फेरा लेने से पहले पहुंच गयी..महिला बाल विकास की संयुक्त टीम..बरबाद होने से बच गयी नाबालिगों की जिन्दगी..टीम ने भरवाया शपथ पत्र

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-जिला महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने अक्ती पर्व के दिन छापामार कार्रवाई कर दो नाबालिगों को सात फेरा लेने के पहले ही रूकवा दिया है। जन्म प्रमाण पत्र की छानबीन के बाद अधिकारियों की टीम ने विवाह में शामिल सभी लोगों को समझाया बुझाया। साथ ही नाबालिग विवाद को लेकर भारत सरकार के कानून के बारे में भी बताया। बाल विवाह अपराध को लेकर सजा के बारे में भी अवगत कराया। 
 
               महिला एवं बाल विकास विभाग जिला कार्यक्रम अधिकारी सूर्यकांत गुप्ता ने बताया कि  मुखबीर से जानकारी मिली कि दो अलग अलग जगहो पर गुपचुप तरीके से नाबलिगों का विवाद कराया जा रहा है। खबर मिलते ही कलेक्टर के निर्देश पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी पार्वती वर्मा को अवगत कराया गया। साथ ही संयुक्त टीम बनाकर बिल्हा स्थित वार्ड क्रमांक 12 में धावा बोला गया। 16 साल की बच्ची के विवाद को तत्काल रूकवाया गया। टीम में शामिल अधिकारियों ने बाल विवाह से होने वाली नुकसान से परिजनों को अवगत कराया।
 
       सूर्यकांत गुप्ता ने बताया कि परिजनों को समझाइश के दौरान अवगत कराया कि बाल विवाह कानूनी तौर पर अपराध है। नियम के खिलाफ बालविवाह होने पर कठोर कानूनी सजा का भी प्रावधान है।
 
           इसी प्रकार संयुक्त टीम ने सिरगिट्टी थाना स्थित ग्राम अटर्रा में भी धावा बोला। टीम ने नाबालिग के विवाद को तत्काल रोका। साथ ही बाल विवाह को लेकर कानूनी जानकारी के बारे में बताया। बावजूद इसके परिजनों ने बताया कि बच्ची बालिग और 18 साल की है। स्कूल सर्टीफिकेट के आधार पर बालिका की उम्र को 17 साल 6 महीने पाया गया। 
 
            दोनो जगह समझाइश के बाद परिजनों से शपथपत्र भरवाया गया। बताया गया कि बच्ची की उम्र 18 और लड़के की उम्र 21 साल होने पर ही शादी मान्य है। यदि नियम का पालन नहीं किया गया तो सख्त सजा का प्रावधान है। 
                    
                                    सूर्यकांत गुप्ता ने बताया कि कलेक्टर के निर्देश पर प्रत्येक ग्राम पंचायतों में कोटवार से मुनादी का आदेश दिया गया है। मुनादी के दौरान बताया जाएगा कि बाल विवाह कानूनी अपराध है। अपराध करते पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी। साथ ही समाज को जानकारी देने को कहा गया है कि बाल विवाह से महिलाओं के स्वास्थ पर ना केवल दुष्प्रभाव पड़ेगा बल्कि शिशु कुपोषण का शिकार होगा।
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