videoःलाकडाउन और ठेला गुमटी व्यवसायियों ने बताया दर्द..कोरोना से तो बच जाएंगे..लेकिन भूख से कौन बचाएगा..मौत निश्चित है..क्योंकि सरकार कहती है..कुछ करती नहीं

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- सूरज की पहली किरण के साथ बिलासपुर में 14 अप्रैल की सुबह से लाकडाउन की व्यवस्था लागू हो जाएगी। सड़कों पर पुलिस की गाड़ियां फर्राटे भरेंगी या फिर एम्बुलेन्स। हमेशा गुलजार रहने वाली सड़कें पूरे एक सप्ताह वीरान नजर आएंगी। लाकडाउन की घोषणा के बाद कहीं खुशी है तो कहीं गम है। एक वर्ग ऐसा भी है जो लाकडाउन शब्द सुनते ही पिछले अनुभव को याद कर कांप जाता है। जैसे ही कलेक्टर ने लाकडाउन का एलान किया। ठेला गुमटी व्यवसायियों में खलबली मच गयी। कमोबेश सभी ने लाकडाउन को गलत बताया।

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                   चाय बेचने वाला अशोक यादव, भेल बनाने वाला संतोष यादव, कांदा बेचने वाली रामकली ने बताया कि बड़ी मुश्किल से पिछली मुसीबल से छुटकारा मिला है। अब क्या होगा समझ में नहीं आ  रहा है। संतोष ने बताया कि सरकार कहती तो बहुत कुछ है। लेकिन करती कुछ नहीं । हमें पिछले अनुभवों से सीख मिली है कि कहीं से कोई सहयोग नहीं मिलने वाला है। ऐसे में हम अपने परिवार का आने वाले दिनों में कैसे पेट भरेंगे। कुछ समझ में नहीं आ रहा है। अच्छा होता कि सरकार नियम सख्त कर दे। लोगों पर कार्रवाई करे। लेकिन लाकडाउन का पैसला वापस ले। 

                    72 साल के राधेलाल और पत्नी रामफूल  ने बताया कि 20 साल से चाय बेचकर परिवार पाल रहे है। फिर से लाकडाउन..अब तो शायद ही बचेंगे। कुछ ऐसी बातें गन्ना का रस बेचने वाला कुमार टण्डन ने भी कहा..कुमार ने बताया कि उसके पास जमीन नहीं है। सड़क किनारे मौसमी फल बेचकर दो बहनों को पढ़ाता है। बूढें मां बाप को जिन्दा रखा है। घर में पूंजी नहीं है कि बैठकर खा सके। सुरेश टण्डन ने कहा लाकडाउन कोई उपाय नहीं है।

                     इस दौरान कमोबेश सभी ठेला गुमटी व्यवसायियों ने बताया कि हम कोरोना से मरे या ना मरे। लेकिन हम भूख से जरूर मर जाएंगे।

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