शतरंज़ की तरह सियासत की विस़ात पर भी अलग-अलग मोहरे की चाल अलग-अलग होती है….। और शतरंज़ की तरह सियासत के ख़ेल में भी कई बार किसी चाल के लिए लम्बे वक़्त का इंतज़ार करना पड़ ज़ाता है..। जिससे सही वक़्त पर किसी मोहरे को सही ज़गह पर बिठाकर बाज़ी अपनी ओर पलटी ज़ा सके..। कुछ इसी तरह कांग्रेस की सियासत में अटल श्रीवास्तव को बेहतर ज़गह पर बिठाने के लिए कुछ ज़्यादा समय से ही इंतज़ार करना पड़ रहा है। लेक़िन संकेत मिल रहे हैं कि इस बार राज़्य सभा चुनाव के दौरान इंतज़ार की घड़ी समाप्त हो सकती है और मुख़्यमंत्री भूपेश बघेल के ख़ास सिपहसालार को राज्यसभा भेजा जा सकता है। पहले भी कई चुनावों के मैनेज़मेंट में अपनी क़ाब़िलियत और सलाहियत साब़ित कर चुक़े अटल श्रीवास्तव ने हाल ही में खैरागढ़ विधानसभा चुनाव में अपनी भूमिक़ा क़े ज़रिए ज़िस तरह की पहचान बनाई है, उसके मद्देनज़र माना ज़ा रहा है कि उन्हे पुरस्कार के बतौर नई ज़िम्मेदारी सौंपी ज़ा सकती है।
राज़्यसभा की जिन सीटों के लिए आने वाले दिनों में ज़ल्दी ही चुनाव होने वाले हैं, उनमें छत्तीसगढ़ की दो सीटें भी शामिल हैं। चुनाव की तारीख़ों का एलान कर दिया गया है। लिहाज़ा छत्तीसगढ़ में सरकार चला रही कांग्रेस पार्टी के भीतर अब राज्य सभा के चुनाव को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है । दरअसल प्रदेश को दो राज़्यसभा सांसद रामविचार नेताम( बीज़ेपी ) और श्रीमती छाया वर्मा ( कांग्रेस ) का कार्यकाल आने वाले ज़ून महीन में पूरा हो जाने जा रहा है। राज़्यसभा क़ी इन द़ो सीटों के लिए चुनाव की रारीख़ तय हो गई हैं। तय यह भी है कि ख़ाली हो रही इन दोनों ही सीटों के लिए कांग्रेस उम्मीदवार ही जीतकर जाएंगे। चूंकि विधानसभा में सदस्य संख्या के हिसाब से दोनों ही सीटों पर कांग्रेस की जीत को लेकर किसी तरह की शंका नहीं है। हालांकि हमेशा की तरह इस बार भी राज्यसभा के लिए कांग्रेस में दावेदारों की गिनती कम नहीं है । और उम्मीदवार के चयन के दौरान जातीय समीकरण के जोड़तोड़ से भी इंकार नहीं किया जा सकता । छत्तीसगढ़ के जातीय समीकरण के लिहाज से ओबीसी तबके के प्रतिनिधित्व दिए जाने की भी चर्चा है। साथ ही हाल के दिनों में यह मुद्दा भी चर्चा में रहा है कि मूलतः छत्तीसगढ़ के ही नेताओं को राज्यसभा भेजा जाना चाहिए । इस नजरिए से राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन में नए समीकरण बन सकते हैं। लेकिन चूंकि कांग्रेस को दो सीटें मिल रहीं हैं, लिहाजा जातीय समीकरण में ओबीसी और जनरल के बीच बेलेंस बनाने की गुंजाइश भी दिखाई देती है।
जहाँ तक उम्मीदवारों के चयन का सवाल है, कांग्रेस में हमेशा की तरह हाईकमान का फैसला इस बार भी अंतिम होगा। लेकिन क्षेत्रीय संतुलन सहित तमाम पैमाने पर गौर किया जाए तो इस बार कांग्रेस बिलासपुर इलाक़े से राज्यसभा उम्मीदवार के नाम पर मुहर लगा सकती है। अविभाजित मध्य.प्रदेश के दौर में भी बिलासपुर इलाके के नेता राज्यसभा में नुमांइदगी करते रहे हैं। कांग्रेस की ओर से भगतराम मनहर, श्रीमती वीणा वर्मा, श्रीमती कमला मनहर,रामाधार कश्यप और बीजेपी की ओर से लखीराम अग्रवाल, गोविंदराम मिरी जैसे नाम गिनाए जा सकते हैं। कुछ इसी तर्ज़ पर इस बार भी बिलासपुर इलाक़े से कोई नाम सामने आ सकता है। इस कड़ी में बिलासपुर के कांग्रेस नेता अटल श्रीवास्तव का नाम भी अँदरख़ाने में चर्चा में है।
पन्द्रह साल तक बीजेपी शासन के दौर में बिलासपुर इलाक़े में कांग्रेस की सक्रियता को लेकर अहम् भूमिका निभाते रहे अटल श्रीवास्तव पार्टी संगठन में भी प्रदेश महामंत्री – उपाध्यक्ष जैसी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन कर चुके हैं। इस समय उन्हे छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। लेकिन बिलासपुर इलाक़े के सियासी नक्शे में सीएम भूपेश बघेल के ख़ास सिपहसालार और झण्डाबरदार के रूप में पहचान रखने वाले अटल श्रीवास्तव को अब तक वह मुक़ाम हासिल नहीं हो सका है, जिसकी क़ाबिलियत वे रखते हैं। बीजेपी सरकार के आख़िरी दिनों में जिस तरह कांग्रेस भवन में टारगेट कर पुलिस ने सरेआम अटल श्रीवास्तव का सिर फोड़ दिया था । फ़िर भी वे अपने मिशन में लगातार लगे रहे। कांग्रेस पार्टी पिछले काफ़ी अरसे से चुनाव प्रबंधन की ज़िम्मेदारी अटल श्रीवास्तव को सौंपती रही है। महापौर पद के चुनाव में श्रीमती वाणी राव और रामशरण यादव की उम्मीदवारी के समय भी उन्होने पूरी कमान संभाली थी । मजबूत दावेदारी के बावज़ूद 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हे बिलासपुर विधानसभा सीट से टिकट नहीं मिल सकी। लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव और उसके बाद होने वाले नगर निगम, जिला पंचायत के चुनाव में भी उन्होने अपने प्रबंध कौशल का परिचय दिया । तमाम पदों पर कांग्रेस की जीत के पीछे शिल्पकार के रूप में अटल श्रीवास्तव का ही क़िरदार रहा है। मरवाही विधानसभा सीट का उपचुनाव कांग्रेस के लिए काफी अहम् था। इसमें भी अपनी पूरी टीम के साथ उन्होने रणनीतिक कौशल का इस्तेमाल किया और पार्टी की जीत में अहम् भूमिका निभाई । हाल ही में खैरागढ़ विधानसभा सीट के उपचुनाव में भी अटल श्रीवास्तव को कमान सौंपी गई थी । छत्तीसगढ़ की राजनीति के लिहाज़ से खैरागढ़ का चुनाव भी कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठापूर्ण था। इस चुनाव में कांग्रेस को मिली बड़ी जीत के पीछे भी भूपेश बघेल के कर्मठ सिपाही की तरह अटल श्रीवास्तव की बड़ी भूमिका रही है।
ऐसी तमाम चुनौतियों का मुक़ाबला कर अपनी काबिलियत साबित करते आ रहे अटल श्रीवास्तव की बिलासपुरिया टीम पर सीएम भूपेश बघेल की नज़र रही है। जिसमें अभयनारायण राय, धर्मेश शर्मा, तैय्यब हुसैन, बबला खान जैसे कई नाम हैं । इस टीम को भी योग्यता के हिसाब से जिम्मेदारी मिलने का इंतज़ार लम्बे समय से है..। ज़ाहिर सी बात है कि इस टीम का पार्टी फ़ोरम में आगे भी बेहतर इस्तेमाल हो सके , लिहाज़ा हौसलाअफ़ज़ाई के लिए टीम लीडर को भी ऐसी ज़गह पर बिठाने का इंतज़ार है, जिससे सभी की हिस्सेदारी पार्टी में बनी रहे। इन तमाम कारणों से इस बार राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर अटल श्रीवास्तव का नाम सामने आ रहा है। लेकिन ऐसे मौक़े पर कांग्रेस की दिशा क्या होगी यह तो चुनाव के पहले की राजनीति से ही तय होता है । और अटल श्रीवास्तव को इस मुक़ाम तक़ पहुंचने के लिए इंतज़ार की घड़ी ख़त्म होगी या नहीं…. यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा..।।