अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान राज्य सरकार ने अपने सालाना बजट में पुराने पेंशन की योजना को फिर से लागू करने की घोषणा कर दी है। इससे राजस्थान सहित देश भर के कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों को भी विधानसभा के इस बजट में उम्मीद बढ़ गई है। उन्हें लग रहा है कि भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार भी पुरानी पेंशन योजना को इस बजट में जगह दे सकती है।क्योकि यह राज्य के कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना राज्य का विषय है ।
बुधवार को बजट पेश करते समय राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में राजस्थान के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने का ऐलान किया है जो 1 जनवरी 2004 और उसके बाद नियुक्त कार्मियों को भी पहले की तरह पेंशन का लाभ मिलेगा।
प्रदेश के सभी कर्मचारियों को आस जग गई है। पुरानी पेंशन बहाली देश में भी एक बड़ा मुद्दा है। छत्तीसगढ़ में भी इस योजना को फिर से लागू करने के लिए दबाव बढ़ जायेगा। प्रदेश के कर्मचारी पहले से पुरानी पेंशन योजना लागू करवाने के लिए ज्ञापन , ट्विटर पर अभियान चलाए हुए है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की केंद्र सरकार ने अप्रैल 2005 के बाद के नियुक्तियों के लिए पुरानी पेंशन को बंद कर दिया था और नई पेंशन योजना लागू की गई थी ।
पुरानी पेंशन राज्य के कर्मचारियों को देने के लिए राज्य सरकार की इच्छा शक्ति जरूरी है। उस वक़्त केंद्र सरकार ने नई पेंशन योजना लागू की, लेकिन इसे राज्यों के लिए अनिवार्य नहीं किया था। इसके बावजूद धीरे-धीरे अधिकतर राज्यों ने इसे अपना लिया। उस समय के कर्मचारी इस नई पेंशन योजना को समझ नहीं पाए, उन्हें ऐसा लगा था, जैसे यह योजना सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पुरानी पेंशन योजना से ज्यादा लाभ देगी, लेकिन उनका यह भ्रम टूट गया। पिछले कुछ सालों से नई पेंशन योजना का विरोध कर्मचारियों ने करना शुरू कर दिया।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तीसरी सरकार का चौथा बजट है. इस बार यह बजट कई मायनों में काफी खास है. बजट भाषण के शुरुआत में उन्होंने सायरना अंदाज में बोलते हुए कहा कि ना पूछो कि मेरी मंजिल कहां है अभी तो सफर का इरादा किया है न हारूँगा हौसला उम्र भर यह मैंने किसी से नहीं खुद से वादा किया…।