विश्व जल दिवसः यहां खदान का पानी हो रहा उपयोग..बनाया जाता है पीने के काबिल..फिर बुझती है लाखों की प्यास

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- एसईसीएल में विश्व जल दिवस 22 मार्च को विशेष कार्यक्रम हुआ। इस दौरान एसईसीएल प्रबंधन ने जाहिर किया कि जल संरक्षण को पूरी तरह से गंभीर है। जब तक जल है। तभी हमारे लिए कल है।

       विश्व जल दिवस पर एसईसीएल ने खास कार्यक्रम का आयोजन किया। एसईसीएल प्रबंधन ने बताया जीवन में जल का स्थान केन्द्र में है। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए प्रबंधन ने जल संरक्षण और सार्थक उपयोग को लेकर पूरी तरह से दृढ़ है। प्रबंधन के प्रयास से आज खदानों से निकलने वाले जल से फसल लहलहा रही है। लोगों की प्यास भी बुझ रही है। 

         प्रबंधन के अनुसार विश्व में संसाधन के रूप में जल की उपलब्धता बड़ी चुनौती है। कोयला खदानों से निकला जल स्थानीय क्षेत्रों में कृषि कार्य और पेयजल में उपयोग किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के शहडोल और अनूपपुर जिलों में स्थित एसईसीएल के सोहागपुर क्षेत्र में खदानों से निकले जल के सदुपयोग से लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।

            क्षेत्र में एसईसीएल की 2 खुली 4 भूमिगत और एक हाईवाल खदानहै। इनमें से दामिनी, खैरहा, राजेन्द्रा और नवगांव भूमिगत खदान से भूमि जल रिसाव के जरिए जमा हुआ पानी सरफा नदी में छोड़ा जाता है। यह जल सरफा डैम में स्टेप बाई स्टेप फिल्टर कर शुद्ध किया जाता है । कोयले के कणों और अन्य अशुद्धियों को दूर किया जाता है।

        प्रबंधन ने बताया कि फिर साफ पानी को  खदानों के आसपास के क्षेत्रों में कृषि कार्य में उपयोग किया जाता है। लगभग एक लाख आबादी वाले मध्यप्रदेश के शहडोल शहर में घरेलू कार्यों के लिए जल आपूर्ती भी इसी परआधारित है। एसईसीएल प्रबंधन ने यहाँ 9 लाख लीटर सकल क्षमता के 2 फिल्टर प्लांट भी स्थापित किए हैं। जिनसे समीपवर्ती दो गाँव खन्नाथ और छिरहिटी के 5 हजार से अधिक आबादी को जल की आपूर्ति होगी।

                  बताते चलें कि एसईसीएल के करीब  71 भूमिगत खदानों से भारी मात्रा में जल का रिसाव होता है। 2018 में आईआईटीबीएचयू के अध्ययन के अनुसार खदानों से रिस कर निकलने वाले पानी को एसईसीएल प्रबंधन अपनी कालोनी में शुद्ध करने के बाद पेयजल के रूप में उपयोग करता है। इसके पहले एसईसीएल प्रबंधन खादनों से रिसाव के बाद निकले  पानी को प्रेशर फिल्टर, रैपिड ग्रेविटी फिल्टर और स्लोसैण्ड फिल्टर के जरिए शुद्ध  करता है। इसके बाद शुद्ध पानी को घर घर आपूर्ति करता है। इसके अलावा खड़ी फसल के लिए खेतों को भी पानी दिया जाता है। 

 

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