राजभवन पहुंच गया उरतुम सरकारी जमीन मामला.. सचिव का कलेक्टर को पत्र..कार्रवाई का आदेश

BHASKAR MISHRA
फाइल फोटो
बिलासपुर (रियाज़ अशरफी)—ग्राम उर्तुम की 150 एकड़ बहुमूल्य सरकारी जमीन का मामला अब राजभवन पहुंच गया है। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का मामले को लेकर राज्यपाल के अवर सचिव ने मामले को संज्ञान में लिया है। मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव और बिलासपुर कलेक्टर को पत्र लिखकर आवश्यक कार्यवाही का निर्देश दिया है। 
                जानकारी देते चलें कि बिलासपुर अनुविभाग के ग्राम पंचायत उर्तुम के परसाही रोड स्थित खसरा नम्बर 281,282,283 एवं 530/1 समेत  150 एकड़ से अधिक सरकारी भूमि पर ग्रामीणों ने अवैध कब्जा कर लिया है। जमीन पर मकान और प्लाट बना लिया गया है। ग्राम पंचायत और ग्रामीणों ने गांव से बेजा कब्जा हटाने की मांग को लेकर बिलासपुर कलेक्टर के अलावा बिलासपुर एसडीएम और तहसीलदार को कई बार अलग-अलग आवेदन दिया। बावजूद इसके राजस्व विभाग के अधिकारियों ने अवैध कब्जा धारियों पर कार्यवाही के लिए की कोई ठोस कदम नही उठाया।
             बताते चलें कि अतिक्रमण  मुद्दे को *सीजी वॉल  ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था । इसके बाद अतिरिक्त तहसीलदार ने दो राजस्व निरीक्षक और तीन पटवारियों की संयुक्त टीम बनाकर सरकारी जमीन को जांच का आदेश भी दिया था।
अवर सचिव ने पत्र में हाईकोर्ट में दाखिल याचिका का हवाला दिया
           राज्यपाल के अवर सचिव ने 31 मई को मुख्यसचिव और बिलासपुर कलेक्टर को लिखे पत्र में हरनारायण गौराहा की हाईकोर्ट में दायर याचिका का जिक्र किया है। पत्र में कहा गया है  कि उच्च न्यायालय ने मामले में मुख्य सचिव और कलेक्टर को 45 दिन में जवाब प्रस्तुत करने को कहा था। लेकिन आज दिनांक तक जवाब पेश नहीं किया गया।
जांच के दो माह बाद भी  कार्यवाही नही
बिलासपुर अतिरिक्त तहसीलदार रिचा सिंह के निर्देश पर 5 सदस्यी जांच दल ने 14 अप्रैल को गांव पहुंचकर बेजा कब्जा जांच का आदेश दिया।  रिपोर्ट तहसीलदार को सौंप दी गयी है। दो माह बीत जाने के बाद भी राजस्व विभाग ने बेजा कब्जा धारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं किया है।
किसानों को होगी भारी समस्या
बेजा कब्जा नहीं हटने पर सबसे ज्यादा समस्या स्थानीय किसानों को है। बेजा कब्जाधारियों ने ज्यादातर किसानों के खेत के सामने के हिस्से को घेर  लिया है। बारिश होते ही किसानी का कार्य प्रारंभ होता है। खेत तक आने जाने के लिए किसानों को निस्तारी की समस्या से गुजरना पड़ता है।  किसानों ने प्रशासन को कई बार ध्यानाकर्षण कराया। बावजूद इसके कोई कदम नहीं उठाया गया।
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