जब अधिकारियों ने चलाया वसूली के खिलाफ अभियान..अस्पताल प्रबंधकों को छूटा पसीना.. कोरोना मरीजों को मिला राहत का आक्सीजन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर….पत्रकार प्रदीप आर्य को अस्पताल की लापरवाही अति उच्च महाकांक्षा ने ना केवल आर्य परिवार से बल्कि पत्रकार जगत से हमेशा हमेशा के लिए छीन लिया। इसके बाद प्रशासन की नीद खुली। अस्पतालों पर नकेल कसने के साथ बिस्तरों की कालाबाजारी के साथ ही बिलिंग करने वालों पर पैनी नजर रखने टीम का क्या गठन किया। दोनों हाथ से लूट पाट करने वाले अस्पताल प्रबंधन की अब नींद गायब हो गयी है। अब बिस्तर की कालाबाजारी पर रोक लग गयी है।

                              कोरोना काल में निजी अस्पतालों की लूटपाट की शिकायत आम बात है। और जिला प्रशासन समय समय पर इसे गंभीरता से भी लिया। लेकिन पत्रकार प्रदीप आर्य की मौत के बाद प्रशासन को सख्त कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा ।  आनन फानन में ऊर्जा  वान नोडल अधिकारियों को तैनात पर अस्पताल प्रबंधन को बेचैन कर दिया। और इसका फायदा भी दिखने लगा है। 

             कलेक्टर ने जिले के ऊर्जावान अधिकारियों की एक टीम तैनात कर अस्पतालों की गतिविधियों पर नजर रखने को कहा। साथ ही अलग अलग नोडल अधिकारियों के बीच क्षेत्र का बंटवारा कर स्थानीय अस्पतालों पर नजर रखने को कहा। साथ ही जनता के बीच नोडल अधिकारियों का नम्बर आम कर दिया गया। इसके बाद तो अस्पताल प्रबंधन के तो होश ही उड़ गए।

24 अस्पताल 8 नोडल अधिकारी

          अस्पतालों की मनमानी को रोकने डॉ.सारांश मित्तर ने निगम सीमा में आने वाले कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे 21 अस्पतालों को 8 नोडल अधिकारियों के बीच बांट दिया। नोडल बनाए गए अधिकारियों आरटीओ प्रेम प्रकाश शर्मा, डिप्टी कलेक्टर मोनिका वर्मा मिश्रा, महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुरेश सिंह, कार्यपालन अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी अमित गुलहरे और सहायक श्रम आयुक्त ज्योति शर्मा को कुछ अस्पतालों की जिम्मेदारी दी गयी।

                 कलेक्टर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना कार्यपालन अभियंता वरूण राजपूत, उपसंचालक कृषि शंशाक शिन्दे और आदिवासी विभाग सहायक आयुक्त सीएल जायसवाल को शहर के प्रमुख और विवाद वाले अस्पतालों पर नकेल कसने को कहा गया।

नोडल अधिकारियों की सघन कार्रवाई

                 नोडल अधिकारियों ने जिम्मेदारी मिलने के बाद सबसे पहले कुल 21 अस्पतालों का भ्रमण किया। बिस्तरों का हिसाब किताब मांगा। इसके अलावा सख्त निर्देश दिया कि बिस्तर खाली होने और भरने की जानकारी पल पल देंगे। कभी भी बिना शिकायत के भी छापा मारा जा सकता है।

                 कार्रवाई के दौरान नोडल अधिकारियों ने बिलिंग शिकायतों का भी जायजा लिया। गड़बड़ी पाए जाने पर जमकर फटकारा भी। दो एक अस्पताल ऐसे भी सामने आये जिन्होने मरीजों से दस गुना भूगतान करने को मजबूर किया। लेकिन नोडल अधिकारियों को देखते ही अस्पताल प्रबंधन सकते में आया गया। माफी मांगते हुए बिल को दस गुना  कम कर दिया।

               इस बीच कलेक्टर की नोडल टीम ने स्पष्ट किया कि बिस्तरों की कालाबाजारी को बर्दास्त नहीं किया जाएगा। ना तो अनाप शनाब बीलिंग किए जाने पर किसी को छोडा जाएगा। नोडल अधिकारियों ने कमोबेश सभी अस्पताल प्रबंधन को अपना नम्बर दिया। साथ ही कलेक्टर मित्तर ने सभी का नम्बर मीडिया में डाल दिया। इसके बाद पिछले चार दिनों से कहीं से खबर नहीं  है कि बिस्तर की कालाबाजी हो रही है। ना तो बीलिंग को लेकर शिकायत ही सामने आ रही है। जैसा की इस समय मुंगेली जिला में देखने को मिल रहा है।

                  बहरहाल सभी नोडल अधिकारी इस व्यवस्था का सारा श्रेय कलेक्टर सारांश मित्तर को दे रहे हैं।  

कौन कौन अस्पताल

             अपोलो, महादेव, वासुदेव, एसकेवाय, किम्स,आरबी हास्पिटल, साई बाबा,ओमकार, केयर एण्ड क्योर, लाइफ केयर, नारायणी,एसकेबी, स्वास्तिक, प्रथम हास्पिटल, श्रीराम केयर, श्री चिल्ड्रेन, सनशाइन, स्टार चिल्ड्रन, स्वामी विवेकानन्द, मार्क हास्पिटल और न्यू जनता अस्पताल।

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