हमार छ्त्तीसगढ़

और मुख्यमंत्री ने जैसा सोचा..प्रतीक्षा सिंह ने कर दिखाया..फिर गढ़ दिया इतिहास..लगा बधाइयों का तांता..

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

बिलासपुर— भारत के महान कवि हिन्दी व्यकरणाचार्च भारतेन्दु हरिश्न्द्र को कौन नहीं जानता है। गुलामी के दौरान  उन्होने एक दोहा माध्यम से जनमानस को बताने का प्रयास किया कि जब तक अपनी भाषा और बोली में पढ़ाई लिखाई नहीं होती है। तब तक विकास की बातें कल्पना से अधिक कुछ नहीं है। महाकवि भारतेन्दु ने देश के समग्र विकास के क्रम में भाषा को केन्द्र में रखकर लिखा है कि निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल। 

                    इस दोहे को पिछले 100 सालों से पढ़ा और लिखा जा रहा है। लेकिन बहुत ही कम लोगों ने इसे गुना है। आजादी के 75 साल बाद किसी ने इसे गंभीरता से समझने का प्रयास किया। चूंकि प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल का नाता विद्वान परिवार से है। इसलिए उन्हें अच्छी तरह से पता है कि  समग्र विकास में निज भाषा की क्या भूमिका हो सकती है।

             पांच सितम्बर को प्रदेश के मुखिया ने एलान किया कि अब प्रदेश के सभी  स्कूलों में सप्ताह में एक दिन छत्तीसगढ़ी भाषा में पठन पाठन होगा। फिर क्या था..भाषा के प्रति संजीदा मुख्यमंत्री की बातों पर अमल करते हुए जांजगीर जिला स्थित मुलमुला स्कूल की व्याख्याता प्रतीक्षा सिंह ने वह कर दिखाया..जैसा मुख्यमंत्री ने चाहा और सोचा । 

             दो दिन पहले प्रदेश के मुखिया के एलान के बाद  जांजगीर जिला स्थित मुलमुला की शिक्षिका ने गुरूवार को बच्चों को अग्रेजी की कविता को छत्तीसगढ़ी में अनुवाद कर पढ़ाया। देखते ही देखते पढ़ाते हुए वीडियो वायरल होकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचा। कार्यालय ने अभियान की सफलता पर फेसबुक और ट्वविटर पर वीडियों को साझा किया। खुद मुख्यमंत्री ने इसके लिए शहीद की पत्नी और स्कूल की अंग्रेजी व्याख्याता को शुभकामनाएं दी है।
जांजगीर कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी समेत अन्य अधिकारियों के माध्यम से स्कूल में जाकर शिक्षिका को सम्मानित कराया। सिन्हा ने बताया कि गर्व की बात है कि यह अभियान जांजगीर से शुरू हुआ है।

पूर्व कानून मंत्री ने कहा..प्रदेश को गुजरात नहीं..दिल्ली मॉडल की जरूरत...जोगी और कांग्रेस में दम नहीं..किया सरकार बनाने का दावा

              जानकारी देते चलें कि अंग्रेजी की शिक्षिका प्रतीक्षा सिंह शहीद रूद्र प्रताप की पत्नी हैं। पति ने नक्सलियों से लोहा लेते हुए प्रदेश के लिए आत्मोसर्ग कर दिया। पत्नी ने मंत्रालय के आदेश मिलने से पहले ही अंग्रेजी की कक्षा में कविता का ठेठ छत्तीसगढ़ी में अनुवाद कर बच्चों को ना केवल पढ़ाया। बल्कि निज भाषा के महत्व को भी बताया।  विडीयो को प्रदेश में जमकर पसंद किया जा रहा है। सीजीवाल परिवार भी शिक्षिका प्रतीक्षा के प्रयास को मील का पत्थर मानता है।


Back to top button
close
YOUR EXISTING AD GOES HERE

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker