बिलासपुर।गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर में हो रहे तीन दिवसीय हर्बल ड्रग्स कार्यशाला का शनिवार को समापन हुआ।जिसमे कार्यशाला के समन्वयक डॉ. एस के शाही ने तीन दिन में हुए कार्यक्रमों के बारे में बताया।इस कार्यशाला से विद्यार्थियो ने कई प्रकार के औषधीय पौधों की महत्ता को जाना और यह भी जाना कि किस तरह औषधीय पौधों को नुकसान पहुचाये बिना उनसे औषधि बनायीं जा सकती है। साथ ही इसके अलावा उन्होंने कई दुर्लभ औषधीय पौधों की प्रदर्शनी भी देखी। इसके अलावा विद्यार्थियों को पाली स्थित ड़ोंगानाला गाँव के हर्बल प्रोसेसिंग यूनिट का दौरा भी कराया गया।
जहां डॉ. निर्मल अवस्थी, सेक्रेटरी ट्रेडिसनल हीलर एसोसिएसन ने विद्यार्थियों को विभिन्न हर्बल औषधिय पौधों के संकलन, उनके संरक्षण तथा प्रोसेसिंग के बारे में बताया गया और उन्हें यह पता चला किस तरह इसे अपने व्यवसाय में सम्मिलित कर अपना स्वरोजगार प्रारंभ कर सकते है।इसके अलावा स्थानीय आदिवासी तथा वैद्यो के द्वारा विभिन्न दुर्लभ औषधीय पौधों के बारे में बताया जिस्की डीटेल आज के इंटरनेट में भी नही मिलती है।इस दुर्लभ पौधों का प्रयोग कई समय से विभिन्न बैगा तथा वैध्यो के द्वारा किया जा रहा है तथा बताया कि किस तरह इन्हें कई असाध्य बीमारियों को ठीक किया जा सकता है जिनका इलाज आज की आधुनिक चिकित्सा पद्धति के द्वारा भी संभव नहीं है।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि रहे डॉ. जे एस दांगी ने हर्बल पौधों के महत्ता पर प्रकाश डाला और छात्रो को हर्बल ड्रग्स के क्षेत्र में आगे आने प्रेरित किया।हरीश केडिया ने भी छात्रो को हर्बल के क्षेत्र में व्यवसाय करने के गुण बताये और कहा कि आने वाला समय हर्बल औषधियो का है। जिसे बचाना आज की पीढी का दायित्व है।
डॉ. रेनू भट्ट डीन जैव विज्ञानं शाला ने बताया की इस तरह के कार्यक्रम के द्वारा छात्रो के कौशल विकास संभव है तथा इससे वे आगे चलकर दुसरो के लिए भी रोजगार के अवसर प्रदान करेंगे।