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Budget 2024- बजट में आखिर किसे मिली राहत?

Budget 2024-सरकार ने 2024-25 का पूर्ण बजट पेश कर दिया है. बजट में सरकार के इनकम टैक्स की न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब को बदलने और स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को बढ़ाने की खूब चर्चा है.

Budget 2024-साथ ही इसे मिडिल क्लास के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है. इसे लेकर सरकार को घेरते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने राज्यसभा में बजट पर चर्चा के दौरान सरकार से कुछ तीखे सवाल किए. उन्होंने सरकार के सामने टैक्सपेयर्स, गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी के आंकड़े पेश कर सरकार से पूछा कि आखिर बजट में असली राहत किसे दी गई है?

Budget 2024-पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने इनकम टैक्स में दी गई राहत को लेकर सरकार को घेरा और सवाल किया कि लोगों की आजीविका एक गंभीर मुद्दा है. अगर वित्त मंत्री ने उन्हें राहत दी है, तो आखिर वह किसके लिए है? इसके पक्ष में उन्होंने सरकार के सामने आंकड़े भी पेश किए…

क्या कहते हैं इनकम टैक्स के आंकड़े?Budget 2024

वित्त वर्ष 1997-98 का ‘ड्रीम बजट’ पेश करने वाले पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि 2022-23 में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वाले टोटल टैक्सपेयर्स की संख्या 7.4 करोड़ थी. मान लेते हैं कि ये अब तक बढ़कर 8 या 8.5 करोड़ हो गई होगी. इसमें से 65% टैक्सपेयर वे हैं, जिनके ऊपर कोई टैक्स देनदारी नहीं है. यानी उनकी इनकम टैक्स-फ्री के दायरे में आती हैं और वह जीरो टैक्स का आयकर रिटर्न (आईटीआर) फाइल करते हैं. इस तरह इनकी संख्या भी करीब 5 से 5.6 करोड़ तक हो जाती है.

उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आपने उन लोगों को इनकम टैक्स में राहत दी है, जो न्यू टैक्स रिजीम में शिफ्ट हुए हैं. ऐसे में ये राहत 2 से 3 करोड़ लोगों के लिए है, जिसमें से अधिकतर जीरो टैक्स लायबिलिटी वाले टैक्सपेयर्स हैं.

साल में सिर्फ 60,000 रुपए खर्च करने वाला अमीर या गरीब?

पी. चिदंबरम ने कहा, ” भारत 140 करोड़ लोगों का देश है. भारत सरकार का ही हाउसहोल्ड कंजंप्शन एक्सपेंडिचर सर्वे (आम आदमी के परिवार का उपभोग पर होने वाले खर्च का सर्वे) दिखाता है कि देश में आय के निचले स्तर पर रहने वाली 50 प्रतिशत आबादी (करीब 71 करोड़ लोग) के पास देश की पूरी संपत्ति का महज 3 प्रतिशत है, जबकि नेशनल इनकम में उनकी हिस्सेदारी महज 13 प्रतिशत है.”

उन्होंने कहा, ” सरकार का सर्वे दिखाता है कि ग्रामीण इलाकों में एक परिवार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए औसतन 3,094 प्रति माह खर्च करता है. जबकि शहरी इलाकों में ये खर्च 4,963 रुपए प्रति माह है. ऊपरी लिमिट में भी ये साल का करीब 60,000 रुपए हुआ. सरकार बताए कि क्या वह अमीर है या गरीब? अगर इसी आंकड़े को आय के निचले स्तर पर रहने वाली 20 से 10 प्रतिशत आबादी के लेवल पर जाकर देखें, तो बताइए बजट में उनके लिए क्या राहत दी गई है?

नीति आयोग कहता है कहां है गरीबी?Budget 2024

पी. चिदंबरम ने नीति आयोग को भी अपने वक्तव्य में आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि नीति आयोग के सीईओ कहते हैं कि भारत ने वर्चुअली गरीबी को खत्म कर दिया है, देश में गरीबी का स्तर 5 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है. ये बात नीति आयोग की ओर से तब कही जा रही है, जब देश में निचले स्तर पर रहने वाले 71 करोड़ लोगों की बात हो रही है. क्या बजट में उनके लिए कोई राहत है?

RBI कहता है कहां है बेरोजगारी?

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बेरोजगारी को लेकर भी सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि देश में 30 करोड़ लोग ऐसे हैं जो दैनिक मजदूरी पर काम करते हैं. बाकी कई लोग असंगठित क्षेत्र में नौकरी करते हैं. देश में संगठित क्षेत्र का रोजगार सिर्फ 17 से 25 प्रतिशत के बीच है. ऐसे में क्या सरकार ने डेली वेज वर्कर्स को कोई राहत दी है?

उन्होंने कहा कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) का अनुमान है कि देशभर में जून 2024 के महीने में बेरोजगारी की दर 9.2 प्रतिशत रही है. बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. इसे कुछ उदाहरण से समझ सकते हैं.

  • उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में 60,244 खाली पोस्ट के लिए 48 लाख लोग आवेदन करते हैं.
  • मधय प्रदेश में 15 पोस्ट के लिए 11,000 लोगों के आवेदन आते हैं.
  • उत्तर प्रदेश की एसएससी परीक्षा में 7,500 पोस्ट के लिए 24,74,030 आवेदन किए जाते हैं.
  • गुजरात में एक प्राइवेट कंपनी में सिर्फ 5 पोस्ट की नौकरी के लिए 1,000 से ज्यादा लोग कंपीट करते हैं.
  • एअर इंडिया में 2,216 पोस्ट के लिए 25,000 लोग इंटरव्यू देने पहुंच जाते हैं. इसके बाद भी आरबीआई दावा करता है कि देश में रोजगार का संकट नहीं है.

PLI के बाद सरकार लेकर आई EIL

पी. चिदंबरम ने सरकार को रोजगार के लिए लाई गई उसकी नई स्कीम पर भी घेरा. उन्होंने कहा कि पहले सरकार उद्योगों के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (पीएलआई योजना) लेकर आई थी. संभव है कि पीएलआई से उतने रोजगार पैदा नहीं हुए हों, जितने की आपको उम्मीद थी. अब सरकार एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव (ELI) योजना लेकर आई है. देश की वित्त मंत्री को पीएलआई स्कीम का आउटकम देश की संसद को बताना चाहिए, तब हम अंदाजा लगा सकेंगे कि ELI से क्या मिल सकता है.

वहीं भुखमरी को लेकर मौजूदा सरकार ‘वर्ल्ड हंगर इंडेक्स’ के आंकड़े को स्वीकार नहीं करती हो. लेकिन 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराना दिखात है कि हम भूख के मामले में कहां खड़े हैं, और ये खुद सरकार स्वीकार करती है?Budget 2024

 
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