videoःसरकार हमें बुरे दिन लौटाए..नहीं चाहिए अच्छे दिन..नागरिकों ने जलाया रेलवे बोर्ड चैयरमैन का पुतला..सुदीप ने कहा..अब होगा उग्र आंदोलन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— नागरिक संघर्ष समिति सदस्यों समेत शहर के गणमान्य लोगों ने सिम्स चौक में रेलवे बोर्ड चैयरमैन का पुतला जलाया। उपस्थित लोगों ने रेलवे प्रशासन और केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारवाजी की। नाराज सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने कहा कि अब तो हद हो गयी। यात्री और जनता गौड़ हो गए हैं। कोयला लदान केन्द्र सरकार की प्राथमिकता में शामिल हो गया है। बर्दास्त की कोई सीमा होती है। अब हमारे सामने आंदोलन के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं बचा है। कांग्रेस नेता महैेश दुबे ने कहा कि आप को अच्छे दिन मुबारक..आप हमारा खराब दिन ही लौटा दो।
                                     बिलापुर नागरिक संघर्ष समिति के लोगों ने सिम्स चौक के पास रेलवे चैयरमैन का पुतला फूंका। सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने रेलवे बोर्ड चैयरमैन के बयान की निंदा करते हुए कहा कि अब तो बर्दास्त की हद हो गयी। रेलवे बोर्ड चेयरमैन का बयान कि कोयला लदान के लिए अभी यात्री गाड़ियों का परिवहन नहीं किया जाएगा। सुनकर जनता आम जनमानस में भयंकर आक्रोश है।
                    सुदीप श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले 6 महीने यात्री गाड़ियों का परिवहन रोक दिया गया है। मार्च से गाड़ियों को बन्द चालू किया जा रहा है। जनता परेशान है। रेलवे का ध्यान कोयला लदान,कोयला परिवहन पर ही ध्यान है। सवाल उठता है कि क्या छत्तीसगढ़ के लोग कोयला लदान के लिए मर जाएं..बरबाद हो जाएं। हमारा पूरा व्यवसाय,कारोबार,जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। यदि गुजरात दिल्ली मुम्बई,कोलकाता को बिजली के लिए कोयला चाहिए तो वह अपनी व्यवस्था खुद करें। अब कोयला के नाम पर यात्रियों के साथ खिलवाड़ बर्दास्त नहीं किया जाएगा। आने वाले समय में उग्र आंदोलन किया जाएगा।
                                कांग्रेस नेता महेश दुबे ने कहा कि अब बहुत हाथ पैर जोड़ लिए। अब आंदोलन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। स्थानीय सांसदों को सोचनाचाहिए कि आखिर हो क्या रहा है। छत्तीसगढ़ के 400 स्टेश बन्द कर दिए गए हैं। शर्म की बात है कि यात्री टायलेट कम्पार्ट में बैठकर खाना खा रहा है। बात अच्छे दिन की थी..इतना अच्छा दिन की नहीं कि यात्री टायलेट कम्पार्ट में बैठकर खाना खाए। हमें हमारा पुराना दिन लौटा दिया जाए..क्योंकि हमें अच्छे दिन नहीं चाहिए।
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