बिलासपुर— जिला कांग्रेस कमेटी बिलासपुर अध्यक्ष ने प्रेसवार्ता कर अरपा बचाओ पदयात्रा का एलान किया है। विजय केशरवानी ने बताया कि अरपा विकास के नाम पर जिले को पिछले 10 साल से छला जा रहा है। लोगों की अब आंख खुल चुकी है। अरपा तट पर रहने वाले करीब 50 हजार से अधिक लोगों की जमीन और जिन्दगी को बंधक बनाकर रखा गया है। विजय केशरवानी और अटल श्रीवास्तव ने कहा कि हमें हमारा वास्तविक अरपा चाहिए। बिलासपुरवासी अब टेम्स नदी के नाम पर ठगे जाने को तैयार नहीं है। पत्रकार वार्ता के दौरान जिला शहर कांग्रेस अध्यक्ष नरेन्द्र बोलर,बैजनाथ चन्द्राकर,पंकज सिंह,शेख नजरूद्दीन,रामशरण यादव,शैलेन्द्र,अभय,अनिल चौहान समेत कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता मौजूद थे।
कांग्रेस भवन कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में जिला ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी ने अरपा बचाओ पदयात्रा का एलान किया है। विजय ने बताया कि पदयात्रा दो चरणों में होगी। पहला चरण 9 जून से शुरू होकर 10 जून तक चलेगी। दूसरा चरण 12 से 13 जून तक चलेगा। पदयात्रा में कांग्रेस के सभी सहयोगी संगठनों के साथ जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ताओं के अलावा अरपा साडा योजना में प्रभावित लोग शामिल होंगे।
विजय केशरवानी ने बताया कि पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य अरपा नदी के संरक्षण के अलावा तट बसे लोगों के न्याय के लिए लड़ना है। केशरवानी के अनुसार अरपा विकास प्राधिकरण के नाम पर प्रदेश सरकार और स्थानीय मंत्री अरपांचल वासियों के हितों पर चोट किया है। जिले की जनता समेत कांग्रेस पार्टी की मांग है कि अरपा को संरक्षण के साथ जलभराव सुनिश्चित किया जाए। साथ ही तट पर बसे लोगों को काले कानून की बेड़ियों से आजाद किया जाए।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि पिछले दस सालों से अरपा विकास के नाम पर जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है। काला कानून लादकर बिल्डरों को फायदा पहुंचया जा रहा है। शासन ने अधिसूचना जारी कर करीब 27 किलोमीटर के दायरे में तट से 200 मीटर की जमीन पर अघोषित कब्जा कर लिया है। कंपनियों को सर्वे के नाम पर करोड़ों रूपयों का फायदा पहुंचाया गया है। बावजूद इसके ना तो अरपा का विकास हुआ। और ना ही विकास और निर्माण के नाम पर सरकार ने एक भी पत्थर रखा है।
अधिसूचना के बाद दस सालों में अरपा तट पर बसे लोगों की जिन्दगी नासूर बन चुकी है। जरूरत मंद लोग करोड़ों की संपत्ति को लेकर बैठे हैं। लेकिन पाई पाई को मोहताज हैं। कोई भी व्यक्ति ना तो जमीन बेच सकता है और ना ही निर्माण कर सकता है। ऊपर से सख्त कानून और निर्देश ने भी लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। अधिसूचना शर्तों के अनुसार यदि किसी ने दो सौ मीटर के दायरे में निर्माण किया है तो घर और जमीन मालिक को तोड़फोड़ के बाद खर्च भी देना होगा।
सवाल जवाब के दौरान विजय और नरनेद्र बोलर ने बताया कि अधिसूचना के बाद कम से कम पचास हजार से अधिक लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। अरपा जल स्तर सूख गया है। शहर की बजबजाती नालियों को अरपा में गिराया जा रहा है। बनाए गए दो एनिकट की भी हालत खराब हैं। जल स्रोत,सरंक्षण,पौधरोपण से लेकर अरपा को बचाने के लिए शासन ने अभी तक एक भी कार्य नहीं किया है। इससे जाहिर होता है कि दाल में कुछ काला है।
अटल श्रीवास्तव ने बताया कि नियमानुसार दस्तावेजों के आधार पर अरपा के मुल चौड़ाई के तट से 200 मीटर तक अधिसूचना जारी किया जाना चाहिए था। लेकिन स्थानीय मंत्री और शासन ने वर्तमान नजरी नक्शा के आधार पर अरपा तट से दो सौ मीटर क्षेत्र में जमीन खरीद फरोख्त पर प्रतिबंध लगाया है। यदि ऐसा किया जाएगा तो आधा शहर को उजड़ने से कोई नहीं बचा सकता है। दरअसल यह सरकार की सोची समझी पालिसी है। लोगों के मन में दहशत पैदा करना बाद बाद में दया करना । सच्चाई तो यह है कि दस्तावेजों में 200 मीटर की कोई पालिसी ही नहीं है।
एक सवाल के जवाब में विजय ने बताया कि अरपा विकास यात्रा के बाद अमरपुर से लेकर बिलासपुर तक अरपा को बचाने के लिए बृहद आंदोलन किया जाएगा। आंदोलन से जनता जनार्दन को जो़ड़ा जाएगा। उद्गगम स्थल को जीवित रखने अभियान चलाया जाएगा।