आसान हुआ रीढ़ का आपरेशन…महीनों में नहीं घंटों में मरीज लौट रहे घर..डॉ.आशीष ने बताया..साइंटिफिक जनरल में प्रकाशित हुआ..देश का पहला पत्र..नई पद्धति से अपोलो ने किया सैकड़ों आपरेशन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—एक दौर था कि जब पीठ दर्द या स्पाइनल बीमारी को लेकर संख्या हजार में दो होती थी। आज यह आंकड़ा बढ़कर तीस प्रतिशत पहुंच गयी है। ऐसा सिर्फ समय के साथ दिनचर्चा में हेरफेर और भागदौड की वजह से हुआ है। लेकिन समय के साथ ही इलाज के नए तौर तरीकों का भी अविष्कार हुआ है। इसका लाभ भी अब लोग ले रहे हैं। इसमें मिनिमल इन्वेसिव स्पाइ सर्जरी यानि डे केयर सर्जरी एक है। इस पद्धति से लोगों को समय के साथ राहत मिली है। इस पद्धति से स्पाइनल कार्ड से जुड़ी गंभीर बीमारियों का इलाज कुछ घंटों में ना केवल हो जाता है। बल्कि मरीज तुरंत अपने दैनिक काम पर भी लौट जाता है। यह बातें पत्रकार वार्ता के दौरान अपोलो हॉस्पिटल के वरिष्ठ स्पाइन सर्जन डॉ. आशीष जायसवाल ने कही।
अपोलो बिलासपुर के ऑर्थो एंड स्पाइन सर्जन डॉ आशीष जायसवाल ने बुधवार को पत्रकारों से चर्चा के दौरान बताया कि वर्तमान में चिकित्सकीय ज्ञान और तकनीक में आमूल चूल प्रगति हुई है। इसी क्रम में स्पाइन सर्जरी की दिशा में भी क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है। मिनीमल इंवेसीव स्पाइनल सर्जरी ने रीढ़ की हड्डी की सर्जरी को काफी सरल बना दिया है। यह आम सर्जरी के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित, ज्यादा फायदेमंद और कम परेशानी वाली होती है। इस तरह की सर्जरी के बाद आमतौर पर मरीज सर्जरी के चंद घंटों बाद ही अपने पांव पर चल कर घर जा सकता है। 
डॉ आशीष जायसवाल ने बताया कि वर्तमान में अधिक मोबाइल इस्तेमाल करने, खराब सड़कों , उठने बैठने और सोने के गलत तौर तरीकों से स्पाइन से संबंधित समस्याएं बढ़ी है। एक अध्ययन के अनुसार स्पाइन से संबंधित 100 मरीजों में 70 स्लिप डिस्क से पीड़ित होते हैं। पहले ऐसे मरीजों को शल्य चिकित्सा की जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता था। अस्पताल में भर्ती होने के बाद बड़ा सा चीरा लगाकर उनका ऑपरेशन किया जाता था। खून चढ़ाने की भी आवश्यकता पड़ती थी। कई बार तो मरीजों को आईसीयू में भी भर्ती करना पड़ता था। लेकिन मॉडर्न चिकित्सा विज्ञान में बड़ा परिवर्तन आया है। बिलासपुर अपोलो में वर्तमान में हो रहे ऑपरेशन के 2 घंटे बाद ही मरीज चलने फिरने लगता है। शाम तक घर भी लौट जाता है। यहां तक कि 10 से 15 दिनों में वह वापस अपने काम पर भी लौट सकता है।
सवाल जवाब के दौरान डॉ आशीष जायसवाल ने बताया कि साइंटिफिक जनरल, एशियन स्पाइन सर्जरी जो कि एक इंटरनेशनल जनरल ने स्पाइन सर्जरी उनका पेपर प्रकाशित किया है। यह उपलब्धि ना केवल बिलासपुर या अपोलो बल्कि बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। क्योंकि स्पाइन सर्जरी को लेकर यह देश का पहला पेपर है।  यह चिकित्सा पद्धति अब प्रमाणित भी हो चुकी है।
डॉ आशीष जायसवाल ने बताया कि इस विधि से अत्याधुनिक दूरबीन, माइक्रोस्कोप, एंडोस्कोप की मदद से बेहद छोटे चीरे से ऑपरेशन संभव होता है। एनैस्थीजिया भी पहले से काफी सुधार हुआ है। इसका लाभ मरीजों को मिल रहा है। पहले स्पाइन सर्जरी के बाद मरीजों को कई कई दिनों तक अस्पताल में ही रुकना पड़ता था। अब मरीज उसी दिन आपरेशन के बाद घर लौट जाता है। पहले औसतन 8 से 10 दिन मरीजों को अस्पताल में ही भर्ती रहना पड़ता था। कई मरीजो को तो आईसीयू में भी भर्ती करने की नौबत आती थी,। ऑपरेशन के बाद उन्हें खून की भी आवश्यकता पड़ती थी, लेकिन नई पद्धति से सर्जरी से लेकर सभी प्रकार की परेशानियो से छुटकारा मिल जाता है। 
चर्चा के दौरान डॉ जायसवाल ने बताया कि वर्तमान में एक नई तरह की बीमारी सामने आई है। जिसे चिकित्सक टेक्स्ट स्पाइन कहते हैं। सीधी गर्दन की अपेक्षा जब कोई मोबाइल पर झुककर कुछ लिखता या पढ़ता है तो गर्दन पर कई गुना अतिरिक्त भार पड़ता है। इसे लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। सीधी गर्दन की अपेक्षा झुके हुए सिर से गर्दन पर कई गुना भार बढ़ जाता है। इसके चलते नई तरह की बीमारी सामने आई है। उन्होंने बताया कि सोने के लिए ना तो बेहद नरम और ना ही बेहद सख्त मैट्रेस होनी चाहिए। साधारण कोयर मैट्रेस यारूई के गद्दे को उन्होंने बेहतर विकल्प बताया। उन्होने कहा कि अपोलो में करीब 10,000 स्पाइन सर्जरी कर चुके है। इसमें नई तकनिकी से 600 से अधिक मरीजों का सफल आपरेशन किया है।
 ऑर्थो एंड स्पाइनसर्जन डॉ आशीष जायसवाल ने बताया कि मौजूदा लाइफ़स्टाइल की वजह से 40 साल की उम्र के बाद रीढ़ की हड्डीसे संबंधित समस्याओं का सामने आना स्वाभाविक है। इसमें से 50% समस्याओं का निदान लोग मामूली या घरेलू इलाज से कर लेते हैं।
सावधानी बरते तो दूर रहेगी बीमारी
 उन्होंने बताया कि सावधानी से स्पाइन से संबंधित बीमारियों को विकसित होने के जोखिम को कम किया जा सकता है। अधिक वजन उठाने से बचने के सा थही वजन को नियंत्रित रखें, कंप्यूटर पर सही पोस्चर में बैठें। लंबी अवधि में बैठने से बचे। , मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए नियमित व्यायाम करें। आज स्पाइनल सर्जरी मिनिमली इनवेसिव होने के साथ 100% सुरक्षित हो गई है। इस प्रक्रिया में खून का बहाव न के बराबर होता है और रिकवरी भी तेज गति से होती है। की होल सर्जरी में माइक्रो-एंडोस्कोपिक डिकम्प्रेशन सर्जरी शामिल है।  जहां मात्र 1.5 से 2 सेंटीमीटर के चीरे से ही काम बन जाता है। शरीर पर किसी प्रकार के कोई घाव भी नहीं बनता है। हड्डियों या मांसपेशियों को किसी प्रकार का कोई नुकसान भी नहीं होता। संक्रमण का जोखिम भी कम होता है।
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