फर्जी सर्टिफिकेट वाले सरकारी कर्मियों पर कसेगी नकेल

रायपुर । मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि राज्य के मूल आदिवासी और अनुसूचित जातियों के नाम पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी करने वाले शासकीय सेवकों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लाया जाए। डॉ. सिंह ने कहा कि यदि इस प्रकरण मेें किसी आरोपी कर्मचारी को न्यायालय से स्थगन मिला है तो इसे खारिज करवाने के लिए भी ठोस पहल किया जाए।
डॉ सिंह सोमवार को यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में अनुसूचित जाति तथा जनजाति अधिनियम (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता एवं मॉनीटरिंग समिति की बैठक में अधिकारियों को यह निर्देश दिए। आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास मंत्री केदार कश्यप, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री पुन्नूलाल मोहले, संस्कृति, पर्यटन एवं सहकारिता मंत्री दयालदास बघेल, संसदीय सचिव अम्बेश जांगड़े, मुख्य सचिव विवेक ढांड सहित समिति के सदस्य एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. सिंह को समिति की बैठक में अधिकारियों ने बताया कि फर्जी जाति संबंधी 543 शिकायतें छानबीन समिति के समक्ष दर्ज हुई थी। इनमें से गहन जांच में 161 प्रकरण गलत पाए गए तथा 21 कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इनमें से 30 प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी स्तर पर तेजी से कार्रवाई करने के निर्देश दिए। डॉ. सिंह ने कहा कि शाला प्रवेश अभियान के साथ-साथ बच्चों को उनका जाति, आय और निवास प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराया जाए। जरूरत हो तो इसके लिए स्कूलों में शिविर लगाएं जाए। उन्होंने कहा कि पालकों और छात्र-छात्राओं के लिए यह एक बड़ी जरूरत है और यह आसानी से उपलब्ध होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने विशेषकर हाल ही में राजस्व गांव का दर्जा पाए वन ग्रामों के निवासियों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें प्रमाण पत्र प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के युवाओं को विभिन्न स्व-रोजगार योजनाओं से जोड़कर उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। डॉ. सिंह ने इनके प्रकरणों में ऋण स्वीकृति और वितरण में विभिन्न बैंकों द्वारा अपेक्षित सहयोग नहीं करने पर नाराजगी प्रकट की। उन्होंने कहा कि निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप बैंक सहयोग नहीं करेंगें तो उन्हें काली सूची में डाल दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने जिला स्तर पर कलेक्टरों को इसकी विशेष मानीटरिंग करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने बैठक में जिला स्तरीय सतर्कता एवं मानीटरिंग समिति की बैठकों की भी जानकारी ली। महासमुंद में पिछले एक साल में इस समिति की एक भी बैठक आयोजित नहीं होने पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जाहिर की और कलेक्टर को कड़े पत्र के जरिए नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आकस्मिकता निधि के तहत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के हितग्राहियों को तत्काल राहत राशि दी जाए। इसके लिए बजट का इंतजार नहीं किया जाए। राज्य सरकार द्वारा इसके लिए एडवांस में राशि का इंतजाम किया जाएगा।