बिलासपुर।उपराष्ट्रपति चुनावों के लिए मतदान के बाद मतगणना (Vice President Election Results) पूरी हो चुकी है. इस चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) विजयी हुए हैं. उन्होंने विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को बड़े अंतर से हराया है. जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार घोषित करने के पीछे उन पर पीएम मोदी (PM Modi) और बीजेपी आलाकमान के विश्वास को माना जा रहा है. पश्चिम बंगाल के गवर्नर के तौर पर जगदीप धनखड़ का कार्यकाल काफी विवादित रहा क्योंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के साथ कई मुद्दों पर उनका टकराव हुआ. जगदीप धनखड़ ने पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था को लेकर कई बार गंभीर सवाल भी उठाए. चलिए जानते हैं कि आखिर कौन हैं जगदीप धनखड़ जो कि पीएम मोदी के काफी करीब माने जा रहे हैं और अब वे देश के नए उपराष्ट्रपति बन गए हैं.
कौन हैं नए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
देश के नए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान झुंझुनू जिले के किठाना गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम गोकल चंद और माता का नाम केसरी देवी है. उनकी शुरुआती पढ़ाई किठाना गांव में ही हुई है. उन्होंने गांव के ही प्राइमरी स्कूल में शिक्षा ली थी. इसके बाद रायपुर के महाराजा कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की थी. उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई भी की है.
जगदीप धनखड़ को पहली बार साल 1979 में राजस्थान बार काउंसिल में अधिवक्ता के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराया था. राजस्थान हाई कोर्ट ने उन्हें 1990 को सीनियर एडवोकेट के तौर पर नामित किया था. राज्यपाल पद संभालने से पहले तक वह राजस्थान हाई कोर्ट के सीनियर मोस्ट काउंसिल थे.
कैसा रहा धनखड़ का सियासी सफर?
नए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के राजनीतिक सफर की बात करें तो जनता दल के जमाने से राजनीति में हैं. वह साल 1989 में झुंझनुं से सांसद बने थे. वह 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे थे. वह कांग्रेस में भी रह चुके हैं. 2003 में वह बीजेपी में शामिल हो गए. 30 जुलाई 2019 को उन्होंने बंगाल के 28वें राज्यपाल का पद संभाला था.
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर जगदीप धनखड़ का रुख ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ रहा. विधानसभा में भी दोनों नेताओं के बीच तल्खी साफ नजर आती रही. ममता बनर्जी भी उन पर संवैधानिक पद के दुरुपयोग का आरोप लगाती रही हैं. जगदीप धनखड़ ममता बनर्जी सरकार के आलोचकों में से एक हैं. वह राज्य की राजनीतिक अस्थिरता के लिए तृणमूल कांग्रेस सरकार को दोष देते रहे हैं. वह राज्य में भड़की हिंसा के लिए भी टीएमसी को ही जिम्मेदार ठहराते रहे हैं.
ममता बनर्जी और जगदीप धनखड़ के बीच राजनीतिक तल्खियां इस कदर बढ़ गईं थीं कि उन्हें हटाने की मांग को लेकर TMC प्रतिनिधिमंडल ने तत्कालीन राष्ट्रपति से मुलाकात की थी. इन सब के बीच जगदीप धनखड़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के करीबी नेताओं में शुमार रहे हैं. यही कारण है कि उन्होंने जगदीप धनखड़ को ऐसे राज्य का राज्यपाल बनाया जहां बीजेपी की बड़ी राजनीतिक महत्वकांक्षाएं हैं.
आसानी से हुई जीत
अहम बात यह भी है कि जिन धनखड़ के खिलाफ ममता बनर्जी आए दिन बयान देती रहती थीं उन्हीं ममता ने ऐलान किया था कि उनकी पार्टी के सांसद उपराष्ट्रपति चुनावों में मतदान करेंगे. इसके चलते आज टीएमसी सांसदों ने मतदान नहीं किया और इसके चलते धनखड़ की जीत आसान हो गई थीं. ममता के इस फैसले के कई विपक्षी दलों ने विरोध भी किया था.