अब नहीं चलेगी बाबुओं की चालाकी.. संयुक्त संचालक शिक्षा का फरमान.. कम्प्यूटर नहीं जानने वाले लिपिकों की तैयार करें कुण्डली..शिक्षकों में खुशी

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—शिक्षा विभाग अब ऐसे बाबुओ को तलाशने का फरमान जारी किया है। आदेश में कम्प्यूटर का ककहरा नहीं जानने वाले बाबुओं की कुण्डली तैयार करने को कहा गया है। जानकारी मिल रही है कि आदेश के बाद शिक्षको को बाबूगिरी के कार्यो से छुटकारा मिल जाएगा।

                कहावत है कि जो समय के साथ नहीं बदलता..उसका समय खराब होने समय नहीं लगता है। ऐसा ही मामला शिक्षा विभाग में सामने आया है। संयुक्त संचालक के एक आदेश के बाद शिक्षा विभाग  के बाबुओं में खलबली  मच गयी है। आदेश के अनुसार संयुक्त संचालक ने ऐसे बाबुओं की कुण्डली तैयार करने को कहा है जिन्हें कम्प्यूटर आपरेट करते नहीं बनता है।
 
100 प्रतिशत आनलाइन कार्य
 
               बताते चलें कि कोरोना काल में कम्यूटर का महत्व कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। मैनपावर नहीं होने से जहां बाबुओं की परेशानी बढ़ गयी है। वहीं कम्यूटर की जानकारी नहीं होने से काम की रफ्तार भी थम गयी है। जबकि शासन ने फैसला किया है कि स्कूल शिक्षा विभाग का काम धीरे धीरे ही सही पूरी तरह से आनलाइन किया जाएगा। 
 
             जानकारी देते चलें कि संयुक्त संचालक के आदेश के बाद बाबू वर्ग में खलबली मच गयी है। इसके अलावा ऑनलाइन काम काज की कवायदा भी तेज हो गयी है। बताते चलें कि ऑनलाइन कार्य की सफलता कम्प्यूटर की जानकारी के बाद ही संभव है। लेकिन विभाग के बाबू आज भी मैन्यूल काम करते हैं। बाद में मास्टरों के भरोसे आनलाइन जानकारी को परोस देते हैं। 
 
बाबुओं को नहीं मालूम कम्प्यूटर का क
 
             बहरहाल आदेश के बाद विभाग अब लिपिकों की कुंडली बना रहा है। कहने के लिए तो लिपिक पद पर हैं लेकिन ज्यादातर बाबूओं  को टाइपिंग की भी जानकारी नही है।  इतना ही नहीं बाबुओं ने कभी कंप्यूटर का ककहरा भी सीखने का प्रयास भी नहीं किया।
 
                    शासन के अनुसार वेतन बनाने से लेकर विभागीय जानकारी भेजने तक सभी को कंप्यूटर की जानकारी होना अति अनिवार्य है।  लेकिन अधिकांश  कार्यालय या स्कूलों में कार्यर्त लिपिकों को कम्प्यूटर बनता ही नहीं है। मजबूरन अनेक जगहों पर बाबुओं का काम मास्टरों को करना पड़ता है। जिसके चलते एक बड़ा मास्टर वर्ग पढ़ना लिखाना छोड़कर बाबूगीरी कर रहा है। जाहिर सी बात है कि बच्चों को इससे बहुत नुकसान भी हो रहा है।
 
रसूख के दम पर कायम
 
                       जानकार आश्चर्य होगा कि बिलासपुर जिले के शिक्षा विभाग में ही ज्यादातर बाबूओं को कम्प्यूटर की जानकारी नहीं है। कार्यालय के ज्यादातर बाबू कंप्यूटर पर काम करना  तो दूर कंप्यूटर को बंद और चालू भी करना नहीं जानते हैं। लेकिन इनके रसूख और पहुंच कोई कमी नहीं है। यही कारण है कि विभाग में सालों साल से कुण्डली मारकर बैठे हैं।
 
            हद तो तब हो जाती है कि जब कार्यालय के बाबू अपने अंदर शिक्षको को कंप्यूटर कार्य के लिए मौखिक रूप से रखा हुआ है। यह जानते हुए भी कि स्कूलों की स्थिति खराब है। मजेदार बात तो यहा है कि विभाग में अधिकांश लिपिक भृत्य पद से पदोन्नति होकर लिपिक बने है। उन्हें तो कम्प्यूटर का ककहरा की भी जानकारी नहीं है।
 
 नहीं आती टाइपिंग
           अब स्कूल शिक्षा विभाग के बिलासपुर संभाग संयुक्त संचालक ने आदेश जारी कर सभी बाबुओं को मुसीबत में डाल दिया है। संयुक्त संचालक ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर बीईओ ऑफिस, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में काम करने वाले सभी बाबूओ की सूची मंगाई है..जिन्हें कंप्यूटर में टाइपिंग काम करना नहीं आता है।
 
       विभागों यह  जानकारी 15 सितंबर तक कार्यालय में जमा करना है । उम्मीद है आने वाले दिनों में व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करते हुए या तो ऐसे बाबुओं को कंप्यूटर सीखने के लिए कड़े निर्देश दिए जाएंगे।  या फिर इन पर कार्रवाई होगी। क्योंकि यदि शिक्षकों से सही ढंग से काम लेना है तो उन्हें बाबूगिरी से हटाना होगा।

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