जब कागजों में चलेगा संकुल..तो फिर गुणवत्ता की उम्मीद क्यों?पढ़ें..कैसे उड़ रही नियमों की धज्जियां

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-स्कूल शिक्षा विभाग की कहानी हमेशा अनूठी रहती है। कहते कुछ और करते कुछ हैं। बड़ी बड़ी योजनाएं तो लाते हैं..लेकिन सभी योजनाएं चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात जैसी हो जाती है। शासन ने शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रत्येक जिले के ब्लॉक में 5 से 7 स्कूलो का  स्कूल कांप्लेक्स संकुल सिस्टम लागू किया है। नई सरकार ने बेहतर परिणाम  के लिए व्यवस्था को ज्यादा कारगर बनाने संकुल प्रभारी की जगह संकुल प्राचार्य को जोड़कर संकुल  केंद्र सिस्टम का विस्तार किया है। लेकिन कर्मचारी है कि आदतों से सुधरने को बाज नहीं आ रहे है। जिसके चलते सरकार की सारी कवायद ढाक के तीन पात साबित हो रहे हैं।
 संकुल के बहाने भर्राशाही का खेल
                   शासन ने शिक्षा को गुणवत्ता मूलक बनाने के लिए नया तरीका अपनाया। संकुल सिस्टम का विस्तार करते हुए संकुल प्रभारी जगह संकुल प्राचार्य को जोड़ते हुए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा की तरफ कदम बढ़ाने का प्रयास किया।
             जानकारी देते चलें कि प्रदेश में 5500 संकुल काम पर हैं। व्यवस्था के तहत संकुल प्राचार्य को संकुल समन्वयक की सहायता से 5 से 7 स्कूलों की पढ़ाई लिखाई का जिम्मा दिया गया है।  प्राचार्य और समन्वयक को शासन ने स्कूलों को चकाचक बनाने के साथ ही विभागीय योजनाओं को अमलीजामा पहुंचाने का दायित्व भी सौंपा है।
फण्ड की कमी नहीं
           नियमावली के अनुसार शिक्षकों में से ही संकुल समन्वयक का चयन किया जाता है। ।संकुल समन्वयक का कार्य कंप्यूटर के जानकार वरिष्ठ और अनुभवी शिक्षकों को समग्र शिक्षा के अधीन सौंपा जाता है। हम भली भांति जानते हैं कि योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए संकुल केंद्र बनाए गए हैं। प्रत्येक संकुल में लाखों रुपए के फर्नीचर भेजे गए है। ऑनलाइन कार्यों के लिए कंप्यूटर सिस्टम दिया गया है। बैठकों के आयोजन के लिए आवश्यक खर्च की व्यवस्था होती है।  मोबाइल भत्ते और टीए, डीए की भी व्यवस्था होती है।
ऐसा है शिक्षा का सिस्टम
             संकुल स्तर पर प्रशिक्षण के लिए अलग से फंड भी जारी होता है। संकुल के प्राइमरी और मिडिल स्कूलों तक योजनाओं की बेहतरी और शिक्षा गुणवत्ता संबंधी कार्यों के लिए बीआरसीसी समेत संकुल को-ऑर्डिनेटर विकास खंड शिक्षा कार्यालय के प्रति उत्तरदायी होते हैं। समग्र शिक्षा के नए आदेश के अनुसार मूल शाला में शिक्षा के स्तर के कायाकल्प में प्रतिदिन तीन पीरियड अध्यापन कार्य का दायित्व विशेष रूप से संकुल समन्वयक के लिए निर्धारित किया गया है।
अधिकारी तंत्र की निष्क्रियता
            लेकिन जब हमारी टीम ने विभिन्न जिलों के मैदानी हालात का जायजा लिया तो बहुत ही हैरानी हुई। पाया गया कि शिक्षा विभाग की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी संकुल को अधिकारी तंत्र की निष्क्रियता ने डाकिए और एजेंट की भूमिका तक सीमित कर दिया है।
               अधिकांश जगहों पर संकुल केंद्रों का अता पता ही नही है। केंद्रों पर होने वाले खर्च का कोई हिसाब नहीं है। फर्नीचर कुर्सी टेबल और सोफा सेट कूलर स्टेशनरी में आवंटन को खर्च किया जाता है। बैठने का स्थान निर्धारित नहीं होने से जनता की गाढ़ी कमाई से दिए गए फर्नीचर शिक्षा धिकारियों या फिर शिक्षकों के घर की शोभा बन गयी हैं। 
रोज दो-दो हाथ की नौबत
             केंद्रों की जांच में, संकुल समन्वयक की नियुक्ति, किए जा रहे कार्यों का कोई लेखा जोखा नहीं है। धरातल पर शिक्षा विभाग की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने को लेकर शिक्षा विभाग में मॉनिटरिंग सिस्टम का कोई प्रावधान ही नहीं है। यही कारण है कि आए दिन संकुल समन्वयक और स्कूल के शिक्षकों के बीच दो-दो हाथ की नौबत आ जाती है।  जिसका खामियाजा सरकारी स्कूल के लाखों बच्चों को भुगतना पड़ता है। संकुल प्राचार्य की नई कड़ी जोड़ने पर आपसी टकराहट और खींचतान बढ़ गयी है। महकमे में गुटबाजी चरम पर पहुंच गयी है।
 नेतागीरी करने वाले बने  समन्वयक  
                प्राचार्य संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि अधिकांश संकुल समन्वयक नेता किस्म के घुमंतू लोग हैं,। वे न तो अपनी स्कूल में पढ़ाते है और न ही संकुल का दौरा करते है। क्लास थ्री के कर्मचारियों को क्लास वन प्राचार्य के समकक्ष काम देकर प्राचार्य कैडर का अवमूल्यन किया जा रहा है। स्कूलों के निरीक्षण के पहले संकुल केंद्रों के व्यापक निरीक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे स्कूल शिक्षा विभाग की योजनाओं का सुचारूरूप से संचालन हो । संकुल समन्वयको को भी  चाहिए कि बीईओ ऑफिस की दुकानदारी संभालने के बजाय संकुल की शिक्षा गुणवत्ता के कार्य में भागीदारी निभाए।
नियमित पोस्टिंग नहीं
                मामले में समग्र शिक्षा के डायरेक्टर नरेंद्र दुग्गा ने बताया विकासखंड पर स्कूलों के साथ संकुलो के कार्य निष्पादन का प्रावधान है। को-ऑर्डिनेटर केवल सहयोग करने के लिए हैं। इसमें कोई नियमित पोस्टिंग नहीं की जाती है। बेहतर संचालन के लिए शीघ्र ही गाइडलाइन जारी करेंगे।गड़बड़ी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई भी करेंगे।
तीन पीरियड लेना अनिवार्य
               जिला शिक्षाअधिकारी रायगढ़ ने बताया कि जिले में कार्यरत सभी संकुल समन्वयकों को सख्त निर्देश जारी किया है कि संकुल समन्वयक अपने पदांकित संस्था में प्रतिदिन तीन कालखंड अध्यापन कार्य कराएं।
कड़ाई से कराना होगा पालन
                जानकारी देते चलें कि शासन ने स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता में कसावट लाने के लिए प्रदेश में लगभग 5500 संकुल समन्वयक कार्य कर रहे है। गाइडलाईन के अनुसार सभी संकुल समन्वयकों को प्रतिदिन अपने पदांकित मूल  शाला में तीन कालखंड पढ़ाने के बाद संकुल के अन्य अकादमिक कार्यों को करना है। लेकिन संकुल समन्वयकों ने उच्च कार्यालयों के आदेशों की अवहेलना करते हुए मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। पढ़ाने में किसी भी प्रकार की रुचि नहीं रखते हैं। विकास खंड शिक्षा अधिकारियों को शासन के निर्देशों का कड़ाई से पालनकरना होगा।
 
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