कांग्रेस भवनके लिए चिट्ठी लिखकर सवालों के मकड़जाल में उलझे विजय केशरवानी….! श्रेय की होड़ में बचकाना कदम… क्या सामान्य सभा का एजेंडा भी नहीं पढ़ते….?

Chief Editor
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( गिरिज़ेय ) “ जैसे किसान फसल इसलिए बोता है ताकि एक दिन फसल काट सके….। वैसे ही सियासत की खेती करने वाले भी समय-समय पर कुछ इस तरह के बीज जमीन पर डालते रहते हैं। जिससे वक्त आने पर राजनीति की वह फ़सल लहलहा उठे और उसे काट कर श्रेय यानी क्रेडिट का चेक अपने खाते में जमा कराया जा सके । और…… अपना नंबर भी बढ़ाया जा सके। ”…..यह डॉयलाग टेलीविजन के किसी सीरियल में सुना गया था। बिलासपुर शहर में चल रही कांग्रेस की सियासत को देखकर यह डायलॉग एक बार फिर याद आ गया । हाल के दिनों में हुए घटनाक्रम से यह सवाल उठ रहा है कि क्या बिलासपुर जिले में कांग्रेस की राजनीति स्टूडेंट पॉलिटिक्स के अंदाज में चल रही है…?  जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग बचकाना अँदाज़ में काम कर रहे हैं और श्रेय की होड़ में खुद को शामिल कर इस रफ्तार से दौड़ रहे हैं कि उन्हें यह भी समझ नहीं आ रहा है कि वे किधर जा रहे हैं… ?  अगर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष चिट्ठी लिखकर  अपनी ही सरकार के सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा करें तो इस तरह के सवाल लाजिमी हैं….। यह कोई पहेली नहीं है बल्क़ि कांग्रेस भवन के लिए नई जमीन की तलाश को लेकर कांग्रेस पार्टी में जो चल रहा है उससे इस तरह का सीन उभरकर सामने आता है। जिसे देखकर लगता है कि कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर बिलासपुर में करीब दो दशक बाद अपनी जमीन तलाश ली थी । लेकिन कांग्रेस भवन के लिए जमीन की तलाश की वजह से एक बार फिर वह दो दशक पहले के हालात में लौटने की तैयारी कर रही है….।

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कहां-कहां हुई ज़मीन की तलाश….?

यह खबर पिछले कुछ महीने से लगातार चल रही है कि कांग्रेस को बिलासपुर शहर में अपने दफ्तर के लिए जमीन की तलाश है। कांग्रेस का मौजूदा दफ्तर तिलक नगर में है। जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वास्तु दोष होने की वजह से पार्टी  के सामने दिक्कतें पैदा होती रही हैं और अक्सर लड़ाई –झगड़े होते रहते हैं।  इस बात का ख्याल कर कांग्रेस के लोग बिलासपुर शहर में पार्टी दफ्तर के लिए नए नई जमीन तलाश रहे हैं । पहले मौजूदा कांग्रेस भवन के बाजू में एक जमीन देखी गई थी।जहां पर सामुदायिक भवन है…। बीज़ेपी ने इसका विरोध किया तो कांग्रेस ने भरोसा दिलाया कि सामुदायिक भवन को आँच नहीं आएगी । फ़िर इसका नक्शा तैयार कर लिया गया और 20 अगस्त 2020 को शिलान्यास भी कर लिया गया । उस दिन की ख़बर थी कि तिलक नगर में स्थित कांग्रेस भवन से लगी भूमि पर नए भवन के ई-शिलान्यास के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम, प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से जुडे। यहां प्रोजेक्टर लगाया गया और यहां हो रहे कार्यक्रम दिल्ली व रायपुर में दिखाई दे रहे थे। बिलासपुर समेत प्रदेश के सभी जिलों में राजीव भवन के लिए दिल्ली से सोनिया गांधी व राहुल गांधी ने ऑनलाइन शिलान्यास किया। इस मौके पर राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस कार्यालय केवल कांग्रेस के लिए नहीं वरन प्रदेश के गरीबों, वंचितों और जरूरतमंद लोगों का भी कार्यालय बने। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आज पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के जन्मदिन पर ही प्रदेश सरकार ने किसानों के धान के बोनस की दूसरी किश्त की राशि उनके खाते में डालने के साथ ही गोधन योजना के तहत खरीदे गए गोबर की राशि भी ग्रामीणों के खाते में डाल दिया। पीसीसी अध्यक्ष मरकाम ने कहा कि सभी जिलों में बन रहे राजीव भवन का निर्माण पूरी तत्परता के साथ किया जाएगा और 2०23 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस सभी जिलों में राजीव भवन से ही लड़ेगी। लेकिन इस तामझाम के बाद आख़िर वास्तु दोष की वज़ह से कांग्रेसियों ने इरादा बदल दिया ।

20 अगस्त 2020 को तिलकनगर में कांग्रेस भवन का शिलान्यास

इसके बाद फ़िर से नई ज़मीन की तलाश शुरू हुई और बिलासपुर में तीन ज़गह देखी गई ।इमलीपारा , पुराना बस स्टैंड और तिफ़रा में दान में मिल रही एक ज़मीन भी देखी गई । और फ़िर पुराना बसस्टैंड की ज़मीन तय कर प्रक्रिया शुरू की गई । इसी दौरान अरपा किनारे बन रही नई सड़क से लगी एक जमीन पर भी विचार किया गया। पार्टी के कुछ लोगों का मानना है कि यह मौजूदा कांग्रेस भवन के नजदीक है और शहर के बीच होने की वजह से यहां कांग्रेस भवन बनाया जाना चाहिए। लेकिन यह बात भी सामने आ गई कि  तिलक नगर में जिस जगह से गरीबों के झोपड़े हटाए गए हैं। वहां पर कांग्रेस भवन बनाने से अच्छा मैसेज़ नहीं ज़ाएगा । बताते हैं इस जगह पर जमीन की साइज भी ठीक-ठाक नहीं मिल रही थी। यह सब देख़ते हुए  कांग्रेस ने एक तरह से पुराना बस स्टैंड के बाजू की जमीन को अंतिम रूप देने का फैसला किया । इस पर भी बीजेपी के दुर्गा सोनी ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है।

अब तक क्या कार्रवाई हुई…. ?

आइए अब यह जानते हैं कि बस स्टैंड पुराना बस स्टैंड के पास की जमीन को लेकर अब तक क्या कार्यवाही हुई है…..?  छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के प्रभारी महामंत्री  ( संगठन ) चंद्रशेखर शुक्ला ने इसी साल  फरवरी में बिलासपुर कलेक्टर को इसके लिए आवेदन दिया था। यह आवेदन जूना बिलासपुर की खसरा नंबर 574 /1 फ़ और  574 /एक ग  में से 35853 वर्ग फीट जमीन कांग्रेस भवन निर्माण के लिए आवंटित करने दिया गया था । जांच के लिए यह आवेदन तहसीलदार बिलासपुर को भेजा गया और तहसीलदार ने नगर निगम से इसके लिए एनओसी यानी अनापत्ति प्रमाणपत्र मांगा। पुराना बस स्टैंड  की यह ज़मीन नगर निगम की जमीन है ।  1958 से अब तक नगर निगम इस जमीन पर काब़िज़ है …ऐसा रिकॉर्ड में भी दर्ज है। तहसीलदार की ओर से एनओसी मांगे जाने के बाद यह प्रस्ताव इसी साल 26 मार्च को मेयर इन कौंसिल में रखा गया । एम आई सी ने सर्वसम्मति से इसे मंजूरी दी और मामला समान्य सभा में रखने की सिफारिश भी कभी कर दी। इसके बाद कोरोना संक्रमण बढ़ने की वजह से नगर निगम सामान्य सभा की मीटिंग नहीं बुलाई गई। अब 24 अगस्त को सामान्य सभा की बैठक रखी गई है। नियमों के मुताबिक बैठक से करीब 10 दिन पहले यानी 12 अगस्त को सामान्य सभा की कार्य सूची जारी की गई। जिसमें प्रस्ताव क्रमांक 89 में कांग्रेस भवन की जमीन का मुद्दा शामिल किया गया है। यह औपचारिकता पूरी कर सामान्य सभा की कार्यसूची सभी पार्षदों को भेज दी गई। इससे यह साफ है कि 24 अगस्त को होने वाली सामान्य सभा की बैठक में कांग्रेस भवन की जमीन का मुद्दा भी शामिल रहेगा। जाहिर सी बात है कि नगर निगम की सामान्य सभा में कांग्रेस का बहुमत है। लिहाजा अपने दफ्तर की जमीन के लिए कांग्रेस अपने पार्षदों के बहुमत से प्रस्ताव पारित करा लेगी। ऐसा माना जा रहा है ।

कहानी में नया मोड़….

अब इसके बाद कहानी में एक नया मोड़ आता है । जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी जो खुद भी एक पार्षद हैं। उन्होंने 17 अगस्त की तारीख पर नगर निगम आयुक्त के नाम एक चिट्ठी लिखी। इस चिट्ठी में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के भवन के लिए जमीन आवंटन में नगर निगम की ओर से अब तक एनओसी नहीं दिए जाने पर गहरा दुख जताया। उनकी चिट्ठी के मुताबिक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर सभी जिलों में कांग्रेस भवन के लिए जमीन का आवंटन किया जा रहा है। बिलासपुर जिला कांग्रेस कमेटी ने पुराना बस स्टैंड के पास की जमीन पर सहमति देते हुए आवंटन की कार्यवाही तत्काल प्रारंभ करने के निर्देश दिए थे ।  उन्होंने आगे यह भी लिखा है कि रिवेन्यू के अफसरों ने एनओसी जारी करने नगर निगम को कागजात सौंप दिए हैं। प्रस्ताव एमआईसी में पारित हो चुका है। लेकिन सामान्य सभा नहीं बुलाए जाने के कारण अब तक कांग्रेस भवन की जमीन के लिए नगर निगम का एनओसी नहीं मिल सका है। इस लेटलतीफी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिशानिर्देशों के विपरीत बताते हुए उन्होंने नगर निगम आयुक्त पर भी तीखी टिप्पणी की है। और तत्काल सामान्य सभा की मीटिंग बुलाने के लिए लिखा है। विजय केशरवानी ने अपनी इस चिट्ठी की कॉपी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ,पीसीसी चीफ मोहन मरकाम सहित संगठन और सरकार के तमाम प्रमुख लोगों को भी भेजी है।

सीधे तौर पर तो जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी की इस चिट्ठी से लगता है कि वे जल्दी से जल्दी कांग्रेस भवन की जमीन का आवंटन चाहते हैं और बिलासपुर को छोड़कर दूसरे जिलों में आवंटन की प्रक्रिया पूरी होने की वजह से दुखी हैं। इस दुख में ही उन्होंने बड़ी चिट्ठी लिख डाली। लोग इसे नादानी, श्रेय की लड़ाई या स्टूडेंट पॉलिटिक्स का तौर तरीका कह सकते हैं। याद दिलाने वाले तो विज़य केशरवानी को यह भी याद दिला रहे हैं कि ज़ब भी कांग्रेस ज़मीन का मामला एमआईसी में आया तब-तब वे बैठक में गहैरहाज़िर रहे । इससे भी ज़मीन को लेकर उनक़ी गंभीरता का पता चलता है। विरोधी ख़ेमे के लोग तो यह सवाल भी उठा रहे हैं कि विज़य केशरवानी को इसे लेकर मीडिया में जाने की क्या ज़रूरत थी । सीएम, प्रभारी मंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री के सामने अपनी बात रख़ सकते थे ।

12 अगस्त को एजेंडा ज़ारी… 17 को जिला कंग्रेस अध्यक्ष की चिट्ठी

लेकिन लगता है कि कांग्रेस भवन की ज़मीन का आबंटन अब तक न हो पाने बहुत अधिक दुखी जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष अपना आक्रोश नहीं रोक सके और डायरेक्ट एक्शन पर उतरकर बिलासपुर शहर – प्रशासन से लेकर दिल्ली तक यह बता दिया कि उन्हे गुस्सा क्यूं आता है….. ? ज़िससे उन्हे इस बात का भी ख्याल नहीं रहा कि मार्च के बाद कोरोना की वजह से सामान्य सभा की बैठक नहीं बुलाई गई। शायद इसी गुस्से में उन्होने सामान्य सभा बुलाए जाने की प्रक्रिया पर भी गौर नहीं किया और सभापति की बज़ाय निगम आयुक्त को चिट्ठी लिख़कर सार्वज़निक कर दिया ।  लेकिन अब सामान्य सभा के लिए 24 अगस्त की तारीख तय हो चुकी है। 12 अगस्त को नगर निगम का सामान्य सभा का एजेंडा भी तय हो चुका है। नगर निगम सचिव ने इस तारीख पर ही एजेंडा जारी कर दिया था। इस मीटिंग के लिए एजेंडे में 93 प्रस्ताव शामिल किए गए हैं । जिसके प्रस्ताव क्रमांक 89 में यह कांग्रेस भवन की जमीन का मुद्दा भी शामिल किया गया है। जिसमें कांग्रेस भवन की जमीन के संबंध में पूरा ब्यौरा दिया गया है। इस तरह नगर निगम सामान्य सभा की मीटिंग की तारीख तय होने  और कांग्रेस भवन का मुद्दा एजेंडा में शामिल होने की तारीख के 5 दिन बाद जिला कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से जारी चिट्ठी ने उन्हें खुद भी सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। लगता है विज़य केशरवानी ख़ुद भी सवालों के मकड़ज़ाल में उलझ गए हैं। पहला सवाल उनकी सजगता और गंभीरता  को लेकर है। उनसे पूछा जा सकता है कि क्या 12 अगस्त को जारी की गई बैठक की कार्यसूची उन्होंने पढ़ी नहीं थी। क्या उन्हें इतना भी नहीं पता था कि कांग्रेस भवन का मुद्दा एजेंडा में शामिल कर लिया गया है। क्या श्रेय की होड़ में उन्होंने यह सोचकर चिट्ठी लिख दी कि अब तो सामान्य कांग्रेस भवन के लिए जमीन आवंटन का मामला आखिरी मुकाम पर पहुंच गया है। और चिट्ठी सार्वजनिक होने से क्रेडिट का बड़ा हिस्सा उनके ख़ाते में ज़मा हो ज़ाएगा।  यदि नंबर बढ़ाने की होड़ में इस तरह की नादानी की गई है तो और अपनी ही सरकार के सिस्टम पर सवालिया निशान लगाया गया है तो समझा जा सकता है कि बिलासपुर में कांग्रेस ने संगठन ने कौन सा रास्ता पकड़ लिया है….. ? ऐसे में एक सवाल कांग्रेस संगठन से भी पूछा जा सकता है कि क्या इस तरह के गंभीर मामले में पार्टी कोई एक्शन लेगी या पार्टी के भवन के नाम पर संगठन के किसी पदाधिकारी को कुछ भी लिखने- पढ़ने की छूट दी जा सकती है। चाहे शहर के आम लोगों तक इससे कैसा भी मैसेज जाए।

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