हाईकोर्ट के पांच पन्‍ने के आदेश के खिलाफ 60 पन्‍ने का सिनॉप्सिस, सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 25 हजार का जुर्माना

Shri Mi
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Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पाँच पन्‍ने के आदेश के खिलाफ 60 पन्‍ने से अधिक का एक बड़ा सिनॉप्सिस दाखिल करने की अनुमति मांगने वाले एक वादी पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

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न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति पंकज मित्‍तल की पीठ ने याचिकाकर्ता को धर्मार्थ कार्य करने वाली किसी भी संस्था को दान के माध्यम से 25 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।

याचिकाकर्ता ने अग्रिम जमानत खारिज करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक आवेदन दायर किया, जिसमें एक लंबी सिनॉप्सिस और तारीखों की सूची दाखिल करने की अनुमति मांगी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 60 पन्‍ने से अधिक का सिनॉप्सिस मामले के तथ्यों के लिए “अनावश्यक” था, जब हाई कोर्ट का आदेश केवल पाँच पन्‍ने का था।

अदालत ने आदेश दिया, “इसलिए, हम आवेदन को अस्वीकार करते हैं और ऐसा करते समय, हम याचिकाकर्ता को धर्मार्थ कार्य करने वाली किसी भी संस्था को दान के माध्यम से 25 हजार रुपये का भुगतान करने का निर्देश देते हैं। सुनवाई की अगली तारीख से पहले एक रसीद पेश की जाए।”

इससे पहले अगस्त में इसी पीठ ने इस बात पर जोर दिया था कि शीर्ष अदालत के समक्ष दायर याचिकाओं में बड़े सिनॉप्सिस से बचा जाना चाहिए। पीठ की यह टिप्‍पणी एक अन्‍य मामले में थी जिसमें हाई कोर्ट के छह पन्‍ने के एक विवादित आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका में 27 पृष्ठ थे और 60 से अधिक पन्‍नों का सिनॉप्सिस था।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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