घबरा गई है। सीएम और कांग्रेस नेता अपनी चिंता करें। क्योंकि जनता उन्हें चुनाव में सबक सिखाने वाली है । उनका यह भी कहना था कि बीजेपी पूरी ताकत से मैदान में है और विधानसभा का चुनाव जीत रही है। लेकिन कांग्रेस नेता अगर बीजेपी की टिकट को लेकर तंज़ कर रहे हैं , तो यह मौक़ा भी उन्हे पार्टी ने ही दिया है…।

छत्तीसगढ़ बीजेपी में हाल के दिनों में चली बदलाव की ब़यार ने भी इसे हवा दी है। पार्टी ने छत्तीसगढ़ में थोड़े ही दिनों के अँदर अपने प्रदेश प्रभारी से लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का भी चेहरा बदल दिया है। बदलाव का यह सिलसिला आगे भी चलता रहेगा… इसके संकेत शुरू से ही मिलते रहे हैं।लोग तो मान रहे हैं कि बदलाव का यह सिलसिला उम्मीदवारों की लिस्ट तक़ भी पहुंच सकता है….। माना जा रहा है कि पार्टी इस बार बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट में बड़ी तादाद में नए चेहरे नजर आए तो हैरत की बात नहीं होगी।

चर्चाओँ को हवा मिल रही है…. क्योंकि बीजेपी ने इस तरह के फैसले पहले भी किए हैं। गुजरात में बीजेपी ने मुख्यमंत्री सहित पूरा कैबिनेट ही बदल दिया था और इस प्रयोग के बाद पार्टी को विधानसभा चुनाव में जबरदस्त कामयाबी मिली थी। छत्तीसगढ़ भी एक उदाहरण है ।जहां 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले उस समय के भाजपा सांसदों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की चर्चा जोरों पर थी। इसकी काट पेश करते हुए बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में सभी ग्यारह सीटों पर नए उम्मीदवार पेश कर दिए। यहां तक की उस समय के केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह की भी टिकट काट दी गई थी।

इस प्रयोग से छत्तीसगढ़ में भी उसे कामयाबी मिली। बीजेपी ने छत्तीसगढ़ की लोकसभा की 11 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की। इस लिहाज से बीजेपी का यह फार्मूला टेस्टेट हो चुका है। हाल के दिनों में गुजरात में जबरदस्त कामयाबी मिलने के बाद यह बात बार-बार कही जा रही है कि छत्तीसगढ़ में भी गुजरात का फार्मूला लागू किया जा सकता है।

हालांकि कई नेता मानते हैं कि पार्टी में पुराने चेहरों की जगह पूरी तरह से नए चेहरे सामने लाने का फैसला जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे में कोई मिक्स फार्मूला लाया जा सकता है। जिसमें कुछ पुराने चेहरे शामिल किए जाएं और बाकी सीटों पर नए चेहरे पेश किए जाएं। ऐसी सूरत में छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में से 75 से अधिक सीटें सीटों पर नए उम्मीदवार पेश किए जा सकते हैं।

ऐसे गुणा – भाग सामने आने पर छत्तीसगढ़ बीजेपी की राजनीति में अब तक अपनी ख़ास पहचान रखने वाले पुराने चेहरों पर भी सवाल चस्पा हो रहे हैं और टिकट का फैसला आने वाले वक्त पर छोड़ने के अलावा उनके सामने और कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है।

कुल मिलाकर नए साल के शुरूआती हफ़्तों में ही संकेत मिलने लगे हैं कि छत्तीसगढ़ में इस बार चुनावी मुक़ाबले से पहले टिकट का मुक़ाबला भी दिलचस्प हो सकता है। सियासत में दिलचस्पी रखने वालों की इस पर नज़र रहेगी ही…। आगे क्या- क्या होता है….. हम भी देखते रहेंगे और आपको बताते भी रहेंगे….।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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