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Unified Pension Scheme : OPS, NPS के बाद अब UPS, आखिर सरकार ने अपने खजाने पर बोझ डाले बिना कर्मचारियों को राहत देने का कैसे लिया फैसला

Unified Pension Scheme :हाल में हुए लोकसभा और विधानसभा के चुनाव के दौरान सरकारी कर्मचारी केंद्र सरकार से खफा नजर आए और इसकी सबसे बड़ी वजह OPS थी जिसकी मांग को लेकर लगातार कर्मचारी संघ आंदोलन कर रहे थे या फिर सरकार से बातचीत का रास्ता तलाश रहे थे।

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Unified Pension Scheme : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को यह बात बेहतर तरीके से समझ में आ रही थी कि अगर कर्मचारियों की इस मांग पर विचार नहीं किया गया तो यह आंदोलन के स्तर तक जा सकता है। ओपीएस की जगह NPS(राष्ट्रीय पेंशन योजना) जब 1 जनवरी 2004 में लागू की गई तो विरोध के स्वर इसको लेकर तभी से उठने लगे थे।

Unified Pension Scheme : इस सब के बीच कर्मचारियों के गुस्से को देखते हुए सबसे पहले आंध्र प्रदेश ने गारंटीड पेंशन सिस्टम (जीपीएस) को मंजूरी दी जो पुरानी और नई Pension स्कीम का मिश्रण जैसा था। आंध्र प्रदेश गारंटीड पेंशन सिस्टम विधेयक 2023 में इस बात को दर्शाया गया कि यह अंशदायी योजना गारंटी देगी कि सरकारी कर्मचारियों को उनके अंतिम सैलरी का 50 फीसदी, मासिक पेंशन के रूप में दिया जाएगा, इसमें महंगाई भत्ता राहत भी शामिल होगा।

Unified Pension Scheme : इसके बाद कई राज्यों में सरकारें इसी को आधार बनाकर एक नई व्यवस्था के तहत कर्मचारियों को जोड़ने की कवायद में लग गई थी। आंध्र प्रदेश गारंटीड पेंशन सिस्टम को कई राज्यों में समझने के लिए कमेटी का भी गठन किया गया था।

ऐसे में अब जब सरकार नई व्यवस्था के तहत OPS के काट के तौर पर यूपीएस यानी यूनिफाइड पेंशन स्कीम लेकर आई तो इसमें आंध्र प्रदेश की गारंटीड पेंशन स्कीम को भी ध्यान में रखा गया और इसकी भी स्टडी की गई। ऐसे में यह स्कीम पुराने एनपीएस और ओपीएस से कई मायनों में अलग हो गई।

Unified Pension Scheme : एनपीएस को लेकर विरोध का सामना कर रही नरेंद्र मोदी 2.0 सरकार के समय ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दे दिया था कि सरकार एनपीएस में सुधार करने को तैयार है और इसपर विचार किया जा रहा है। ताकि सरकारी कर्मचारियों को एक फिक्स पेंशन की व्यवस्था हो सके। इसके बाद मोदी 3.0 सरकार के गठन के चंद महीने बाद ही कर्मचारियों को यूपीएस का तोहफा दिया गया है।

Unified Pension Scheme : इस यूपीएस की नई व्यवस्था के अंतर्गत कर्मचारियों को फैमिली पेंशन, मिनिमम पेंशन, ग्रेच्युटी और महंगाई भत्ता जैसे कई लाभ मिलेंगे। हालांकि ओपीएस में जहां सरकार ही पूरे पेंशन में योगदान देती थी यानी पूरा वित्तीय बोझ सरकार पर पड़ता था। वहीं एनपीएस में सरकार और कर्मचारी दोनों अंशदान कर रहे थे लेकिन, इस नई यूपीएस व्यवस्था में सरकारी कर्मचारी अपने वेतन का 10 प्रतिशत हिस्सा योगदान के रूप में देंगे और सरकार जो पहले 14 फीसदी अंशदान करती थी उसको बढ़ाकर 18.5 फीसदी कर दिया गया है। यानी सरकार पर ओपीएस में जो अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ रहा था वह थोड़ा कम रहेगा।

Unified Pension Scheme : अब समझिए जरा सरकार को ओपीएस, एनपीएस और यूपीएस में क्या करना पड़ रहा था। सरकार को ओपीएस में कर्मचारी और सरकार दोनों तरफ के योगदान को खुद भरना पड़ रहा था और कर्मचारी को अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में गारंटी के साथ मिल रहा था जो टैक्स फ्री थी। वहीं एनपीएस में सरकारी कर्मचारी अपने मूल वेतन और डीए का 10 प्रतिशत हिस्सा योगदान के रूप में दे रहे थे, साथ ही सरकार मूल वेतन और डीए का 14 प्रतिशत हिस्सा योगदान के रूप में दे रही थी और सेवानिवृत्ति के दौरान कर्मचारियों को 60 प्रतिशत रकम का फ्री विड्रॉल दिया गया था। वहीं 40 प्रतिशत रकम को बाजार में निवेश किया जाता था जिससे बाजार की स्थिति पर निर्भर करता था कि पेंशन की राशि किसी कर्मचारी के लिए कितनी होगी।

वहीं यूपीएस की बात करें तो इसमें कर्मचारी को मूल वेतन का 10 प्रतिशत हिस्सा योगदान के रूप में देना है जबकि सरकार का योगदान कर्मचारी के मूल वेतन का 18.5 प्रतिशत होगा और 25 साल के कार्यकाल के बाद कर्मचारियों को अंतिम साल के मूल वेतन का औसत 50 प्रतिशत और न्यूनतम 10 हजार रुपए पेंशन मिलने का प्रावधान किया गया है।

हालांकि, एनपीएस और यूपीएस में टैक्स का प्रावधान किया गया है।

यूपीएस 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगी ऐसे में आपको बता दें कि केंद्र सरकार की तरफ से कई वित्तीय मॉडलों का अध्ययन कर 50 प्रतिशत सुनिश्चित पेंशन की व्यवस्था की गई है।

Unified Pension Scheme /इसके अंतर्गत सेवानिवृत्ति के अंतिम वर्ष के 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी का यह आधा होगा। इसकी योग्यता सेवा में 25 वर्ष पूरे करने वाले कर्मचारियों पर लागू होगी।

Unified Pension Scheme : जबकि 10 वर्ष से 25 वर्ष की सेवा देने वाले कर्मचारियों के बीच आनुपातिक पेंशन की व्यवस्था होगी।

इसमें यह व्यवस्था भी है कि कभी किसी कर्मचारी की मौत हो जाने पर फैमिली पेंशन पति/पत्नी को देने की व्यवस्था इसमें की गई है। यानी मौत से तुरंत पहले जो पेंशन की रकम थी, उसका 60% उसके पति अथवा पत्नी को मिलेगा।

इसके साथ इसमें न्यूनतम पेंशन की भी व्यवस्था की गई है। इसके पीछे की वजह ये थी कि सेवा की अवधि कम होने की स्थिति में पेंशन में वित्तीय योगदान भी कम होता था और इस तरह पेंशन में पर्याप्त धनराशि नहीं मिल पाती थी। जिसे इसमें इंगित किया गया और 10 हजार रुपए सुनिश्चित पेंशन की व्यवस्था की गई।

इसके साथ ही इसमें कर्मचारियों को महंगाई का भी फायदा मिलेगा। उन्हें डीए की जगह पेंशन में डीआर का लाभ मिलेगा। इसमें लम-सम पेमेंट की भी व्यवस्था है जो ग्रेच्युटी के अतिरिक्त होगा।

इसमें एक व्यवस्था यह भी की गई है कि जो लोग पहले सेवानिवृत हो चुके हैं और एनपीएस के तहत आते हैं वह भी इस योजना का लाभ ले सकेंगे और उन्हें पीपीएफ दर के ब्याज के साथ इंटरेस्ट का भुगतान एरियर के रूप में किया जाएगा।

इसमें यह चुनने की स्वतंत्रता कर्मचारियों को दी गई है कि वह एनपीएस में रहना चाहते हैं या यूपीएस में। इसके साथ ही केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार भी अपने कर्मचारियों के लिए इसका इस्तेमाल कर सकती है।Unified Pension Scheme

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