अपन मरे बिना..सरग नही दिखय..बेटे की मौत से ntpc प्रबंधन की खुली आंख …किरण की एक मांग पर मिला स्टापर

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-सीपत थाना क्षेत्र स्थित मटियारी के बेलतरा मोड़ इन दिनो एक्सिडेंटल स्पाट बन गया है। सीपत- बलौदा मार्ग में अब तक सबसे ज्यादा हादसा भी इसी स्थान पर हुआ है। सीपत थाना में पदस्थ्य प्रशिक्षु आईपीएस उदय गंगाराम चव्हाण ने मामले को ना केवल गंभीरता से लिया। बल्कि हादसों को टालने गम्भीरता के प्रयास भी किया। प्रयास का नतीजा यह रहा कि एनटीपीसी को सड़क सुरक्षा एवं यातायात नियंत्रण के लिए 10 बैरिकेट्स प्रदान करना पड़ा है।
 
             जानकारी देते चलें कि कोरोनाकाल के बाद लाकडाउन से अनलॉक होते ही अन्य स्थानों की तरह सीपत- बलौदा मार्ग भी व्यस्त हुआ। इसी के साथ ही यातायात दबाव पर बढ़ा। और हादसों की संख्या भी बढ़ गया। मामले को शायद पहली बार किसी पुलिस अधिकारी ने ना केवल गंभीरता से लिया। बल्कि परम्परा से हटकर सड़क हादसों को नियंत्रित करने का प्रयास भी किया। 
 
                      सीपत थाना प्रभारी आईपीएस किरण गंगाराम चव्हाण ने एनटीपीसी उप महाप्रबंधक मानव संसाधन विभाग पर दबाव बनाते हए लोहे का 10 बैरिकेड मांगा। एनटीपीसी ने तत्काल मांग को पूरी किया। ताकि चौक चौराहों और दुर्घटना जन स्थानों में यातायात को सुव्यवस्थित बनाया जा सके। अनचाही दुर्घटनाओं को रोकने प्रशिक्षु आईपीएस गंगाराम,  एनटीपीसी सीएसआर प्रबंधक सोनित कुमार ने स्टाफ के साथ अभियान चलाकर बैरिकेट्स को जनहित में समर्पित किया। 
 
एनटीपीसी कर्मी के बेटे की मौत के बाद याद आयी जिन्दगी की कीमत
 
         दुर्एघटनाओं को रोकने सीपत पुलिस एनटीपीसी सीपत प्रबंधन से सालों से लगातार स्टॉपर की माग कर रही थी। लेकिन एनटीपीसी प्रबंधन ने हमेशा मांग को नजरअंदाज किया। जब जब कोई नया टीआई आया। हादसा के बाद एनटीपीसी से स्टापर की मांग किया। लेकिन प्रबंधन ने मांग को एक कान से सुना और दूसरे से निकाल दिया।
 
            नए थाना प्रभारी प्रशिक्षु आईपीएस किरण गंगाराम चव्हाण ने भी दूसरे थाना प्रभारी की तरह स्टॉपर की मांग को एनटीपीसी प्रबंधन के सामने दुहराया। हमेशा की तरह एनटीपीसी प्रबंधन ने नियमों का हवाला देकर हाथ खड़ा कर दिया। लेकिन जब बात अपने पर आयी तो एनटीपीसी को ना केवल आंखे खुली..बल्कि खुद स्टाप बैरिकेट्स लेकर पुलिस के दरवाजे पहंच गया। 
 
एनटीपीसी का हृदय परिवर्तन
 
             एनटीपीसी का हृदय परिवर्तन एक सप्ताह पूर्व 11 मार्च की रात को हुए हादसे के बाद हुआ। दरअसल एनटीपीसी कर्मी सुशील कुजूर का 26 वर्षीय पुत्र अनंत कुमार कुजूर का मटियारी स्थित उसी बेलतरा मोड़ के पास अज्ञात वाहन की चपेट में आने से मौत हो गयी। जिस हादसे को रोकने के लिए सीपत के कमोबेश सभी थाना प्रभारी सालों से प्रयास कर रहे थे। लेकिन एनटीपीसी कर्मी के बेटे की मौत के बाद प्रबंधन को समझ में आया कि मौत का रास्ता उनकी तरफ भी खुला है। फिर क्या था किरण गंगाराम के मुंह खोलते ही एनटीपीसी ने लोहे के 10 स्टॉपर ना केवल भिजवा दिया। बल्कि प्रबंधन का अधिकारी मौके पर खड़ा होकर पुलिस के साथ बैरिकेट्स भी लगवाया। इतना ही नहीं बैरिकेट्स कम होने पर आपूर्ति का आश्वासन भी दिया। 
 
                     बहरहाल एनटीपीसी की इस दरियादिली के बाद स्थानीय लोगों ने बताया कि जब खुद पर बीतती है तभी लोगों को समझ में आता है कि अपनों को खोने का दर्द क्या होता है। दरअसल एनटीपीसी ने स्थानीय लोगों की जिन्दगी को कभी गंभीरता से लिया ही नहीं। उसने केवल और केवल मौत ही बांटा है। मौत का गिफ्ट अलग अलग रूप में होता है। इस बार जब प्रबंधनकर्मी के बेटे की मौत हुई तब कही जाकर अन्हें पता चला कि दर्द क्या होता है।
 
ढो महीने में दर्जनभर हादसे..आधा दर्जन लोगों की हुई मौत 
 
                पुलिस की मांग पर जिस स्थान के लिए एनटीपीसी ने स्टॉपर दिया है। उस स्थान पर पिछले दो महीने में एक दर्जन से अधिक जानलेवा हादसे हो चुके है। हादसे में आधा दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि इतने ही लोग दिव्यांगता का शिकार हो चुके है। यदि एनटीपीसी ने पहलेे पुलिस की मांग को गंभीरता से लिया होता तो शायद पूरे नहीं तो कम से कम आधे घरों का चिराग नहीं बुझता। शायद स्टापर पहले ही लग गया होता तो बेवजह हादसे का शिकार लोग दिव्यांग भी नहीं होते।
         
                        शायद  अब लोगों को बड़ेे बुुजुर्गों की वह बात समझ में आने लगी  है कि आपन मरे बिना सर्ग नहीं दिखय।

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