जब खिलाड़ी ने लगाई छळांग..कार डूबने से पहले पुजारी को बचाया..बताया..इंसानियत दुनिया का सबसे बड़ा धर्म

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— गोपालदास नीरज ने लिखा है..धर्मध्यान से बड़ा कर्म है..कर्मज्ञान से बड़ा मर्म है…लेकिन सब धर्मों में मानव धर्म महान है। इसे सच साबित किया है एक खिलाडी ने। क्रिकेट खिलाड़ी अब्दुल रहमान ने बिना एक पल देरी किए गहरे नाले में कार के साथ डूब रहे पुजारी को सुरक्षित बाहर निकालकर इंसानीयत का सबसे बड़ा उदाहरण पेश किया है। कहा भी जाता है कि खिलाड़ी का कोई मजहब नहीं होता है। अब्दुल और उसके साथी साकिर ने किताबों में लिखी इंसानियत की परिभाषा को सच कर दिखाया है।

             
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                          रविवार को पेशे से पुजारी बलौदा निवासी पंडित अमित मिश्रा दोपहर बिलासपुर से वैगनआर कार चलाते  घर लौट रहे थे।करीब 2 बजे के आसपास अमित मिश्रा की कार सीपत के आगे ग्राम हिन्डाडीह मोड़ के पास कार अनियंत्रित होकर  पूल से 20 फिट नीचे गहरे नाले में गिर गयी। देखते ही देखते नाला किनारे लोगों को हुजूम लग गया। इस दौरान बन्द कार के अन्दर से अमित मिश्रा बचाओं बचाओ की गुहार लगाते रहे। लेकिन किनारे खड़े किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि किया क्या जाए।
 
                  कार का शीसा बन्द था। पानी भी तेजी से  कार में  घुस रहा था। इसी बीच लुतरा शरीफ मुस्लिम जमात के अध्यक्ष हाजी अब्दुल करीम का बेटा अब्दुल रहमान बेग ऊर्फ पहुंच गया। दरअसल मोनू सीपत से क्रिकेट खेलकर अपने साथी साकिर के साथ लुतरा लौट रहा था। क्रिकेट खिलाड़ी मोनू ने खिलाड़ी धर्म यानि इंसानीयत को नाजिर हाजिर मानकर जान की परवाह किए बिना गहरे नाला में छलांग लगा दिया। कार के पास पहुंचकर सबसे पहले शीशा को तोड़ा। खिड़की के रास्ते अपने साथी साकिर के सहयोग से अमित मिश्रा को बाहर निकाला। बिलकुल फिल्मी स्टाइल में।
 
                     इसके बाद दोनो खिलाड़ी अमित को लेकर बाहर आए। और लोगों ने देखा कि अमित मिश्रा के बाहर निकलते ही कार धीरे धीरे गहरे पानी में समा गयी। खबर मिलने पर घटना के करीब तीन घण्टे बाद पुलिस टीम के सहयोग से  ट्रैक्टर को सहयोग से कार को बाहर निकाला।
 
                                सीपत समेत घटना को लेकर बिलासपुर में चर्चा है। हर लोगों की जूुबान में एक ही बात है कि खिलाड़ी ही ऐसा कारनामा कर सकता है। जैसा अमित को बचाने अब्दुल और साकिर ने किया। 
 
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