आखिर अधिकारियों को दिखाई क्यों नहीं देता..? जनता का सवाल..शहर की सड़कें ही क्यों रहती है? चमा-चम..बताओ.!क्या सीपत में इंसान नहीं रहते?

BHASKAR MISHRA
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सीपत—(रियाज अशरफ़ी)–सीपत की जनता इन दिनों जमकर सवाल पूछ रही है। आखिर अधिकारियों को सीपत की समस्याएं दिखाई क्यों नहीं देती है। हर मुंह से एक सवाल है कि कि  लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को सीपत की जर्जर सड़के क्यों नही दिखाई देती है। जिस सड़क पर गाड़ी चलाना तो दूर..पैदल चलना मुश्किल है। बावजूद इसके अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। अलग बात है कि सीपत को बिलासपुर शहर से जोड़ने वाली अच्छी खासी मोपका सड़क पर डामर पर डामर की परत चढाई जा रही है। लेकिन ऐसी किस्मत ना तो सीपत की सड़कों की है..और नाही सीपत वालों की ही। 

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             लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों को सीपत की खराब सड़के और उस पर लगातार हो रहे हादसे शायद दिखाई नही दे रही है। तभी तो यहां की जर्जर सड़क की ना तो  रिपेयरिंग हो रही है। और ना ही सड़क निर्माण को लेकर ही कुछ सोचा ही जा रहा है। लेकिन बिलासपुर शहर को सीपत को जोड़ने वाली मोपका की स़ड़क को चमा चम किया जा रहा है। क्योंकि यह सड़क की जो ठहरी। 
 
                जानकारी देते चलें कि लोक निर्माण विभाग बिलासपुर के सब डिवीजन क्रमांक 2 की खराब सड़को के मरम्मत के लिए शासन से वार्षिक संधारण मद से 75 लाख रुपये की राशि विभाग को आबंटित किया गया है। राशि से सीपत बिलासपुर की जर्जर सड़को को रिपेयरिंग के साथ डामरीकरण किया जाना है। लेकिन विभाग के उच्च अधिकारी सीपत बिलासपुर की खराब सड़को को सुधारने को छोड़कर बिलासपुर की अच्छी खासी रोड पर डामर की परत दर परत चढ़ा रहे हैं।
 
         पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के कार्यो को देखकर ऐसा लगता है कि शहर की सड़कों से बची थोड़ी बहुत राशि में ही सीपत की खराब सड़कों को सुधारने की औपचारिकता निभाएंगे। इधर खराब सड़को को लेकर स्थानीय लोगो के साथ सड़क के किनारे के व्यवसायियों में काफी गुस्सा है।
 
सीपत,जांजी, मटियारी, पंधी के लोगों में आक्रोश
 
      खराब सड़को का सिलसिला सीपत के नवाडीह चौक से शुरू होता है।  इसके बाद जांजी, मटियारी से लेकर पंधी तक सड़को के बीच में बड़े बड़े गड्ढे यू समझे कि गडढों के बीच सड़क दिखाई देती है। धूल से भरो गडढों भरे सड़क से लोगों में भयंकर आक्रोश है।
 
               सीपत में नवाडीह चौक से मटेरियल गेट के आगे तक आलम यह है कि वाहन चालकों को धूल की वजह से दिन में अपनी गाड़ियों के लाइट जलाकर चलाना पड़ता है।
 
खराब सड़को की वजह से कइयों को जान गंवानी पड़ी
 
             स्थानीय लोगों ने बताया कि काफी लंबे समय से यह रोड ऐसे ही जर्जर हालत में रहै। सड़क को लेकर यह कहना ज्यादा अच्छा होगा कि गड्ढों के बीच सड़क है। इसके चलते आए दिन हादसा होता रहता है। कईयों को तो अपनी जान गवानी पड़ी है। हजारों लोगों का आना-जाना होता है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि सड़क से लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भी निकलेंगे जरूर होंगे। मजाल है कि किसी ने जर्जर सड़क और आम जनता की परेशानियों को लेकर चिंता जाहिर किया हो।
 
हर हफ्ते सड़क से निकलते हैं जिले के प्रभारी मंत्री
 
             प्रदेश के कद्दावर और बिलासपुर जिला के प्रभारी मंत्री जयसिंग अग्रवाल का जर्जर सड़क से हर सप्ताह कोरबा से बिलासपुर या रायपुर आना जाना होता है। शायद उन्हें भी सीपत की खराब सड़के दिखाई नही दी हों। यही वजह है कि अब तक लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने सड़क को लेकर परेशान नहीं है। जब मंत्री को सड़क और आम जनता की चिंता नहीं है तो फिर अधिकारियों को चिंतित होने का सवाल ही नहीं उठता है।
 
प्राथमिकता के आधार होगा काम
 
          लोकनिर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता रामेश्वर सिंह मरकाम ने बताया कि सड़कों  का काम प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है। सरकंडा महामाया चौक से मोपका सडकों की रिपेयरिंग की जा रही है। फिर कोनी सड़क को दुरूस्त करने के बाद सीपत की सड़कों को रिपेयरिंग करेंगे।
 
लोग कहते हैं कि गांव में रहता है भारत
 
     सीपत के प्रबुध्द जनों ने बताया कि लोग कहते हैं कि भारत गांव में रहता है। ऐसी बातें किताबों में बहुत अच्छी लगती है। सच्चाई तो यह है कि अधिकारियों को गांव से कोई लेना देना नहीं है। गांव तो केवल वोट के लिए है। और अधिकारियों की नजर में गांव..सिर्फ और सिर्फ नरक है। यानि भारत की जनता जहां रहती है…उसे नरक कहते हैं।

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