कही-सुनी :बाहर आया शराब और कोयले का जिन्न

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(रवि भोई)भूपेश बघेल के राज में हुए शराब और कोयला घोटाला मामले में ईडी द्वारा ई ओ डब्ल्यू में एफ आई आर दर्ज कराने के बाद राज्य की राजनीतिक गर्मी बढ़ गई है। लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा को कांग्रेस पर वार के लिए हथियार मिल गया है। शराब और कोयला घोटाले में करीब 105 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट की गई है। भूपेश बघेल के सरकार में ताकतवर मंत्री -विधायक और ब्यूरोक्रेट के नाम एफ आई आर में आने से छत्तीसगढ़ में नया जिन्न जाग गया है। विष्णुदेव साय के राज में पूर्ववर्ती सरकार के खिलाफ बड़ा खुलासा है। शराब और कोयला में लेवी और भूपेश सरकार के नीति निर्धारकों की अघोषित संपत्ति की जांच के लिए भाजपा नेता नरेश गुप्ता पिछले कुछ सालों से लगातार संघर्ष करते रहे हैं। उन्होंने ब्यूरोक्रेट्स की गड़बड़ियों को लेकर केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत भी की थी। कहा जा रहा है कि शराब और कोयला घोटाले की जांच ई ओ डब्ल्यू होते हुए सीबीआई के पास जा सकती है। शराब और कोयला घोटाले में पूर्व मंत्री कवासी लखमा, अमरजीत भगत, कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, विधायक देवेंद्र यादव समेत कई पूर्व विधायकों के नाम आने से मामला संगीन हो गया है। शराब और कोयला घोटाले में कुछ ब्यूरोक्रेट और कारोबारी अभी जेल में हैं, लेकिन एफ आई आर की जद में आए कुछ अफसर और नेता अभी बाहर हैं , उनका क्या होगा, इसको लेकर कयासों का बाजार गर्म है। विधानसभा चुनाव में हार से सदमें में घिरी कांग्रेस के लिए शराब और कोयला घोटाले का नया पेंच मुश्किलों से भरा हो सकता है। लोकसभा चुनाव में दोनों घोटालों को लेकर भाजपा का तीर कांग्रेस पर चलना तय माना जा रहा है। घोटाले को लेकर एफआईआर के बाद दोषियों की गिरफ्तारी का भी लोगों को इंतजार है।

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छत्तीसगढ़ में भाजपा के अधिकांश सांसदों की टिकट कटने के संकेत
चर्चा है कि भाजपा छत्तीसगढ़ में दुर्ग लोकसभा को छोड़कर अन्य सीटों पर नए चेहरे उतारने की योजना बना रही है। दुर्ग लोकसभा सीट से विजय बघेल को ही प्रत्याशी बनाए जाने की खबर है। 2023 के विधानसभा में भूपेश बघेल को कड़ी टक्कर देने के कारण विजय बघेल को लोकसभा की टिकट पुरस्कार के तौर पर मिल सकती है। बिलासपुर के सांसद रहे अरुण साव अब मंत्री बन गए हैं। रायगढ़ की सांसद रही गोमती साय और सरगुजा की सांसद रही रेणुका सिंह विधायक बन गई हैं, ऐसे में वहां नए चेहरे उतारने ही हैं।कोरबा और बस्तर में भाजपा के सांसद नहीं हैं। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस के सांसद हैं। बताते हैं रायपुर, राजनांदगांव, कांकेर, महासमुंद और जांजगीर के वर्तमान सांसदों की जगह भाजपा नए चेहरे की तलाश में है। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 11 सीटों में नए चेहरे उतारे थे और नौ सीटों में उसे जीत मिली थी। कहते हैं छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा सीटों के लिए भाजपा का आंतरिक सर्वे रिपोर्ट और ख़ुफ़िया रिपोर्ट पार्टी हाईकमान के पास पहुँच गई है। कहा जा रहा है कि भाजपा 2023 के विधानसभा की तरह कुछ लोकसभा सीटों में प्रत्याशियों की घोषणा चुनाव की तिथि आने से पहले कर दे। अनुमान है कि फ़रवरी के पहले-दूसरे हफ्ते में करीब 165 सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाएगी। इनमें छत्तीसगढ़ की चार-पांच सीटें हो सकती हैं। चर्चा है कि बस्तर, कांकेर, सरगुजा, रायगढ़ और जांजगीर सीट के लिए फ़रवरी में प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाएगी। कहा जा रहा है कि छह सामान्य सीटों में से तीन में ओबीसी प्रत्याशी खड़े किए जा सकते हैं।

क्या रायपुर लोकसभा से फिर लड़ेंगे भूपेश
यह तो तय है कि कांग्रेस अपने कुछ वर्तमान विधायकों और हारे हुए विधायक -मंत्रियों को लोकसभा में उतारेगी। देश में राममय वातावरण के चलते 2024 के लोकसभा चुनाव में हार की डर से नए चेहरे सामने नहीं आ रहे हैं। चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पार्टी हाईकमान रायपुर लोकसभा से उम्मीदवार बना सकती है। भूपेश बघेल 2009 में रायपुर लोकसभा से चुनाव लड़ चुके हैं। तब उन्होंने भाजपा प्रत्याशी रमेश बैस को टक्कर दी थी। कहा जा रहा है कि दुर्ग से ताम्रध्वज साहू, कांकेर से अनिला भेड़िया, जांजगीर से डॉ शिवकुमार डहरिया, बस्तर से दीपक बैज या लखेश्वर बघेल, महासमुंद से भवानी शुक्ल, सरगुजा से अमरजीत भगत को प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा है। कोरबा की वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत का लड़ना लगभग तय है।

ऋचा शर्मा के बाद कुछ और अफसरों के आने की चर्चा
1994 बैच की आईएएस ऋचा शर्मा की छत्तीसगढ़ वापसी के आदेश के बाद केंद्र सरकार में पदस्थ कुछ और अफसरों की राज्य वापसी की चर्चा होने लगी है। कहा जा रहा है कि अप्रैल-मई तक 1993 बैच के अमित अग्रवाल, 2004 बैच के अमित कटारिया और 2005 बैच के मुकेश बंसल मूल कैडर में आ सकते हैं। लोकसभा चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक परिदृश्य में काफी बदलाव की अटकलें लगाई जा रही हैं। खबर है कि केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के लिए रिलीव करने के बाद भी ऋचा शर्मा अप्रैल के पहले हफ्ते में ही यहां ज्वाइनिंग देंगीं। बताते हैं वे दो महीने के अवकाश पर जा रही हैं।

नए डीजीपी का चयन फरवरी में संभव
कहा जा रहा है कि अब नए डीजीपी का चयन फरवरी में होने की उम्मीद है। 31 जनवरी को 1990 बैच के आईपीएस राजेश मिश्रा के रिटायरमेंट के बाद राज्य में डीजी का एक पद और खाली हो जाएगा। डीएम अवस्थी और संजय पिल्लै के रिटायरमेंट के बाद रिक्त पदों को भरने के लिए अभी तक डीपीसी नहीं हुई है। 1992 बैच के अरुणदेव गौतम और पवन देव डीजी के इंटाइटिल हो गए हैं, लेकिन डीपीसी नहीं होने के कारण उन्हें डीजी का पदनाम नहीं मिला है। अब डीजी के लिए 1994 बैच के हिमांशु गुप्ता और शिवराम प्रसाद कल्लूरी भी पात्र हो गए हैं। राजेश मिश्रा के रिटायरमेंट के बाद रिक्त पद पर हिमांशु गुप्ता और शिवराम प्रसाद कल्लूरी को पदोन्नति मिल सकती है। माना जा रहा है कि रिक्त पदों के लिए डीपीसी फ़रवरी में हो सकती है।

अमरेश कुमार मिश्रा की होगी वापसी
कहते हैं छत्तीसगढ़ कैडर के 2005 बैच के आईपीएस अमरेश कुमार मिश्रा की भारत सरकार से छत्तीसगढ़ वापसी होगी। खबर है कि इसके लिए राज्य शासन ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। अमरेश कुमार मिश्रा वर्तमान में एन आई ए ( नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी ) में एसपी के पद पर कार्यरत हैं । वे अगस्त 2019 से सेंट्रल डेपुटेशन में हैं। अमरेश मिश्रा दंतेवाड़ा, कोरबा, दुर्ग और रायपुर के एसपी रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ में 2005 बैच के आईपीएस आईजी प्रमोट हो गए हैं। माना जा रहा है कि वापसी के बाद अमरेश मिश्रा को किसी रेंज में पदस्थ किया जा सकता है।

भाजपा नेताओं के परिक्रमा की जगह बदली
कहते हैं भाजपा नेताओं के परिक्रमा की जगह बदल गई है। निगम-मंडल का अध्यक्ष बनने के लिए भाजपा के कुछ नेता अब जयपुर, राजकोट और अहमदाबाद चक्कर काटने लगे हैं। अब तक पद के इच्छुक नेता जागृति मंडल, राममंदिर और कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में परिक्रमा करते देखे जाते थे। जयपुर, राजकोट और अहमदाबाद की परिक्रमा कर लौटे भाजपा नेता काफी आशान्वित बताए जाते हैं। बताते हैं भाजपा ने तय कर लिया है कि रमन राज में निगम-मंडल अध्यक्ष रहे भाजपा नेताओं की इस बार ताजपोशी नहीं होगी। चर्चा है कि रमन मंत्रिमंडल के सदस्य रहे दो विधायकों को जल्द ही निगम-मंडल का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

प्रांत प्रचारकों में होगा हेरफेर ?
कहा जा रहा है कि फ़रवरी-मार्च में राष्ट्रीय स्वयं संघ (आरएसएस ) देश भर के प्रांत प्रचारकों में हेरफेर कर सकता है। कहते हैं समय-समय पर आरएसएस अपने प्रांत प्रचारकों की जिम्मेदारियों में बदलाव करता रहता है। कुछ को दूसरे राज्यों में भेजा जाता है, कुछ को नई जिम्मेदारी दी जाती है। चर्चा है कि छत्तीसगढ़ व अन्य कुछ राज्यों के प्रांत प्रचारकों को नई जिम्मेदारी मिल सकती है या दूसरे राज्यों में भेजे जा सकते हैं।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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