बेमुद्दत हड़तालः कार्यालयों में पसरा सन्नाटा..दिन भर नहीं खुला ताला..कर्मचारी नेता जीआर चन्द्रा का दावा..सरकार को करना होगा संवाद

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—हर बार की तरह इस बार भी सोमवार को नए हफ्ते की शुरुआत हुई। लेकिन इस दिन कई सरकारी दफ्तरों के बाहर लगा ताला नहीं खुला। दफ्तरों के यह ताले पिछले हफ्ते शुक्रवार से बंद है। शुक्रवार को जन्माष्टमी , फिर तीसरा शनिवार और रविवार। लगातार 3 दिन की छुट्टी के बाद भी सरकारी दफ्तरों में सन्नाटा पसरा रहा। दरवाजे के सामने लटके ताले इंतजार करते रहे कि कोई चाबी लेकर कोई आएगा। न्यायधानी बिलासपुर के सरकारी दफ्तरों में यह सन्नाटा पसरा है….सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की हड़ताल की वजह से। जो डीए और एचआरए की मांग को लेकर 22 अगस्त से बेमुद्दत हड़ताल पर चले गए हैं। कर्मचारियों / अधिकारियों के फेडरेशन ने नेहरू चौक पर धरना  की शुरुआत भी की और यह बताने की कोशिश की कि वे क्यों हड़ताल पर जाने को मजबूर हुए हैं। 
              बे मुद्दत हड़ताल के पहले दिन जो नजारा दिखाई दिया है । उसे सामने रखकर कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में भी अगर यही स्थिति बनी रही तो सरकारी कामकाज पूरी तरह से ठप हो  जाएंगे। इसी तरह सरकारी स्कूलों में भी ताले बंदी की नौबत है। शहर के स्कूलों में भी सोमवार को घंटी नहीं बजी और ना बच्चों की चहल-पहल थी और नहीं कक्षाएं ही लगी।कुल मिलाकर सोमवार को सरकारी दफ्तरों की रौनक गायब रही। सारे कर्मचारी नेहरू चौक में पंडाल के नीचे जोश और जूनून के साथ नजर आए। विभिन्न संगठनों के नेता फेडरेशन के बैनर तले उपस्थित कर्मचारियों की मांग को लेकर हौसला अफजाई करते रहे। इस दौरान कर्मचारी नेता हड़ताल को लेकर कई पुराने किस्से और कहानियों को भी साझा किया।  कर्मचारी नेताओं ने बताया कि बात अधिकार की है..और हमारे कर्तत्व की भी।
                              कर्मचारी नेताओं ने कहा कि मांग के खिलाफ बाधाए बहुत आएंगी..संभव है कि यह अलग अलग रूप में आएं। लेकिन हम झुकने वाले नहीं है। क्योंकि हम सरकार से अनुदान नहीं बल्कि अधिकार की मांग कर रहे हैं। कर्मचारी नेताओं ने दुहराया कि पहले दिन ही हड़ताल को भारी सफलता मिली है। दूसरी  तरह दिन भिर कई कार्यालयों की ताला खुली ही नहीं। हां कुछ दफ्तर खुले लेकिन कुर्सियां कर्मचारियों की बाट जोहती रहीं। इस दौरान इक्का दुक्का संविदा कर्मचारी ही नजर आए। आबकारी विभाग खुला नजर आया। लेकिन यहां भी कर्मचाारियों का टोंटा कही देखने को मिला।  दो एक अधिकारी जरूर नजर आए। लेकिन कामकाज ठप रहा। कम्पोजिट  बिल्डिंग स्थित संयुक्त संचालक पशु विभाग का ताला दिन भर खुला ही नहीं। शिक्षा विभाग में भी कोई कर्मचारी या अधिकारी नजर नहीं आया।
                 कृषि विभाग में एक संविदा कर्मचारी के अलावा ना तो कोई बाबू ही नजर आया और ना ही कोई अधिकारी। रंग बिरंगे दीवार वाला आदिवासी विभाग कार्यालय का ताला दिनभर नहीं खुला। इस दौरान हितग्राही भटकते नजर आए।खनिज विभाग में भी कुछ संविदा कर्मचारियों के अलावा ना तो कोई बाबू दिखा और ना ही कोई अधिकारी। अधिकारियों का चैम्बर भी नहीं खुला। यहां भी काम काज को लेकर पहुंचे लोगों को बैरंग घर लौटना पड़ा।  मतलब सप्ताह के पहले यानि सोमवार को हमेशा गुलजार रहने वाला कम्पोजिट बिल्डंग सुनसान नजर आया।
                 फेडरेशन नेता और तृतीय वर्ग कर्मचारी जिला अध्यक्ष जीआर चन्द्रा ने बताया कि इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि देर रात एक घटक के हटने से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थोड़ा बहुत असर जरूर पड़ा है। देर रात की खबर के बाद कर्मचारियों में ऊहाफोह की स्थिति रही। जिसके चलते कर्मचारी यद्यपि कार्यालय नहीं गए..लेकिन पंडाल में भी नही आए। चन्द्रा ने दुहराया कि पहले ही दिन ना केवल बिलासपुर बल्कि राज्यस्तर पर हड़ताल को अभूतपूर्व सफलता मिली है। दिन भर सभी कार्यालयों में कामकाज बन्द रहा। अब संशय के बादल भी छट गए हैं। पंडाल में भी भीड़ होगी..और सरकारी कामकाज पर भी असर होगा। चन्द्रा ने बताया कि हमारी मांग यथावत है। हम चाहते हैं कि सरकार और हड़ताली संगठन के बीच संवाद हो। इसके बाद निष्कर्ष जरूर निकलेगा।
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