शिक्षक पदोन्नति की वरिष्ठता सूची पर विवाद अब भी जारी,पारदर्शिता का अभाव

Shri Mi
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बिलासपुर।पदोन्नति की वरिष्ठता सूची पर विवाद अब भी जारी है कुछ शिक्षक न्यायालय की शरण मैं जा चुके हैं और कई लोग जाने वाले हैं।तबादले से आये शिक्षक वरिष्ठता सूची में पिछड़ रहे है। स्थानांतरित संघ तक कि नीव रख दी गई है। प्रदेश के संभागीय संयुक्त संचालक कार्यलय संविलियन से पहले शिक्षाकर्मी काल के जिला पंचायत व जनपद पंचायत की भूमिका में अब तक के पदोन्नति के चरण में दिखाई दिए है। इस प्रक्रिया के विवाद को हवा देने वाले अध जल गगरी छलकत जाए वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए कुछ तथाकथित शिक्षक नेता डंके की चोट पर शिक्षको को बरगलाने का काम भी कर रहे है।

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सरकार की पदोन्नति की महत्वकांक्षी प्रक्रिया में तबादले का भी बड़ा संबंध बड़ा गहरा है।पूर्व सरकार और वर्तमान सरकार में अब तक हुए शिक्षाकर्मियों के तबादले में आम खासियत यह रही कि दोनों सिस्टम के शिष्टाचार के बगैर नहीं हुए। दोनों से यूनियन के खासम खास लोगो को फायदा हुआ। आम शिक्षक को इस बात की टीस है कि वो हक की हर लड़ाई में साथ रहा लेकिन तबादले की प्रक्रिया से दूर रहा। मजा यूनियनों के खास व सिस्टम के शिष्टाचार में शामिल हुए शिक्षको ने ले लिया । वही अब पदोन्नति में वरिष्ठता के मामले में टांग अड़ा रहे है। सरकारी आदेश में ट्रांसफर बैन होने के बाद बेमौसम हो रहे रुक रुक कर के तबादलो की जारी छोटी छोटी सूची ने व्यवस्था के खिलाफ आक्रोश पैदा कर दिया है।

शिक्षक नेताओ का मानना है कि पदोन्नति की प्रक्रिया में सबसे बड़ी दिक्कत प्रदेश के संभागीय कार्यालयों में प्रक्रिया के लिए मापदंड एक जैसे नही लगते है। पारदर्शिता का अभाव है। प्रदेश में पदोन्नति के एकदम स्पष्ट आंकड़े जारी नही हुए है। कुछ कहा नही जा सकता कि किस ब्लॉक में किस स्कूल में पद खाली है।

पदोन्नति की प्रक्रिया में संविलियन के पहले और बाद के नियम पर भी मत अलग अलग जान पड़ते है। संविलयन के पूर्व 6 जुलाई 2018 को स्कूल शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया गया जिसमें शिक्षाकर्मियों के समग्र सूची बनाये जाने की जिम्मेदारी जिला पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाकर शिक्षाकर्मियों के वरिष्ठता सूची बनाने के कार्य दिया गया साथ ही उस आदेश में वरिष्ठता तय करने के लिये 11 बिंदुओं के दिशानिर्देश दिया गया

इस 11 बिंदु के दिशानिर्देश के आदेश के बिंदु क्रमांक 9 में स्पष्ठ रूप से लिखा गया था कि जो शिक्षक(पंचायत/न.नि.) स्वैछिक स्थान्तरण से अपने नियुक्ति के क्षेत्र से अन्य निकाय में स्थान्तरित होकर जाते है तो उस निकाय में उनके कार्यभार ग्रहण दिवस ही वरिष्ठता मानी जायेगी।उस आदेश के तहत शिक्षाकर्मियों के समग्र सूची बनाकर शिक्षा विभाग को शौपने से पहले दावा आपत्ति के लिए पूर्ण समय भी दिया गया था जिसके उपरांत ही उस सूची को वरिष्ठता मानकर शिक्षा विभाग ने संविलयन कर नियुक्ति आदेश जारी कर दिया गया।माना जा रहा है कि आज उसी निर्देश को आधार मानकर पदोन्नत्ति की प्रक्रिया किया जा रहा है।

जिन स्थान्तरित शिक्षकों को पदोन्नत्ति में उनके प्रथम नियुक्ति के लाभ नही मिल रहा वे अब मायूस हो गए। जिनका लाभ उन शिक्षक सन्गठन को हो रहा है जो मासूम और उदास चेहरों के सहारे अपने और सन्गठन की छवि को मजबूत बनाने में जुटे हुए है।लोक कल्याण की नीति के लिए बनाई गई इस महत्वपूर्ण योजना से सरकार की छवि कैसी बनती है यह पदोन्नति शिक्षक तय जरूर करेंगे।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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