videoःयुवा कांग्रेस का उग्र प्रदर्शन..एसईसीएल का किया घेराव..महेन्द्र ने कहा.सुनियोजित साजिश के तहत हो रही कटौती..7दिन का दिया अल्टीमेटम

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— भारतीय युवा कांग्रेस के नेताओं ने आज एसईसीएल कार्यालय के सामने जमकर प्रदर्शन किया। उग्र विरोध जाहिर कर प्रदेश के उद्योग को कोयला आपूर्ति को लेकर एसईसीएल कार्यालय का घेराव किया। श्याम नारायण सोनी और महेन्द्र गंगोत्री ने आरोप लगाया कि प्रदेश का कोयला केन्द्र के इशारे पर दूसरे राज्यों को आसानी से आपूर्ति हो रही है। राज्य के उद्योगों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। यदि कोयला प्रशासन ने छत्तीसगढ़ राज्य के साथ सौतेला व्यवहार इसी तरह बनाकर रखा तो ना केवल उग्र प्रदर्शन किया जाएगा। इसके लिए सिर्फ और सिर्फ केन्द्र सरकार और एसईसीएल जिम्मेदार होगा। 
 
एसईसीएल कार्यालय का घेराव
 
                  प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र गंगोत्री और श्याम नारायण की अगुवाई में युवा कांग्रेस नेताओं ने आज एसईसीएल के सामने उग्र प्रदर्शन किया। महेन्द्र गंगोत्री ने बताया कि एसईसीएल प्रदेश में कोयला उत्खनन करता है। बावजूद इसके छत्तीसगढ़ राज्य के उद्योगो को कोयला के लिए तरसना पड़ रहा है। दूसरे राज्यों को सहज ही कोयला की आपूर्ति की जा रही है।
 
       महेन्द्र ने बताया कि कोल इंण्डिया की सबसे बड़ी कम्पनी में एक एसईसीएल से रिकोर्ड तोड़ कोयला का उत्पादन किया जाता है। कोयला की आपूर्ति पड़ोसी राज्यों के साथ ही देश के अन्य राज्यों को किया जाता है। वर्तमान स्थिति में कुप्रबंधन की वजह से छ.ग. की भूमि से निकलने वाले काले हीरे आपूर्ति छत्तीसगढ़ में उद्योग संस्थानों को मांग के अनुसार नहीं किया जा रहा है।इसका सीधा मतलब की एसईसीएल.और सी.आई.एल. अपनी मनमानी करते हुए हमारे राज्य विकास को बाधित करना चाहते है।
 
मात्र 19 प्रतिशत की आपूर्ति
 
                  युवा नेता ने कहा कि देश की  संपूर्ण कोयला का  56 बिलियन टन छत्तीसगढ़ राज्य के खदानों से निकाला जा रहा है। लेकिन आपूर्ति के नाम पर प्रबंधन केवल ठेंगा और आश्रवासन दिखा रहा है। जबकि राज्य में 245 से अधिक कैप्टीव विद्युत संयंत्रो कोयला से चलते हैं । इनके संचालन के लिए हर वर्ष लगभग 30 मिलियन टन कोयले की जरूरत होती है। जो एस.ई.सी.एल.से उत्पादित कोयले का मात्र 19 प्रतिशत ही है।
 
             वर्तमान में एसईसीएल. का प्रति वर्ष निर्धारित कोयला उत्पादन लक्ष्य 165 मिलियन टन है। जबकि देश के कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत कोयला उत्पदान एसईसीएल यानि छत्तीसगढ़ राज्य से होता है। इसके अलावा यह भी सत्य है कि छ.ग. के विद्युत संयंत्रों को एस.ई.सी.एल. से उत्पादित होने वाले कोयला उत्पादन का केवल 40 फिसदी मिल रहा है। 60 प्रतिशत कोयला दूसरे राज्यों को दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़  में संचालित उद्योगों के साथ अन्याय है।
 
खतरे में प्रदेश का उद्योग व्यापार
 
            गंगोत्री ने बताया कि केन्द्रीय बिजल प्राधिकरण के अनुसार हमारे राज्य में स्थित स्वतंत्र विद्युत संयंत्र  में कोयले के भंडारण भिलाई, टी.पी.एस.18,दिन, सीपत, एन.टी.पी.सी, 22, अकलतरा टी.पी.एस. 14 दिन मड़वा 13 दिन , डी.एस.पी.एम. 24 दिन, कोरबा वेस्ट 6.50 दिन की है। इन आंकड़ों से उलट छत्तीसगढ़  स्थित सीपीपी आधारित प्रमुख विद्युत संयंत्रों के पास सिर्फ 1 दिन का ही कोयला का भंडारण शेष है। वजूद इसके सी.पी.पी. के कोयले के आबंटन में निरंतर कटौती की जा रही है। यदि कोरबा जिले में स्थित एस.ई.सी.एल. के गेवरा और कुसमुंडा खदान की आधारित नॉन पावर सेक्टर उद्योग में विद्युत उत्पादन हेतु 26 लाख टन कोयले की आवश्यकता है। राज्य से की आपूर्ति की जानी है।
 
सात दिन का अल्टीमेटम
 
                 महेन्द्र ने बताया कि एसईसीएल को नॉन पावर सेक्टर की 65 मिलियन टन प्रति वर्ष के हिसाब से प्रति माह लगभग 50 लाख टन कोयला ऑक्सन के जरिए उपलब्ध कराना था। अनदेखी और पक्षपात रवैये की वजह से पिछले चार महीनों में नॉन पावर सेक्टर को केवल 30 लाख टन कोयल ऑक्सन के जरीए दिया गया है। आपूर्ति ठप्प कर दी गई है।राज्य में पर्याप्त कोयले का उत्पादन होते हुए भी राज्य में संचालित उद्योगों की घोर अनदेखी की जा रही है। इससे राज्य के लोगों के रोजगार , विकास को सीधा प्रभाव पड़ रहा है। एस.ई.सी.एल. की कूप्रबंधन मनमाने और हठधर्मी रवैये को जाहिर करता है।
 
         महेन्द्र गंगोत्री ने बताया कि हमने एसईसीएल प्रबंधन को सात दिन का समय दिया है। यदि शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया तो युवा कांग्रेस उग्र आंदोलन के लिए बाध्य है। परिणाम की
जवाबदेही एस.ई.सी.एल. प्रबंधन की होगी ।
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