कही-सुनी: क्या आरक्षण विधेयक दफन होगा राजभवन में ?

Shri Mi
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रवि भोई।कहा जा रहा है राज्य में 76 फीसदी आरक्षण के प्रावधान वाला विधेयक विवादस्पद दूसरे कई विधेयकों की तरह राजभवन में ही दफन हो जाएगा। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नाम परिवर्तन वाला विधेयक अब तक राजभवन से बाहर नहीं निकल पाया है। इसके आलावा कुछ और विधेयक भी पेंडिग बताए जाते हैं।

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माना जा रहा है कि राज्यपाल आरक्षण विधेयक को संशोधन के लिए लौटा देती हैं तो दोबारा विधानसभा से पारित करवा कर भेजने से उन्हें मंजूरी देना मज़बूरी हो जाती। राष्ट्रपति को भेजतीं,तो मसला केंद्र सरकार के पाले में चला जाता। कहते हैं राज्यपाल जब तक चाहें विधेयक को अपने पास रख सकती हैं, उसमें कोई बाध्यता नहीं है। लेकिन सरकार इस विधेयक को राज्यपाल से मंजूरी दिलाकर राजनीतिक लाभ लेना चाहती थी, वह नहीं हो सका।

चर्चा है कि विधानसभा में विधेयक के पारित होने के दिन ही अधिसूचना जारी करने की सारी तैयारी सरकार ने कर रखी थी। अफसरों को देर रात दफ्तरों में रोककर रखा भी गया था। अब आरक्षण विधेयक लंबित होने का राजनीतिक लाभ कांग्रेस किस तरह लेती है, यह देखना है। आरक्षण विधेयक के मुद्दे पर राज्य में जबरदस्त राजनीति चल रही है। कांग्रेस राजभवन पर दबाव भी बना रही है। लेकिन निगाह 16 जनवरी पर टिकी है। इस दिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।

क्या निरंजन दास होंगे राज्य निर्वाचन आयुक्त ?

2003 बैच के आईएएस अधिकारी निरंजन दास जनवरी 2023 में रिटायर हो जाएंगे। वे अभी आबकारी आयुक्त और नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक हैं। चर्चा है कि रिटायरमेंट के बाद निरंजन दास को सरकार राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर नियुक्त कर सकती है या राज्य सूचना आयुक्त बना सकती है। निरंजन दास लंबे समय से आबकारी आयुक्त और नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक बने हुए हैं।

भूपेश बघेल के चार साल के कार्यकाल में कई अफसरों की पोस्टिंग बदल गई, लेकिन निरंजन दास दोनों पदों पर जमे हैं। राज्य सूचना आयोग में आयुक्त के तौर पर अशोक अग्रवाल का कार्यकाल खत्म होने के बाद अब तक किसी की नियुक्ति नहीं हुई है, वहीं राज्य निर्वाचन आयोग में ठाकुर रामसिंह का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी नई नियुक्ति तक आयुक्त की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं।

आबकारी आयुक्त के लिए लाबिंग

जनवरी 2023 में निरंजन दास के रिटायरमेंट के बाद आबकारी आयुक्त पद पर नई नियुक्ति होनी है। आबकारी आयुक्त बनने के लिए अभी से कई अफसरों ने हाथ-पांव मारना और लाबिंग शुरू कर दी है। कहते हैं 2010 बैच के एक आईएएस का नाम आबकारी आयुक्त के लिए काफी चर्चा में है।

इस अधिकारी के पास अभी दो चार्ज है, लेकिन उनकी नजर चिड़िये की आँख की तरह आबकारी आयुक्त के पद पर है। माना जा रहा है कि 2023 में विधानसभा चुनाव है , ऐसे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने किसी भरोसेमंद अफसर को ही आबकारी आयुक्त बनाएंगे। अब देखते हैं आबकारी आयुक्त की लाटरी किस अधिकारी के नाम निकलती है।

चंदा देने की सजा

कहते हैं राज्य के एक आईएएस अधिकारी ने भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव में सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी को कुछ आर्थिक मदद की थी। जैसे ही सरकार की जानकारी में यह बात आई, आईएएस अफसर की आनन-फानन में पोस्टिंग बदल दी गई और उन्हें अपने मातहत को चार्ज देकर जल्द रिलीव होने को कहा गया। कहा जाता है कि यह अफसर लंबे समय से फील्ड पोस्टिंग का आनंद ले रहे थे। सरकार ने उन्हें फिलहाल राजधानी में रखा है और पुरानी वफ़ादारी चलते उन्हें स्वतंत्र रूप से काम सौंपा है।

सीजीएमएससी में सप्लायर का बोलबाला

कहते हैं छत्तीसगढ़ मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन ( सीजीएमएससी ) में एक सप्लायर का बोलबाला है। कहा जाता है कि सप्लायर के मन मुताबिक काम नहीं करने वाले अधिकारी सीजीएमएससी में टिक नहीं पाते। यहां तक कि सप्लायर की धारा में नहीं चलने वाले आईएएस भी सीजीएमएससी में ज्यादा दिन के मेहमान नहीं होते हैं। यही वजह है कि चार साल में वहां कई एमडी बदल गए।

भुवनेश यादव, सी आर प्रसन्ना, कार्तिकेय गोयल और अभिजीत सिंह ज्यादा नहीं चल पाए। अब सरकार ने 2017 बैच के आईएएस चंद्रकांत वर्मा को एमडी बनाया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीजीएमएससी में लगाम कसने के लिए विधायकों को कमान सौंपी है, लेकिन सप्लायर की राज्य के एक मंत्री के एक करीबी व्यक्ति से दोस्ती सब पर भारी पड़ रही है।

सुनील और अमन छत्तीसगढ़ में अडानी के सेतु

कहा जा रहा है कि राज्य के पूर्व मुख्य सचिव सुनील कुमार और ब्यूरोक्रेट अमन सिंह के अडानी समूह से जुड़ने से समूह को सीधा फायदा छत्तीसगढ़ में होगा। छत्तीसगढ़ में अडानी समूह पावर, सीमेंट और कोयले के कारोबार से जुड़ा है। समूह के राज्य में कई बिजली घर और सीमेंट प्लांट हैं। डीबी पवार को जल्द टेकओवर करने वाला है। कोयला खनन में वह राजस्थान और छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के लिए काम करता है।

बस्तर और सरगुजा में अडानी समूह को जनता का भारी विरोध का सामना करना पड़ा। दंतेवाड़ा इलाके में उसका काम आगे नहीं बढ़ पाया है। माना जा रहा है कि दोनों अफसरों के जुड़ने से अडानी समूह के कई प्रोजेक्ट राज्य में आसानी से आगे बढ़ सकेंगे। सुनील कुमार रायपुर में कलेक्टर भी रहे हैं। अमन सिंह को रमन सरकार का पालिसी मेकर के साथ उसे लागू कराने वाला भी माना जाता रहा।

शैलजा के सख्त तेवर

कहा जा रहा है कि अपनी पहली ही यात्रा में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा ने सख्त तेवर दिखाए। पुराने प्रदेश प्रभारी और महासचिव पी एल पुनिया को पाठ पढ़ाने और उनके इर्द -गिर्द घूमने वाले शैलजा के आसपास भी फटक नहीं पाए। संगठन को आंख दिखाने वाले दुबके रहे। शैलजा सीधे 10 जनपद से जुड़े होने के साथ राजनीतिक पृष्ठभूमि वालीं हैं।

केंद्र में मंत्री भी रह चुकी हैं। पुनिया ब्यूरोक्रेट से राजनीतिज्ञ बने थे। इस कारण नेताओं और कार्यकर्ताओं को दोनों के काम की शैली में अंतर साफ दिखाई पड़ा। 2023 में राज्य में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में शैलजा के सामने पार्टी को सत्ता में वापसी कराने की बड़ी चुनौती है।

नया पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ कौन ?

1987 बैच के आईएफएस पी वी नरसिंहराव के रिटायरमेंट के बाद नया पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ कौन होगा ? कहा जा रहा है कि नए पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ के लिए 1988 बैच के आईएफएस सुधीर अग्रवाल और 1989 बैच के आईएफएस तपेश कुमार झा का नाम चल रहा है। छत्तीसगढ़ वन विकास निगम के प्रबंध संचालक के पद से 1987 बैच के आईएफएस पी सी पांडे भी 30 दिसंबर को रिटायर हो गए। वन विभाग में शीर्ष स्तर पर दो पद खाली हो गए हैं। वन विभाग ने रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए प्रस्ताव तैयार कर मुख्यमंत्री को भेज दिया है। अब अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को करना है।

नए साल में आईपीएस अफसरों को तोहफा

नए साल में 2005 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस डीआईजी से आईजी बन जाएंगे। 2005 बैच के चार अफसरों में तीन भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। इस बैच के शेख आरिफ हुसैन अभी रायपुर रेंज के प्रभारी आईजी हैं। वे अब पूर्णकालिक आईजी बन जाएंगे। 2009 बैच के आईपीएस अब डीआईजी बन जाएंगे। 2010 बैच को सलेक्शन ग्रेड मिलेगा। आईपीएस अफसरों के प्रमोशन के लिए 29 दिसंबर को डीपीसी हो चुकी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की हरी झंडी के बाद आदेश जारी हो जाएगा। कहा जा रहा है प्रमोशन के बाद फिलहाल किसी की पोस्टिंग बदलने वाली नहीं है।

2007 बैच के आईएएस बनेंगे सचिव

2007 बैच के आईएएस जनवरी में सचिव के रूप में पदोन्नत हो जाएंगे। उम्मीद है कि 2007 बैच के प्रमोशन के लिए इस हफ्ते डीपीसी हो जाएगी। इस बैच के अधिकारी के सी देवसेनापति और बसवराजू राज्य से बाहर हैं। यशवंत कुमार रायपुर के कमिश्नर और शम्मी आबिदी संचालक आदिमजाति कल्याण हैं। हिमशिखर गुप्ता , जनक पाठक और मोहम्मद कैसर अब्दुल हक़ विशेष सचिव के तौर पर मंत्रालय में पदस्थ हैं। माना जा रहा है कि प्रमोशन के बाद शम्मी आबिदी की पोस्टिंग बदल सकती है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं। )

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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