नई दिल्ली-सीबीएसई बोर्ड (CBSE Board) ने बुधवार को 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने की घोषणा की है, इसके अलावा बोर्ड ने 12वीं की परीक्षाओं को भी आगे खिसका दिया है. सीबीएसई बोर्ड ने बुधवार को 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द (CBSE Board Exam Cancel) करने की घोषणा की है. लेकिन बोर्ड द्वारा बनाये गये ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया प्रोसेस पर छात्रों को मार्क्स दिए जाएंगे. अगर मार्क्स से वो संतुष्ट नहीं होंगे तो उन्हें परीक्षा में बैठने का मौका दिया जायेगा. इसके लिए बोर्ड द्वारा बनाए गए ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया (Objective Criteria) प्रोसेस पर छात्रों को मार्क्स दिए जाएंगे. अगर मार्क्स से वो संतुष्ट नहीं होंगे तो उन्हें परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाएगा.
आइए जानते हैं क्या होता है ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया (Objective Criteria) प्रोसेस जिसके जरिये तय होती हैं क्षमताएं. कैसे सीबीएसई (CBSE Board) इसका इस्तेमाल करके CBSE 10वीं के छात्रों को नंबर दे सकता है. बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर ने न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के कई देशों में तबाही मचा रखी है. इंग्लैंड ने भी कोरोना के मद्देनजर इस साल सालाना ऑफलाइन एग्जाम कैंसिल कर दिए थे. वहां भी स्टूडेंट्स के असेसमेंट के लिए सरकार ने शिक्षा विभाग से एक प्रोसेस डेवलप करने को कहा गया था, जिसके जरिये वहां टीचर्स ने बच्चों को प्रोजेक्ट और दूसरे तरीकों से बच्चों का मूल्यांकन करके उनका रिजल्ट तैयार किया.
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इसी तर्ज पर सीबीएसई भी अपना ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया (Objective Criteria) तैयार करेगा. दरअसल ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया (Objective Criteria) में कई प्वाइंट्स के जरिए छात्रों का मूल्यांकन किया जाता है. यह मूल्यांकन के लिए एक विधि है. इसमें शैक्षिक संगठनों द्वारा इस बात की असेसमेंट की जाती है कि छात्रों ने आखिर पूरे साल क्या सीखा. अब सीबीएसई (CBSE) ने भी कहा है कि जल्द ही दसवीं के छात्रों के मूल्यांकन के लिए ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया (Objective Criteria) तैयार किया जाएगा.
ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया कुछ इस तरह से तैयार होगा जिससे छात्रों का पूरी तरह इनसाइट असेसमेंट किया जा सके. इस प्रोसेस के जरिये बोर्ड एक या एक से अधिक टूल्स का इस्तेमाल करके छात्रों का स्टेप बाइ स्टेप मूल्यांकन कर सकता है. इसमें प्रभावी मूल्यांकन के लिए छात्रों के कौशल और बीते साल जो सीखा है उसे परिणाम निकालने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
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दसवीं की परीक्षाएं रद्द करने का फैसला कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और बच्चों के पैरेंट्स की लगातार उठाई गई मांगों को लेकर किया. अभिभावकों और छात्रों में डर था कि अगर बच्चे परीक्षा हॉल में एक साथ बैठेंगे तो कोरोना की चपेट में आ सकते हैं. बैठक के बाद शिक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर परीक्षाओं के संबंध में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी.