देश में कोरोना के मामलों(Covid Cases In India) में उतार-चढ़ाव जारी है. करीब 20 दिनों से दैनिक संक्रमितों (Daily Covid cases) की संख्या 10 हजार से ज्यादा बनी हुई है. कोविड का कोई नया वेरिएंट (Corona New Variant) न आने के बावजूद भी केस बढ़े हैं.एक्सपर्टस का कहना है कि ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट्स की वजह से मामलों में इजाफा हुआ है, लेकिन इस समय ओमिक्रॉन के पांच से ज्यादा सब वेरिएंट मौजूद है. हालांकि इनमें एक वेरिएंट है जिसने पिछले कुछ समय में 18 फीसदी तक ग्रोथ की है. जिससे कोविड के मामलों में इजाफा हुआ है. हालांकि ये ओमिक्रॉन परिवार का ही है. इसलिए इससे लक्षण गंभीर नहीं हो रहे हैं.
पूणे के बी.जे मेडिकल कॉलेज के डॉ. राजेश के मुताबिक, मार्च के दौरान ही ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) की वजह से कोरोना की तीसरी लहर आई थी. ऐसे में दोबारा से मामले बढ़ने को कारणों का पता लगाना जरूरी थी. क्योंकि देश में कोविड का कोई नया वेरिएंट नहीं आया था. जीनोम सीक्वेंसिंग में पता चला है कि कोविड के बढ़ते मामलों की एक वजह ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट BA.2.75 हो सकता है. इसके दो और सब वेरिएंट्स मिले हैं जिनको BA.2.74और BA2.76 नाम दिया गया है. इन सभी सब वेरिएंट्स के स्पाइक प्रोटीन में 9 से ज्यादा म्यूटेशन हैं. आने वाले दिनों में ये तीनों सब वेरिएंट बीए.2 और बीए.3 को टेकओवर कर लेंगे और हो सकता है कि आने वाले दिनों में संक्रमितों में ये तीन वेरिएंट ही मिलें.
भारत के 10 राज्यों में मिला है ये वेरिएंट
इजरायल के एक वैज्ञानिक डॉ. शाय फ्लीशोन ने दावा किया है कि भारत के 10 राज्यों में BA.2.75 वेरिएंट मिला है. डॉ. शाय ने ट्वीट किया है कि यह वेरिएंट आने वाले दिनों मे तेजी से फैल सकता है. उधर डॉ. राजेश का कहना है कि अभी ऐसी कोई स्टडी सामने नहीं आई है. जिससे यह कहा जा सके कि इस वेरिएंट के लक्षण गंभीर है या इससे खतरा हो सकता है. वेरिएंट का शरीर पर असर कैसा होगा ये जानने के लिए क्लीनिकल स्टडी की जा रही है.
फिलहाल खतरा नहीं
इस नए सब वेरिएंट के बारे में TV9 ने सफदरजंग हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर से बातचीत की. डॉ. किशोर का कहना है कि ओमिक्रॉन के किसी भी सब वेरिएंट से कोई नई लहर नहीं आएगी. इस वेरिएंट से खतरा होने की आशंका भी नहीं है. क्योंकि इससे पहले भी ओमिक्रॉन के कई सब वेरिएंट आ चुके हैं. सभी हल्के लक्षण वाले थे. BA.2.75 से भी हॉस्पिटलाइजेशन में कोई इजाफा नहीं देखा गया है. इसलिए इससे पैनिक होने की जरूरत नहीं है.
डॉ. के मुताबिक, वायरस खुद की जिंदा रखने के लिए म्यूटेशन करता रहता है. इसी कड़ी में ये वेरिएंट आते हैं. जब कोई सब वेरिएंट आता है तो वह फैलता ही है. इसलिए देखा जाता है कि संक्रमितों में उसी वेरिएंट के केस मिलते हैं.चूंकि हर कुछ महीने में केस बढ़ रहे हैं और इससे नेचुरल इम्यूनिटी बन रही है. ऐसे में केस फिर से बढ़ने की आशंका नहीं है. डॉ. किशोर का कहना है कि इस बार जो केस बढ़ रहे थे. उनका पीक कुछ दिन पहले निकल गया है. अब उम्मीद है कि नए मामलों में कमी आएगी.