छत्तीसगढ़ BJP में कौन होगा अगले सीएम का दावेदार…?डी पुरंदेश्वरी ने नई रेस शुरू करने दिखा दी हरी झंडी

Shri Mi
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रायपुर।करीब ढाई साल बाद होने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव में बीजेपी की ओर से सीएम पद के दावेदार के रूप में पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह को पेश नहीं किया जाएगा …. यह तो तय हो गया है। छत्तीसगढ़ बीजेपी की प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने इस बारे में एक तरह से पार्टी का रुख साफ कर दिया है। लेकिन प्रदेश प्रभारी ने इसके साथ ही छत्तीसगढ़ मैं बीजेपी के नए सीएम सीएम के दावेदारों के बीच नई रेस के लिए हरी झंडी भी दिखा दी है। माना जा रहा है कि अब बीजेपी में कुछ नए चेहरे सीएम के दावेदार के रूप में सामने आ सकते हैं और छत्तीसगढ़ में मौजूदा सीएम भूपेश बघेल के मुकाबले बीजेपी भी पिछड़े तबके के किसी नेता पर दांव लगा सकती है।नया राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ में 2003 में पहला चुनाव हुआ था।

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जिसमें बीजेपी ने जीत हासिल की और उस समय के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष डॉ रमन सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद डॉ रमन सिंह लगातार 15 साल तक सूबे के मुख्यमंत्री रहे। 2018 के पिछले चुनाव में बीजेपी को शिकस्त मिली और लगातार 15 साल तक राज करने वाली पार्टी 15 विधायकों पर सिमट गई। बीजेपी के विपक्ष में आने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ही प्रदेश में पार्टी के चेहरे के रूप में सामने रहे हैं। इस दौरान पार्टी के तमाम फैसलों के समय डॉ. रमन की पसंद को तरजीह दी जाती रही है। जाहिर सी बात है कि दिल्ली के सारे फैसले डॉ. रमन के हिसाब से ही होते रहे हैं। इस बीच पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सौंपी।

लेकिन चुनाव के करीब ढाई साल पहले डॉ रमन सिंह को लेकर बीजेपी के रुख में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। इसका अंदाजा इतवार को राजधानी रायपुर में लोगों को हुआ । जब छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह साफ कर दिया कि अगले चुनाव में बीजेपी विकास के मुद्दे को लेकर मैदान में उतरेगी और सीएम के रूप में कोई चेहरा सामने नहीं लाया जाएगा। उन्होंने यह बात पत्रकारों के इस सवाल के जवाब में कही है, जिसमें उनसे पूछा गया था कि क्या डॉ. रमन सिंह ही छत्तीसगढ़ बीजेपी में मुख्यमंत्री के रूप में दावेदार के रूप में पेश किए जाएंगे। इसके पहले तक यह उम्मीद की जाती रही है कि अगर बीजेपी के बड़े नेताओं से इस तरह का सवाल किया जाता तो वह यही जवाब देते कि सहज रूप में डॉ रमन सिंह ही सीएम का चेहरा होंगे। लेकिन प्रदेश प्रभारी के इस जवाब से बीजेपी का नया रुख सामने आया है।सियासी हलकों में इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।

जानकारों का मानना है कि बीजेपी के प्रदेश प्रभारी ने फिलहाल यह तो साफ कर दिया है कि डॉ रमन सिंह को भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश नहीं किया जाएगा। तब सवाल यह उठता है कि बीजेपी किस चेहरे को सामने रखकर चुनाव लड़ेगी .? हालांकि अभी इसमें काफी समय बाकी है और बीजेपी के प्रदेश प्रभारी ने डॉ. रमन की जगह किसी और चेहरे को सामने करने की बात भी नहीं कही है। लेकिन चुनावी राजनीति को समझने वाले बेहतर जानते हैं कि चुनाव के मौके पर सीएम की दावेदारी कितनी अहमियत रखती है। लिहाजा यह माना जा रहा है कि बीजेपी प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं के बीच एक नई रेस शुरू करने हरी झंडी दिखा दी है और आने वाले समय में कई दावेदारों के चेहरे सामने आए तो हैरत की बात नहीं होगी।

सीएम की दावेदारी को लेकर प्रदेश प्रभारी की इस बात का एक अर्थ यह भी लगाया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में अगले चुनाव के लिए बीजेपी को अब नए चेहरे की तलाश है। खासकर छत्तीसगढ़ के मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल के मुकाबले बीजेपी भी किसी ओबीसी नेता को सामने लाने पर मंथन कर रही है। जिनमें कई नेता सामने आ सकते हैं। तेजतर्रार छवि के अजय चंद्राकर मध्य प्रदेश के समय से ही पार्टी के विधायक रह चुके हैं और सरकार में भी मंत्री के रूप में अहम जिम्मेदारी निभा चुके हैं। इसी तरह धरमलाल कौशिक का नाम भी ऊपर के दर्जे में गिना जा रहा है। वह भी मध्यप्रदेश के समय से ही विधायक रहे। छत्तीसगढ़ विधानसभा में अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं। वह छत्तीसगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे और इस समय विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं।

इस तरह कई जिम्मेदारियां निभाने वाले धरमलाल कौशिक की प्रोफाइल को देखते हुए उनके लिए संभावनाएं भी अधिक नजर आ रही हैं। ओबीसी नेताओं के अलावा सामान्य वर्ग और आदिवासी नेताओं के बीच से भी नाम सामने आ सकते हैं। जिनमें बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल, विष्णु देव साय जैसे कई नाम हो सकते हैं। फिलहाल धीमी रफ्तार की इस मैराथन रेस को ग्रीन सिग्नल मिल गया है और प्रभारी प्रदेश प्रभारी के बयान के बाद बीजेपी की ठहरी हुई राजनीति में हलचल के साथ नई लहरें भी उठने लगी हैं। जिसकी झलक आने वाले दिनों में भी देखने को मिल सकती है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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