पत्रकारों को महिला आयोग अध्यक्ष का जवाब..महिलाओं पर नियमित प्रक्रिया में शामिल.पुलिस कप्तान को लिखा पत्र

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- महिलाओं पर अपराध कब नहीं हुआ है। रामायण और कृष्ण काल में भी हुई है। दरअसल महिलाओं पर अपराध नियमित प्रक्रिया में शामिल है। उज्जवला होम मामले में 164 का बयान दर्ज हुआ है। पुलिस कप्तान को पत्र लिखकर वैज्ञानिक तकनिकी पहलुओं को ध्यान में रखकर कुछ बिन्दुओं पर जांच का निर्देश दिया है। यह बातें पत्रकारों से चर्चा के दौरान दो दिवसीय प्रवास के अंतिम दिन राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ.किरणमयी नायक ने कही।

             
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             सवाल जवाब के दौरान डॉ.किरण मयी नायक ने बताया कि दो दिनों तक महिलाओं की शिकायत और आवेदनों पर सुनवाई हुई। सुनवाई में कुल 50 प्रकरणों को रखा गया गया। इसमें तीन अतिरिक्त मामले भी शामिल है। ज्यादतर एक मामलों का निराकरण कर दिया गया है। जबकि उभक्ष मामलों में भी अच्छी सुनवाई हुई। दो दिनों में कुल 12 प्रकरणों का निराकरण किया गया है। बाकी मामलों में अगली सुनवाई में चर्चा होगी।

वैज्ञानिक बिन्दुओ पर जांच

                   उज्जवला होम मामले में डॉ. नायक ने कहा कि फिलहाल दो दिनों में चार से अधिक लोगों से अलग अलग बातचीत हुई है। किसी ने पुलिस पर दबाव डाले जाने का आरोप नहीं लगाया है। नीता ने मामले का खुलासा किया है। आज पति और पत्नी दोनों से अलग अलग बातचीत हुई है। चूंकि पुलिस को ही चालान पेश करना है। चालान के आधार पर ही कोर्ट में सुनवाई होगी। महिलाओं ने 165 का बयान दर्ज कराया है। कही भी पुलिस पर दबाव डाले जाने का आरोप सामने नहीं आया है। बावजूद इसके पुलिस कप्तान को एक पत्र जरूर आयोग की तरफ से लिखा गया है। उज्जवला होम मामले में जांच की दिशा को वैक्षानिक पहलुओं पर केन्द्रित करने को कहा गया है। लेकिन इस पूरे मामले में इतना निश्चित है कि पूरे प्रकरण में कहीं ना कहीं कुछ सच्चाई जरूर है

पुलिस कप्तान को लिखा पत्र

                        क्या दो दिनों की सुनवाई के दौरान आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि पुलिस जांच की दिशा सही है। और संचालक पर एफआईआर और गिरफ्तारी भी सही है। जवाब में किरणमयी नायक ने कहा कि अभी कुछ नहीं कहना है। लेकिन हमने दो एक बिन्दुओ को लेकर एक पत्र पुलिस कप्तान को जांच किए जाने को लेकर लिखा है। फिलहाल पुलिस जांच की दिशा को लेकर उन्हें कुछ नहीं कहना है।

15 साल लंबित प्रकरणों की सुनवाई

              क्या महिला आयोग पुलिस थानों में पिछले 15 सालों से लंबित प्रकरणों पर सुनवाई करेगी। आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि जो मामले कोर्ट में हैं..आयोग उन्हें नहीं सुनेगी। यदि बिना वजह लंबित हैं..और न्यायालय तक नहीं पहुंचे है। उन पर आयोग कार्रवाई करने को तैयार है। यदि कोई प्रकरण सामने आता है तो जरूर सुनवाई होगी। लेकिन जानकारी का होना बहुत जरूरी है।

नामचीन मामलो को जानकारी दें

          क्या यह जानकारी भी किसी दूसरे से चाहिए..या फिर आयोग भी कुछ काम करेगा।  किरणमयी नायक ने कहा कि यदि किसी नामचीन मामले की जानकारी मिलती है। या फिर दो चार प्रकरण भी सामने आते हैं..तो सारे प्रकरणों को खंगाला जाएगा। जैसे राजनांदगांव में मानव तस्करी का मामला सामने आया था। इसके बाद हमने इससे सारे प्रकरणों को पेश करने का आदेश दिया था।

ड्राप बाक्स की व्यवस्था

                    एक अन्य सवाल के जवाब में किरणमयी नायक ने कहा कि चाहे पुरूष हो या महिला यदि महिला प्रताड़ना की शिकायत करता है तो जांच होगी। इसके लिए आवेदक को निजी और शासकीय स्तर पर मामले को सामने लाना होगा। कुछ सुझाव मिले हैं कि आयोग का कार्यालय बिलासपुर में खोला जाए। सुझाव को गंभीरता से लेते हुए हमने निर्देश दिया है कि जिले के सभी महिला एवं बाल विकास कार्यालय में एक ड्राप बाक्स की व्यवस्था की जाए। ताकि पीड़ित या आवेदक अपनी शिकायत को ड्राप बाक्स में डाल सके।

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