बिलासपुर(मनीष जायसवाल)कोरोना काल के साए में विश्व स्तनपान सप्ताह एक अगस्त से मनाया जाएगा सात दिन चलने वार्षिक साप्ताहिक कार्यक्रम में स्तनपान के महत्व की चर्चाओं के बीच तमाम तरह के बैनर पोस्टर सप्ताह भर छाए रहेंगे।इस जागरूकता अभियान के दूसरे पहलू के रूप में एक और विषय चर्च में है जो शासकीय, अर्धशासकीय , निजी क्षेत्रों में काम करने वाली महिला कर्मचारियों से जुड़ा हुआ है। इन महिलाओं को इस काल खण्ड में मिलने वाली सुविधाओं उनके के हक के दावे धरातल काफी दूर है हाल ही मे एक जून को श्रम और रोजगार मंत्रालय ने नियमो का हवाला देते हुए मातृत्व अवकाश के बाद भी एक साल तक छोटे बच्चों को दुग्धपान कराने वाली वाली माताओं के लिए घर से काम करने को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श जारी किया था इस परामर्श को कोरोना काल मे अमल पर लाये जाने के लिए इस पखवाड़े वकालत शुरू हुई है।
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छोटे बच्चों को दुग्धपान कराने वाली आत्मनिर्भर माताओं का दर्द समझने के लिए उस अवस्था से गुजरने वाले ही समझ सकते है। कि शुरुआत के एक साल का समय कर्मचारी माताओं और उनके शिशुओं के लिए कितना तकलीफों भरा रहता है वह शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता सिर्फ भावनाओं को समझा जा सकता है। ये आत्मनिर्भर महिलाएं अपने बच्चों को घर पर छोड़ कर सात से आठ घण्टे कार्यक्षेत्र में बिताती हैं । सीजीवाल ने इस विषय को लेकर कई महिला कर्मचारियों से बात है उनका मानना है एक कामकाजी महिला पहले से दोहरी ज़िंदगी जीती है बच्चे जब तक छोटे रहते है यह ज़िंदगी तिहरी जिंदगी हो जाती है। पुरुष सहकर्मी आज भी महिलाओं की इस भावना को नहीं समझते महिलाओं की इस अवस्था में उनके कार्य क्षेत्र से जल्दी घर जल्दी जाने को लेकर भेदभाव आम है । महिलाओं माताओ के इस दर्द को महिला संगठनों और देश और राज्य की महिला राजनेताओं से स्वतः संज्ञान लेकर इस कोरोना काल मे विश्व स्तनपान सप्ताह में केंद्रीय श्रम मंत्रालय की एडवाइजरी को अमल में लाना चाहिए
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पांडेय का कहना है कि मौजूदा काल खंड में महिला कर्मचारियों के लिए संवेदन शील दृष्टि कोण को अपनाना चाहिए क्योकि कोरोना अभी खत्म नही हुआ है। महिलाओ को माँ बनने के प्रकृति वरदान पर विशेषकर कर्मचारी महिलाओ के लिए विशेष नीति नियम बनाने चाहिए । क्योंकि बच्चे माँ पर ही आश्रित रहते है।
छत्तीसगढ़ महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष रही सुधा वर्मा का कहना है कि पहले कामकाजी महिलओं को 12 हफ्ते का वैतनिक मातृत्व अवकाश मिलता था 2017 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने यह छुट्टी दोगुने से भी ज्यादा बढ़ा दी है। एक माँ के नजरिये से देखा जाए तो एक बच्चा साल भर तक माँ से ज्यादा समय दूर नही रह सकता है। कामकाजी महिलाओं के लिए यह वक़्त बड़ा ही तकलीफों भरा रहता है। छह माह के बाद शिशु भले ही ठोस आहार लेना शुरू कर देते है। पर माँ का दूध पीना बंद नही करते है। इस लिए इस कोरोना काल के वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक पर जागरूकता के साथ महिलाओ के लिए विशेष अधिकार की बात होनी चाहिए केंद्र ने राज्यो को सुझाव दिया है तो उसे अमल में लाने की शुरुवात राज्य सरकार को करनी चाहिए ।
महिला कर्मचारी नेता गंगा पासी का कहना है कि कोरोना काल में नवजात शिशु की माता जो अपने शिशुओं को स्तनपान करवा रही है उन्हें विशेष लाभ मिलना चाहिए । संभव हो तो ऐसी महिला कर्मचारियों को एक साल तक वर्क फ्रॉम होम की सुविधा देनी चाहिए। कोरोना काल मे महिला कर्मचारियों के लिए कल्याणकारी राज्य का महिला सशक्तिकरण को लेकर एक अच्छा संदेश होगाराज्य सरकार की महिला कर्मचारी बनमोती भोई का कहना है कि मां का दूध अपने शिशुओं के लिए अमृत समान रहता है अमृत्व को बनाए रखने के लिए प्रसूति अवकाश के बाद भी स्तनपान कराने वाली महिला कर्मचारियों को विशेष लाभ मिलना चाहिए कोरोना काल मे यह लाभ और महत्वपूर्ण हो जाता है।
विश्व स्तनपान सप्ताह
वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2021 इस बार की थीम है- ‘स्तनपान की सुरक्षा: एक सहभागितापूर्ण जिम्मेदारी’ ( Protect Breastfeeding: A Shared Responsibility). इस थीम के पीछे यह उद्देश्य है कि लोगों को ब्रेस्टफीडिंग के फायदे बताए जाएं और इसके महत्व को समझा जाए.1992 में पहला विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया गया था इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्तनपान के प्रति जन जागरूकता लाने के मक़सद से पूरे विश्व में एक अगस्त से सात अगस्त तक हर साल यह हफ्ता स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। स्तनपान सप्ताह के दौरान माँ के दूध के महत्त्व की जानकारी दी जाती है। नवजात शिशुओं के लिए माँ का दूध अमृत के समान है। माँ का दूध शिशुओं को कुपोषण व अतिसार जैसी बीमारियों से बचाता है। इस मूल मंत्र को माओ को याद दिलाया जाता है कि स्तनपान को बढ़ावा देकर शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। शिशुओं को जन्म से छ: माह तक केवल माँ का दूध पिलाने के लिए महिलाओं को इस सप्ताह के दौरान विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाता है।
क्या एडवाइजरी थी केंद्र सरकार की
एक जून 2021 को केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी की थी जिसमें कहा गया था कि इस समय व्याप्त वैश्विक कोविड-19 महामारी के दौरान केंद्र ने छोटे बच्चों (दुग्धपान कराने वाली) वाली माताओं के लिए घर से काम करने को प्रोत्साहित करने के लिए एक नवीनतम कदम के रूप में मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 की धारा 5(5) के तहत राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए परामर्श जारी किया है। इस अधिनियम में यह प्रावधान है कि जिन क्षेत्रों में किसी महिला को सौंपे गए कार्य की प्रकृति यदि इस प्रकार की है कि वह घर से काम कर सकती है तब नियोक्ता उसे आपसी सहमति के आधार पर इस अवधि में मातृत्व लाभ प्राप्त करने के बाद ऐसा करने की अनुमति दे सकता है।
केंद्र ने कहा था कि कोविड महामारी के दौरान छोटे बच्चों (दुग्धपान कराने वाली ) वाली माताओं और उनके बच्चों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने से बचाने के लिए, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को नियोक्ताओं को अनुमति देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक सलाह जारी की है।इस परामर्श के अनुसार जहां भी काम की प्रकृति अनुमति देती है, वहां ऐसी माताएं घर से काम करें। राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया है कि महिला कर्मचारियों और नियोक्ताओं के बीच अधिनियम की धारा 5(5) के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से यह भी अनुरोध किया गया है कि जहां कहीं भी घर से काम किया जाना सम्भव हो, मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 की अधिनियम की धारा 5(5) के अनुसार अधिक से अधिक दुग्धपान कराने वाली माताओं को घर से काम करने की अनुमति देने के लिए उनके नियोक्ताओं को सलाह जारी की जा सकती है।एडवाइजरी में यह भी कहा गया था कि नियोक्ताओं को सलाह दी जा सकती है कि वे बच्चे के जन्म की तारीख से कम से कम एक वर्ष की अवधि के लिए ऐसी सभी माताओं के लिए घर से काम करने की अनुमति दें, जहां भी काम की प्रकृति ऐसा करने लिए सम्भव हो।
केंद्र सरकार का मानना था कि यह कदम इस कोविड महामारी के दौरान दुग्धपान कराने वाली माताओं को संक्रमित होने से बचाने के अलावा, जहां भी काम की प्रकृति ऐसा करने की अनुमति देती है, वहां घर से काम करने की सुविधा प्रदान करेगा और उनके रोजगार को बनाए रखने में सहायक होगा। इस प्रकार, श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में एक सक्षम उपाय के रूप में इस अधिनियम के इस प्रावधान के कार्यान्वयन से एक खुशहाल श्रमशक्ति को बनाने में भी सहायता मिलेगी।
लब्बोलुवाब यह है कि कोरोना कि तीसरी लहर अभी कुछ दूर है। लॉक डाउन खुल गए है। पर कोरोना का खतरा अभी गया नही है। अधिकांश स्तनपान कराने वाली कामकाजी महिलाएं कोविड के टीके से दूरी बनाए हुए है। बच्चों के लिए देश में भी कोरोना के टीके का कोई विकल्प नही है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार की एक जून को जारी छोटे बच्चों दुग्धपान कराने वाली वाली माताओं के लिए घर से काम करने को प्रोत्साहित करने वाली नीति को वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2021 पर अमल लाई जानी चाहिए क्योंकि इसकी थीम ‘स्तनपान की सुरक्षा: एक सहभागितापूर्ण जिम्मेदारी है ।