बिलासपुर—-राज्य में कोयला संकट का दबाव बनाकर परसा कोल ब्लाक जबरन हासिल करने की कोशिशों के खिलाफ हसदेव अरण्य के आदिवासियों ने राजस्थान सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया है। आदिवासियों ने रैली निकालकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अडानी कंपनी का पुतला जलाया है। साथ ही अन्याय के खिलाफ भयंकर आंदोलन की चेतवानी भी दी है।
जानकारी देते चलें कि पिछले कुछ दिनों से राजस्थान के मुख्यमत्री अशोक गहलोत पत्रों के माध्यम से राजस्थान में कोयला संकट का हवाला दे रहे है। साथ ही हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा कोयला ब्लाक की वन स्वीकृति देने छत्तीसगढ़ सरकार पर दवाब बना रहे हैं। दबाव के खिलाफ हसदेव अरण्य क्षेत्र के ग्राम फतेहपुर हरिहरपुर और साल्ही के आदिवासियों ने रैली निकालकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अडानी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की है। सभी आदिवासियों ने राजस्थान मुख्यमंत्री और अडानी का पुतला जलाया है।
मुख्यमंत्री से उठा भरोसा
रैली और पुतला दहन कार्यक्रम में सैकड़ो की संख्या में शामिल महिलाओं ने कहा कि पिछले 5 वर्षों से परसा कोल खनन परियोजना के खिलाफ लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है। ग्राम सभाओं के विरोध, कानून के दरवाजे खटखटाने के बाद भी न्याय नहीं मिल रहा है। लेकिन हसदेव के आदिवासी अपने जंगल- जमीन- गांव- पर्यावरण बचाना जानते हैं। हमने जंगल को बचाने के लिए ही 300 किलोमीटर की पदयात्रा कर रायपुर में सीएम को आदिवासियों की पीड़ा को रखा है।
मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी न्याय नहीं मिला। दो महीना गुजरने के बाद भी फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव पर अब तक जांच नहीं हुई है। ना ही किसी के खिलाफ कार्यवाई हीं हुई है। बल्कि सात दिनों के अन्दर ही राज्य सरकार की सहमति से केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने वन स्वीकृति का आदेश जारी कर दिया ।
सरपंच जयनन्द पोर्ते ने बताया कि अशोक गहलोत अपने आंका अडानी के लिए मिलीजुली कुश्ती लड़ रहे हैं। कोयला संकट का माहौल तैयार कर खनन शुरू करना चाह रहे हैं। राज्य सरकार का पक्ष सिर्फ मीडिया के माध्यम से सामने आ रहा है। मीडिया से जानकारी मिल रही है कि राज्य सरकार आदिवासियों के साथ हैं। लेकिन एक भी कागजी निर्णय हसदेव के आदिवासियों के पक्ष में अब नही चलाया गया है। उल्टा ICFRE ड्राफ्ट रिपोर्ट अडानी के पक्ष में दिया है।
रैली..फिर पुतला जलाया
रैली और पुतला दहन कार्यक्रम में शामिल नाराज आदिवासी महिलाओं ने कहा कि अब हसदेव के आदिवासी अपनी लड़ाई अपने दम पर लड़ेंगे। देखते हैं कि कौन कोयला खनन कनरे आता है। हम किसी भी कीमत पर अपनी बिरासत को नहीं छोड़ने वाले।चाहे हमे मार दिया जाए या फिर जेल ही क्यों न भेजा जाए। हम अपनी जमीन जंगल नही छोड़ेंगे।
नहीं छोड़ेंगे पुरखों की विरासत
ग्राम साल्ही के आनंद राम खुसरो ने कहा कि यदि सरकारें यदि हमसे जबरन जमीन जंगल छीनने की कोशिश करेंगी तो में अपने महिला बच्चो के साथ जेल जाने तैयार है लेकिन अपने गाँव में अडानी कम्पनी को घुसने नही देंगे l उन्होंने कहा कि यह जंगल जमीन हमारी है, हमारे देवी देवता इसमें बसते है, हमारे पुरखों की मेहनत से बसाए गाँव हम कैसे उजड़ने देंगे?
सरकार की मंशा ठीक नहीं
ग्रामीणों ने कहा कि राजस्थान सरकार को 10 मिलियन टन कोयला प्रतिवर्ष निकालने की अनुमति के साथ परसा ईस्ट केते बासेन कोयला खदान आवंटित हुई थी l वर्ष 2018 में इसकी क्षमता भी 15 मिलियन टन हो गई है l अभी कम्पनी ने इसे 21 मिलियन टन बढाने पर्यावरण मंत्रालय में आवेदन लगाया है l इसके वाबजूद भी राजस्थान और नई कोयला खदाने क्यों खोलना चाहता है ? राजस्थान चाहे तो सस्ते दर पर कोल इण्डिया से कोयला खरीद सकता हैं क्योंकि अडानी कम्पनी से तो महंगे दर पर कोयला खरीद रहा है । दरअसल हसदेव से ही कोयला इसलिए निकालना है क्यूंकि इसके खनन का अनुबंध अडानी समूह के पास है और उसे खनन से हजारों करोड़ का अनुचित मुनाफा पहुचाया जा रहा है l
पांचवी अनुसूची का उल्लंघन
बताते चलें कि परसा कोल ब्लाक की जमीन अधिग्रहण कोल बेयरिंग एक्ट 1957 से हो रहा हैं वह भी बिना ग्रामसभा सहमती लिए जबकि यह क्षेत्र संविधान की पांचवी अनुसूची में शामिल है l प्रस्तावित खनन क्षेत्र की सीमा में 841 हेक्टेयर वन भूमि के व्यपवर्तन की स्वीकृति भी केन्द्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय के द्वारा 21 अक्टूबर को जारी की गई थी जबकि प्रभावित गाँव की ग्रामसभाओ ने खनन का सतत विरोध किया है।