नारायणपुर-इस गर्मी में पानी के लिए नहीं होना पड़ेगा परेशान,जिले के अंतिम छोर पर बसे काकावाड़ा,कोडेनार,हांदावाड़ा सहित 43 गांवो में सोलर ड्यूल पंप संयंत्र स्थापित

Shri Mi
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नारायणपुर-‘‘बिन पानी सब सून’’ इस पंक्ति को चरितार्थ करती है, पानी के लिए लंबी लंबी लाईनें। नारायणपुर जिले की विषम भौगोलिक परिस्थिति के चलते यहा शुद्ध पेयजल की आपूर्ति एक मील का पत्थर के समान थी। लेकिन अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) विभाग द्वारा नारायणपुर जिले के अंतिम छोर पर बसे गांव टहाकावाड़ा, काकावाड़ा, लंका, कोडेनार, हांदावाड़ा, गोमे, आदपाल, कोडहेर, धुरबेड़ा, रायनार इत्यादि सहित कुल 43 ग्रामों/स्थलों में कोरोनाकाल के बावजूद शुद्ध पेयजल व्यवस्था हेतु सोलर ड्यूल पंप संयंत्र स्थापित किए गए हैं।

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सूदूरवर्ती पहाड़ों में बसे ग्रामों में भी पेयजल व्यवस्था के लिए लग रहे हैं सोलर पंप
रावघाट के पहाड़ो में बसे सुदूर ग्राम अंजरेल में विगत कई वर्षों से एक ही हैण्ड पंप था। जिसका आयरन की मात्रा अधिक होने के कारण व उपयोग नहीं करने के कारण पेयजल हेतु उपयोग नहीं किया जा रहा था और वे झरीया अथवा कुएं के पानी पर ही आश्रित थे। पहुंचविहीन ग्राम रायनार में सोलर ड्यूल पंप के स्थापना के लिए ग्रामीणों के साथ क्रेडा विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के द्वारा बैठक कर उनकी पेयजल की समस्या को ध्यान में रखकर रायनार बालक आश्रम के पास स्थापित हैण्डपम्प पर सतत् स्वच्छ पेयजल की आवश्यकता को देखते हुए सोलर ड्यूल पंप 5000 लीटर टैंक क्षमता का स्थापित किया गया है। यह सोलर ड्युल पंप गांव के लोगों को 24 घंटा स्वच्छ पेयजल प्रदान करेगा। यह समस्या गांव में अब पानी टंकी लगने से लोगों में खुशी का माहौल है। अब 24 घंटे पानी की आपूर्ति हो रही है। पेयजल हेतु उपयोग किया जा रहा है। पानी की समस्या दूर करने अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण क्रेडा नारायणपुर द्वारा कोरोनाकाल में भी सोलर ऊर्जा के माध्यम से चलित 43 नग ड्यूल पंप लगाया गया है। कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान भी जिले में विभिन्न स्थानों पर ऐसे सौर ऊर्जा चलित ड्यूल पंप लगाए जा गये हैं जिससे इन ग्रामीण बसाहटों में लोगों को पानी की 24 धंटे उपलब्धता बनी रहेगी।

जल जीवन मिशन योजनांतर्गत 21 सोलर ड्यूल पंपों का हो रहा है स्थापना कार्य
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सहयोग से नारायणपुर जिले में 21 स्थलों में सोलर ड्यूल पंपों का स्थापना कार्य किया जा रहा है। जिसमें संबंधित ग्राम पंचायत, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और क्रेडा विभाग के गठित संयुक्त समिति के सदस्यों द्वारा ग्रामों में स्थल चयन कर सोलर ड्यूल पंपों का स्थापना कार्य किया जा रहा है। जल जीवन मिशन योजना के तहत नारायणपुर जिले में पहली बार 12 मीटर एवं 9 मीटर स्टेजिंग ऊंचाई के सोलर ड्यूल पंप संयंत्रों का स्थापना कार्य किया जा रहा है, जिससे ग्रामों में अधिक से अधिक दूरी तक बसे परिवारों तक लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा स्थापित पाईप लाईन सप्लाई के माध्यम से जल प्रदाय कार्य किया जा सके। अब तक कोरोनाकाल में 12 मीटर ऊंचे स्टेजिंग के 08 सोलर पंपों का क्रमशः ग्राम सुपगांव, तेलसी, कलेपाल, गुलुमकोडो, कस्तुरवाड, तथा मरदेल में स्थापना कार्य किया जा चुका है। 01 सोलर पंप (12 मीटर) का स्थापना कार्य ग्राम पंचायत भरंडा अंतर्गत ग्राम मरदेल में प्रगतिरत है। 

कुछ चुनौतीपूर्ण कार्य भी
वर्तमान में एक सोलर ड्यूल पंप स्थापना कार्य भी प्रगतिरत है जिसमें सोलर पंप ग्राम हितवाड़ा अंतर्गत बेडमापारा में बालक आश्रम बेडमा के पास लगाया जाना प्रस्तावित है। जिसे नारायणपुर जिला मुख्यालय से लगभग 190 किमी दूर दंतेवाड़ा जिले के ग्राम बारसूर से होते हुए इंद्रावती नदी पार कर स्थापना करने की कार्यवाही की जा रही है। इससे पूर्व क्रेडा के अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा ग्रामीणों के साथ बैठक कर स्थल का चयन व पहुंच मार्ग बनाने के लिए अपिल  किया गया था। क्योंकि पहुंच मार्ग में कई जगह छोटे-बड़े नदी-नाले होने से बांस-बल्लीयों के बने अस्थाई रपटा पुलियां की आवश्यकता होती है।

कोरोना काल में 43 सोलर ड्यूल पंपों का किया गया स्थापना कार्य
विभिन्न पंचायतों में सोलर ड्यूल पंप लगाने के लिए जिला प्रशासन के निर्देशानुसार क्रेडा नारायणपुर द्वारा प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था। विशेष योजना व अन्य योजनाओं अंतर्गत स्वीकृति मिलने के पश्चात विभिन्न ग्रामों व नगरीय क्षेत्र के 43 स्थलों में क्रेडा द्वारा सोलर ड्यूल पंप स्थापित किया गया है जिसे चलाने के लिए ग्राम पंचायतों व वार्डों को हर महीने बिजली का बिल भरना नहीं पड़ेगा।  प्रत्येक सोलर ड्यूल पंप में 05 साल की वारंटी अवधि होती है । वारंटी अवधि के बाद भी सोलर ड्यूल पंपों की कार्यशीलता कई सालों तक सामान्यतः बाधित नहीं होती है। स्थापना उपरांत सोलर ड्यूल पंप संयंत्रों को संबंधित ग्राम/नगर पंचायत को हस्तांतरित किया जाता है जिसकी सुरक्षा व रखरखाव की संपूर्ण जिम्मेदारी संबंधित ग्राम/नगर पंचायत की होती है। किसी भी तकनिकी खराबी के सुधार कार्य हेतु सुचना मिलने उपरांत अथवा मासिक मानिटरिंग अंतर्गत क्रेडा विभाग द्वारा स्थापित संयंत्रों को तत्काल उक्त क्लस्टर अंतर्गत संबंधित 16 पंप तकनीशियनों/पंप सहायकों के माध्यम से संयंत्र का सुधार कार्य करने की कार्यवाही की जाती है।

जिले में शुद्ध व सतत पेयजल व्यवस्था के लिए इतने लगे सोलरपंप
नारायणपुर जिले अंतर्गत दोनों विकासखंडों में वृहद स्तर पर पेयजल व्यवस्था हेतु सोलरपंप स्थापित हूये है। अब तक नारायणपुर जिले में पेयजल व्यवस्था हेतु कुल 429 सोलरपंप क्रेडा विभाग द्वारा स्थापित किये गये है। जिसमें 413 नग सोलर ड्यूल पंप/सोलरपंप है और 16 नग आई.आर.पी./आर.ओ.सयंत्र है। जिसमें 425 नग सोलरपंप संयंत्र कार्यशील अवस्था में है । शेष 04 नग बोरवेल धसपट जाने के कारण अकार्यशील अवस्था में है।

ऐसे काम करता है सोलर ड्यूल पंप
क्रेडा विभाग के अनुसार प्रत्येक सोलर ड्यूल पंप के स्ट्रक्चर की उंचाई आवश्यकता अनुसार 4.5 मीटर, 06 मीटर, 09 मीटर अथवा 12 मीटर रहती है। जिसकी कुल क्षमता क्रमशः 600 अथवा 900 अथवा 1200 वाट तक की होती है। जिसमें 300 वाट क्षमता के क्रमशः 02 अथवा 03 अथवा 04 पेनल लगे होते हैं। जिसमें क्रमशः 0.5 एच.पी. अथवा 01 एच.पी. अथवा 1.5 एच.पी क्षमता की सबमर्सिबल पंप बोरवेल में स्थापित की जाती है जो सूर्य के प्रकाश से सौर पेनल और चार्ज कंट्रोलर के माध्यम से चलती होती है और 5000 लीटर अथवा 10000 लीटर क्षमता के ओवरहेड टैंक को भरती हैं। जिससे सनलाइट के वक्त तो भरपूर पानी मिलता ही है, रात में भी टंकी में स्टोरेज पानी रहता है जिससे रात के समय भी यहां लोगों को पानी मिलता ही रहेगा। ओवरहेड टैंक में फ्लोटींग स्वीच भी लगी होती है जो कि कंट्रोलर से कनेक्ट रहती है, जैसे ही टैंक में एक निश्चित सीमा तक जल भराव होता है, सबमर्सिबल पंप आटोमेटिक बंद हो जाती है। जिससे ओवरफ्लो नही होता है और पानी की बचत होती है। कंट्रोलर में मेनुअल आन आफ स्वीच भी होता है जिसके माध्यम से संयंत्र बंद चालू करने का प्रशिक्षण स्थापना कार्य के समय ग्रामीणों को दिया जाता है। सोलर एनर्जी से चलने वाले इन ड्यूल पंपों के सहारे गर्मी के दिनों में भी लोगों को 24 घंटे भरपूर पानी मिलेगा। सोलर एनर्जी से चलने वाले इन ड्यूल पंपों को चलाने के लिए बिजली की कोई जरूरत नहीं होती। जिसके कारण पानी मिलने के बाद भी हर महीने हजारों यूनिट बिजली भी बचेगी।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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