Rajasthan: गहलोत के खिलाफ खुलकर मैदान में उतरे सचिन पायलट, बोले- करप्शन पर सरकार की चुप्पी को लेकर करूंगा अनशन

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राजस्थान चुनाव से पहले सीएम अशोक गहलोत (ashok gehlot)और सचिन पायलट(sachin pilot) खुलकर आमने सामने आ गए हैं। करप्शन के मसले पर सचिन पायलट(sachin pilot) ने गहलोत सरकार (ashok gehlot)को कटघरे में खड़ा करता हुए कहा है कि वो 11 अप्रैल को एक दिन की भूख हड़ताल करेंगे। उनका कहना है कि करप्शन के खिलाफ सरकार को एक्शन लेना चाहिए। जनता को ये नहीं लगना चाहिए कि हम भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं।

पायलट ने कहा कि उन्होंने सीएम अशोक गहलोत को चिट्ठी भी लिखी थी। इसमें उनसे कहा गया था कि हमने पिछले चुनाव के दौरान वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचार को लेकर जनता से जो वायदे किए थे, उन पर खरा उतरने के लिए हमें कुछ करना चाहिए। चुनाव सिर पर खड़े हैं। जनता को दिखना चाहिए कि हमने जो कहा उस पर हम खरे उतरे हैं। उनका कहना था कि सीएम गहलोत ने उनकी चिट्ठी का कोई जवाब नहीं दिया।

उनका कहना था कि राजस्थान में हम जांच एजेंसियों का न तो इस्तेमाल कर रहे हैं और न ही बेजा इस्तेमाल। लेकिन हमारे वर्कर्स और पब्लिक को ये नहीं लगना चाहिए कि हमारे कथनी और करनी में कोई अंतर है। वसुंधरा सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए करप्शन के मामलों की जांच होनी जरूरी है। उनका कहना था कि पिछले चुनाव से पहले कांग्रेस के पास केवल 21 सीटें थीं।

चुनाव में लोगों ने हम पर विश्वास किया और हम 100 तक पहुंचे। जनता को ये नहीं लगना चाहिए कि चुनाव जीतने के बाद हम अपनी बात से मुकर गए। एक्शन नहीं होगा तो लोगों को लगेगा कि बीजेपी से हमारी मिलीभगत है।सचिन पायलट ने कहा कि केंद्र सरकार अपनी एजेंसियों का दुरुपयोग कैसे कर रही है ये सारे देश में देखा जा सकता है। विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाकर जेल में डाला जा रहा है। उनका कहना था कि हम चुनाव में जनता के पास जाएंगे तो हमें ये कहने का साहस होना चाहिए कि हम ठीक हैं।

राजस्थान में असेंबली चुनाव होने हैं। पिछले चुनाव सचिन पायलट की अगुवाई में लड़े गए थे। तब वो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे। लेकिन जब सीएम बनने की बात आई तो अशोक गहलोत ने बाजी मार ली। पायलट को डिप्टी सीएम की कुर्सी से संतोष करना पड़ा। उसके बाद से वो लगातार गहलोत पर हमलावर हैं। वो एक बार अपने गुट के विधायकों को लेकर बगावत भी कर चुके हैं। अलबत्ता गहलोत ने मास्टर स्ट्रोक के जरिये पायलट के दांव को बेअसर कर दिया। उन्होंने व्हिप जारी करा दी। उसके बाद पायलट खेमे के विधायकों के पास सरकार के साथ आने के सिवाय कोई विकल्प नहीं था।

हालांकि गहलोत ने उस दौरान पायलट को बेअसर कर दिया था। लेकिन सचिन के तेवर वो खामोश नहीं करा सके। दोनों के बीच कितनी तल्खी है ये इस बात से ही समझा जा सकता है कि सीएम गहलोत सचिन पायलट को निकम्मा तक कह चुके हैं। तल्खी तब और बढ़ी जब गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में उतारने का मन गांधी परिवार ने बनाया। लेकिन वो सीएम की कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हुए।

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